कन्या विवाह का अचूक उपाय
कन्या विवाह का अचूक उपाय

कन्या विवाह का अचूक उपाय  

गोपाल राजू
व्यूस : 19590 | मार्च 2014

जन्म पत्रिका में संयम और बौद्धिकता से यदि तलाशा जाये तो ग्रह-नक्षत्रों के ऐसे अनेक संयोग मिल जाएंगे जो लड़कियों का विवाह करवाने, न करवाने अथवा विलंब आदि से करवाने के संकेत देते हैं। ग्रह-गोचर आदि की सूक्ष्म गणनाओं से विवाह की समयावधि का भी ठीक-ठीक अनुमान लगाया जा सकता है और तदनुसार विवाह संपन्न भी होते हैं। परंतु ऐसे अनेक प्रकरण सामने आते हैं कि व्यक्तिगत जन्मपत्रिका में विवाह के स्पष्ट संकेत होने के बाद भी विवाह किन्हीं कारणों से संपन्न नहीं हो पाता और लड़की सहित पूरे परिवार के लिए मानसिक संत्रास का एक कारण बन जाता है।

यदि जन्म पत्रिका में विवाह न हो पाने के कारण ऐसी विपरीत परिस्थिति बन रही हो तो यह उपाय एक बार अवश्य करके देखिये। दुर्भाग्यवश बन रही विपरीत परिस्थिति और बाधा आदि का आशानुरूप समाधान हो जाएगा। विवाह की कामना रखने वाली लड़कियां सात जनेऊ हल्दी के घोल में पीले रंग लें, सात पीतल के सिक्के ले लें। यदि सिक्के सुलभ न हो पाएं तो पीतल की पतली शीट में से सिक्के के आकार के सात टुकड़े कटवा लें, सात हल्दी की अखंडित गांठ ले लें, सात गुड़ के छोटे-छोटे टुकड़े ले लें, सात पीले फूल, सत्तर सेंटी मीटर पीला कपड़ा, सत्तर ग्राम चने की दाल और एक भोजपत्र का वर्गाकार टुकड़ा ले लें।


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भोज पत्र पर यंत्र अंकित करने के लिए अनार अथवा चमेली की कलम और हल्दी तथा रोली की स्याही व्यवस्थित कर लें। उपाय का श्री गणेश करने के लिए गुरु ग्रह के तीन नक्षत्रों पुनर्वसु, विशाखा तथा पूर्वाभाद्रपद में से कोई सा एक नक्षत्र अपने समय की सुविधानुसार सुनिश्चित कर लें। इन नक्षत्रों के मध्य पड़ने वाले गुरु के होरा काल को भी यदि उपाय के लिए चुन लें तो प्रभाव अधिक त्वरित हो जाएगा। अच्छा हो पीले रंग के सात फूल उस दिन ही लें जिस दिन उपाय प्रारंभ कर रही हों।

अन्य सामग्री पूर्व में भी जुटाकर रख सकती हैं। निश्चित काल में तन-मन से पवित्र और आस्थावान होकर भोज पत्र पर हल्दी और रोली मिश्रित स्याही से निम्नलिखित यंत्र अंकित कर लें। रेखाओं तथा अंकों को भरने का क्रम बाएं से दाएं तथा नीचे से ऊपर की ओर रखें। मन में सीता जी अथवा पार्वती जी का स्मरण करते हुए अपनी इच्छा की पूर्ति की कामना करती रहें। यंत्र को पीले रंग के कपड़े पर स्थापित करके उस पर पीले फूल अर्पित करें तथा अन्य ली हुई सामग्री उस पर अलंकृत कर दें। सब सामग्री की एक पोटली बना लें। चाहें तो इसको पाॅलिथिन में भी बंद कर सकती हैं।


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यह पोटली अपनी अलमारी, बाॅक्स आदि में कहीं सुरक्षित रख लें, इसका करना कुछ नहीं है। यह बस ऐसे ही रखे रखना है। गुरु के होरा काल में ही निम्न मंत्र की तीन माला (108’3) जप करें। माला अपनी सुविधानुसार कोई भी ले सकती हैं। परंतु यदि पीत वर्ण कोई माला उपलब्ध हो जाए तो अच्छा है। तदनन्तर में अपनी नित्य पूजा के साथ इस मंत्र की तीन माला मां पार्वती अथवा सीता जी का ध्यान करते हुए जप लिया करें। जप मंत्र कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी। नन्द गोप सुतं देवी पतिं मे कुरू ते नमः।। इसके साथ नित्य नहीं तो कम से कम प्रत्येक गुरुवार को निम्न चार नियम अपनाने का संकल्प ले लें और यथासमय और सुविधा इसको करती रहें।

1. गाय को गुड़ तथा रोटी खिलाएं।

2. पक्षियों को चावल दें।

3. केले के वृक्ष में जल अर्पित करें।

4. जल में चीनी मिला कर सूर्य को अघ्र्य दें।



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