पौराणिक साहित्य में अनेक स्थानों पर लक्ष्मी प्राप्ति के उपाय विषय़ पर विस्तृत चर्चा की गई है। लक्ष्मी प्राप्ति के ये उपाय़ जिनमें धन लक्ष्मी प्राप्ति के टोटके, लक्ष्मी प्राप्ति मन्त्र तथा लक्ष्मी प्राप्ति के स्तोत्र व यज्ञों, अनुष्ठान विधि तथा उद्देश्यों का उल्लेख सम्मिलित है, निश्चित रूप से प्रभावशाली व चमत्कारी माना जाता है। इस लेख में धन लक्ष्मी प्राप्ति मन्त्र, कर्ज से छुटकारा तथा बुरी आत्माओं व चोरों से धन की रक्षा आदि विषयों पर उपायों का समावेश किया गया है।
मत्स्ये - दीपैर्नीराजनादत्र सैषा दीपावलीस्मृता। मत्स्य पुराण के अनुसार अनेक दीपकों से लक्ष्मी का नीराजन (आरती) करने को दीपावली कहते हैं। दीपावली के दिन सिंह लग्न में लक्ष्मी एवं गणेश के पूजन का विशेष माहात्म्य है। इस दिन सिंह लग्न अथवा स्थिर लग्न में] स्वच्छ वस्त्र धारण कर के, धातु से बने लक्ष्मी यंत्र] कुबेर यंत्र अथवा श्री यंत्र को प्रतिष्ठित कर के उनके समक्ष लक्ष्मी के मंत्रों को जप करना एवं श्री सूक्त से पूजा करना अत्यंत शुभ है। यंत्र को गंगा जल, पंचामृत से स्नान करा कर, कुंकुम का टीका लगाना चाहिए। यंत्र के सम्मुख अनेक प्रकार के मिष्टान्न सहित फलों का भोग लगाना चाहिए।
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वराह पुराण के अनुसार लक्ष्मी की कुंद पुष्प से पूजा करना एवं विष्णु की कमल पुष्प से पूजा करना श्रेष्ठ माना गया है। लक्ष्मी का निवास बेल वृक्ष में माना गया है। अतः इन्हें बिल्व पत्र भी अर्पण करना चाहिए। लक्ष्मी पूजन के समय इस दिन द्रव्य, स्वर्ण मुद्रा, रजत मुद्रा आदि अर्पण करना शुभ माना गया है। दीपावली की रात्रि को लक्ष्मी जी का श्री सूक्त एवं कनकधारा का पाठ करना अति लाभकारी माना गया है। क्योंकि इन्हें लक्ष्मी प्राप्ति स्तोत्र संग्रह में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है।
दीपावली के दिन लक्ष्मी प्राप्ति एवं समृद्धि के लिए निम्नलिखित विशेष उपाय किये जा सकते हैं। यहां वर्णित लक्ष्मी प्राप्ति के उपाय सरल एवं श्रेष्ठ हैं।
धनागमन के उपाय
धनागमन का मुख्य उपाय लक्ष्मी-कुबेर का स्तोत्र माना गया है। कुबेर देवताओं के कोषाधिपति हैं। आर्थिक उन्नति के लिए इनकी उपासना की जाती है। इसीलिए धन लक्ष्मी प्राप्ति स्तोत्र संग्रह में लक्ष्मी कुबेर स्तोत्र का अपना अलग स्थान है। कुबेर यंत्र को पूजा के स्थान में रखने का बहुत महत्व है। इसे श्रेष्ठ धन लक्ष्मी प्राप्ति यन्त्र माना जाता है।
विधि
दीपावली से पूर्व कुबेर पूजा (धन तेरस) के दिन अथवा आश्विन माह कृष्ण अष्टमी को इसकी पूजा-उपासना श्रेष्ठ मानी गयी है। लाल वस्त्र पर कुबेर एवं लक्ष्मी यंत्र (धातु का बना) को प्रतिष्ठित कर के, लाल पुष्प, अष्ट गंध, अनार, कमलगट्टा, कमल पुष्प, सिंदूर आदि से पूजन कर के कमल गट्टे की माला पर कुबेर के मंत्रों का जप करें। जप के पश्चात कनकधारा स्तोत्र का पाठ, लक्ष्मी-गायत्री का पाठ करना शुभ फलों की वृद्धि करता है। पाठ के पश्चात् माला को गले में धारण कर लें।
मन्त्र
ओऽम् यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्यादि पतये धन धान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।
यह लोक प्रसिद्ध धन लक्ष्मी मन्त्र है।
विष्णु-लक्ष्मी का पूजन-अर्चन कर के, तांबे के बर्तन में शहद का शर्बत बना कर, ब्राह्मण को दान कर के अधिक लाभ पाया जा सकता है। हजार बेल पत्र को धो कर, विष्णु एवं लक्ष्मी के नामाक्षरों में नमः लगा कर, उन्हें अर्पण करना लक्ष्मी की तुष्टि का उपाय है।
धन संग्रह
कई बार आय तो होती है, परंतु उसका अपव्यय होता रहता है। न चाहने पर भी, जातक अनेक तरह से खर्चों में पड़ जाता है। ऐसी स्थिति में निम्न लिखित उपाय सटीक माना गया है।
दीपावली या किसी भी माह के सर्वार्थ सिद्धि योग, चैत्र शुक्ल पंचमी अक्षय तृतीया गुरु पुष्य, भीष्मा एकादशी में से किसी एक दिन जातक सुबह स्नानादि कर के, मां भगवती के श्री सूक्त का पाठ करें। लक्ष्मी की प्रतिमा को लाल अनार के दाने का भोग लगा कर, आरती आदि कर के, घर से उत्तर दिशा की ओर से प्रस्थान कर पौधशाला अथवा अन्यत्र से बेल का छोटा पेड़ घर लाएं। इस बेल के पेड़ को शुद्ध मिट्टी के नये गमले में लक्ष्मी का सूक्त पढ़ते हुए लगा दें। इस बेल को घर के उत्तर दिशा में साफ-सुथरे स्थान पर रखें तथा प्रत्येक शाम को इसके पास शुद्ध देशी घी का दीपक जलाएं। जबतक इस बेल की पूजा होती रहेगी तबतक जातक के घर में लक्ष्मी की वृद्धि होगी एवं अपव्यय बंद हो जाएगा।
कर्ज से छुटकारा
कर्ज़ पाने के लिए कुबेर देव तथा कर्ज चुकाने के लिए दक्षिणावर्ती गणेश की उपासना की जाती है। यदि कर्ज चुकाने की रकम इतनी अधिक हो जाए कि जातक उसे चुकाने में असमर्थ हो, तो ऐसे जातकों को गजेन्द्र मोक्ष’ नामक स्तोत्र का पाठ करने से अधिक लाभ होता है।
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विधि
नारद पुराण के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को, या दीपावली के दिन, विधिपूर्वक दक्षिणावर्ती गणेश (जिस गणेश की सूंड़ दाहिनी ओर घुमावदार हो) की मूर्ति अथवा तस्वीर को चांदी के सिंहासन पर स्थापित कर के ‘गणपति’ यंत्र को उसके साथ स्थापित कर केे यंत्र के दाहिनी ओर ‘कुबेर यंत्र’ को स्थापित करें। कर्ज संबंधी कार्य के निमित्त कुबेर मंत्र अथवा श्री गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का दस हजार की संख्या में जप करें। जप के पश्चात हवन, तर्पण, मार्जन आदि करना आवश्यक अंग माना गया है।
चोरों से धन की रक्षा
बार-बार चोरों द्वारा धन चुराने या व्यापार में बार-बार हानि होने की स्थिति से निपटने के लिए विष्णु के संग रहने वाली लक्ष्मी की उपासना करनी चाहिए।
विधि
ज्येष्ठ माह की शुक्ल एकादशी (भीष्मा एकादशी) या दीपावली के दिन गंगादि पुण्य स्थल में अथवा गंगा जल मिश्रित जल से घर में स्नान कर के कसौटी पत्थर अथवा गंडकी नदी से प्राप्त शालिग्राम को श्वेत कमल एवं लक्ष्मी यंत्र को लाल कमल के पुष्प पर स्थापित कर के, पुरुष सूक्त, लक्ष्मी सूक्त को आपस में संपुटित कर पाठ करना अति लाभकारी है। कमल गट्टे को घी में डुबो कर ज्येष्ठा लक्ष्मी के मंत्रों से यथाविधि हवन करने से चिरकाल तक लक्ष्मी का निवास होता है तथा चोरों से रक्षा होती है।
मंत्र - क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम। अभूतिंसमृद्धिं च सर्वां निर्णुद में गृहात्।।
बुरी आत्माओं से धन की रक्षा
जहां भी धन रखने का स्थान होता है, वहां लाल कपड़े में सिंदूर के साथ कुबेर, लक्ष्मी, गणेश आदि का यंत्र बांध कर रखना चाहिए। धन के स्थान पर अन्य सामग्री रखने से धन हानि अथवा अधिक धन खर्च आदि के साथ-साथ अन्य कई प्रकार की हानि की शंकाएं बनी रहती हैं।
विधि
सूर्य ग्रहण अथवा चंद्र ग्रहण को अथवा दीपावली की रात्रि को (अर्धरात्रि) धन रखने वाले स्थान पर डाकिनी का आवाहन कर के सूखा मेवा, लाल चंदन, नारियल का गोला, थोड़ी सी सरसों (पीली), लाल पुष्प आदि को लाल कपड़े में बांध कर, डाकिनी के 108 मंत्र पढ़ कर, जल से अभिमंत्रित कर के धन संग्रह के स्थान पर रखने से जातक के धन पर बुरी आत्माओं का कुप्रभाव नहीं पड़ता है।
मंत्र - ओऽम् क्रीं क्रीं क्रीं क्लीं ह्रीं ऐं डाकिनी हुँ हुँ हुँ फट् स्वाहा।
उपरोक्त लक्ष्मी प्राप्ति के उपाय अनुभूत प्रयोग हैं।
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