संतान प्राप्ति के उपाय
संतान प्राप्ति के उपाय

संतान प्राप्ति के उपाय  

नीलम शर्मा
व्यूस : 7819 | मई 2014

सामाजिक जीवन में पारिवारिक खुशी एवं पितृ ऋण के मुक्ति बाबत आगम एवं आर्ष ग्रंथों में संतान का जन्म लेना दंपत्ति के लिए मंगलमय माना गया है। आइये हम अध्यात्मवाद एवं सरलतम् उपायों से चाहे बंध्या हो, काक बंध्या हो, कन्या बंध्या या मृत वत्सा हो। सबके लिए निम्न उपाय श्रद्धा से करें तो इच्छित संतान की प्राप्ति संभव है।

- अपनी जन्मपत्रिका या हस्त पठन ज्योतिषीय त्रिस्कंध विधि से पाये जाने वाले दोषों का निवारण करना चाहिए। योनि दोष बाधा पितृ दोष बाधा। ग्रह अस्तोदय वक्रता दृष्टि दोष का निवारण करें।

- सवत्सा गौ का दान या सुवर्ण की गौ का दान ब्राह्मण को करें।’’ सोमोधेनु अर्वन्त’’ यह यजुर्वेद का मंत्र है, उससे हवन करावे, और चान्द्रायण व्रत करें तो काम बनेगा। यानि लाभ का योग बनेगा।

- किसी ब्राह्मण की कन्या का विवाह करावें, जो ब्राह्मण गरीब यानि आर्थिक स्थिति से कमजोर हो।

- किसी ब्राह्मण के जनेऊ संस्कार का खर्च वहन करें।

- संतान गोपाल मंत्र के पाठ एक वर्ष तक नियमित करें।

- संपुष्टि दुर्गा पाठ नौ दिनों तक सविधि करें।

- नाग पंचमी का व्रत दोनों (दंपत्ति) सविधि करें।

- हरिवंश पुराण का पाठ या श्रवण कर महारूद्र का जप करावें। वरूण मंत्र से आहुतियां देकर आचार्य को सुवर्ण दक्षिणा दें।

- प्रति अमावस्या को ब्राह्मण भोजन करावें।

- वैशाख, कार्तिक, या माघ मास के पितरों की तृप्ति के लिए किसी तीर्थ में जाकर ‘‘तृपिण्डी श्राद्ध’’ कराना चाहिए।

- तुलसी का विवाह करायंे। श्रद्धा युक्त ठाट बाट से कार्य करायंे।

- गाय को कामधेनु मानकर तीन वर्ष तक उसी का दूध उसी का घी दही आदि का सेवन करें तथा गौ की नित्य पूजा का प्रसाद ग्रहण करें तो कार्य में सफलता मिलती है। अन्य: कुल देव यानि देवता दोष बोध-बाधा।

- यदि छठे भाव में शनि हो उस पर चंद्र व बुध की दृष्टि हो तथा लग्न को पाप ग्रह देखे तो कुल देवता दोष माना गया है।

- शनि की राशि में स्थित सूर्य पर पाप ग्रह की दृष्टि हो।

- पंचम स्थान में शनि की राशि में सूर्य और लग्न में पाप ग्रह हो। ऐसी स्थिति में कुल देवता एवं कुल देवी की सविधि पूजा, यज्ञ साधना एवं प्रायश्चित शाम मोचनादि यज्ञ करके उनकी पूजा करना शुभदायक है। कुल देवता की पूजा कुल की जो मर्यादा परंपरागत रूप से हो रही है। अपने पूर्वजों की साधना धारण कार्य योग से करना ही शुभ माना गया है। उक्त उपाय एवं पूजनोपरांत दंपत्ति परस्पर प्रेम स्नेह जीवनोपयोगी सद्व्यवहार से प्रसंग करें तो सफलता निश्चित बनती है। भाग्य प्रबलम कर्मेषु प्रमुख।।



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