राहु के बारे में कहा जाता है कि सामान्यतः राहु जिस राशि में बैठता है उसका तथा उसके स्वामी का स्वभाव ग्रहण कर लेता है। राहु को देरी, आलस्य तथा अभावों का कारक माना गया है। उसके प्रभाव में अनिश्चितता भरी होती है। राहु के अंतर्गत आने वाले कारकत्व इस प्रकार हैं - जुआ, विदेश गमन, भ्रम, गंदगी, राज्य, कुतर्क, जादू-टोना, म्लेच्छ, नीचों का आश्रय, पीड़ा, पर्वत, बाहर का स्थान, विषम स्थान का भ्रमण, दक्षिण-पश्चिम दिशा, रंेगने वाले जीव जैसे सांप, गुप्त बातचीत, गुप्त वस्तुएं, खांसी, श्वांस की बीमारी, दमा, वायु संबंधी रोग, अधार्मिक मनुष्य, नागलोक, दुर्गा पूजा, ससुराल, दीर्घ बीमारी, बीमारी का जल्दी पता न चलना, छत्र, चंवर आदि। राहु ग्रह शुभ स्थिति में होने पर धन, बल, समृद्धि, स्वास्थ्य, परोपकार की भावना, अच्छा चरित्र, दीर्घायु तथा दृढ़ निश्चय आदि प्रदान करता है। बली राहु व्यक्ति को भाग्यवान, उŸाम व्यापारी, गुणी, प्रसिद्ध खिलाड़ी, विद्वान पंडित और ज्योतिषी बनाता है।
राहु के शुभत्व में वृद्धि करने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए:
1. मध्यमा अंगुली में गोमेद धारण करें। गोमेद प्रायः शनिवार या बुधवार को चांदी की अंगूठी में धारण करें। गोमेद धारण करने से पहले अंगूठी को गंगाजल अथवा कच्चे दूध से धोकर, धूप-दीप आदि दिखाकर 108 बार इस मंत्र का जाप करें - ऊँ रां राहवे नमः।
2. सायंकाल को धारण करना अधिक उपयुक्त रहता है।
3. सिक्के की अंगूठी धारण करें।
4. हाथी को धान, गेहूं, हरी पŸिायां खिलाया करें।
5. राहु ग्रह के प्रभाव में वृद्धि करने के लिए सफेद चंदन की जड़ धारण की जाती है।
अशुभ राहु के लिए उपाय:
यदि राहु जन्म कुंडली में अशुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति को नास्तिक, क्रोधी, बिना विचारे काम करने वाला, नशीले पदार्थों का सेवन करने वाला, लोभी, भाइयों का धन हड़पने की इच्छा रखने वाला, जुए में हारने वाला, अदालती झगड़े में उलझने वाला, पर-स्त्रियों से संबंध रखने वाला, बेईमान, धोखेबाज, फरेबी तथा चोरी करने वाला बनाता है। उसे पैरों की और कमर की बीमारी से ग्रस्त रहना पड़ता है।
अशुभ राहु के प्रभाव को शांत करने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिए -
Û राहु के तांत्रिक मंत्र का पाठ करें। मंत्र- ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।
Û राहु का यंत्र गले में धारण करें।
Û राहु यंत्र पूजा स्थान में स्थापित करें।
Û राहु की वस्तुओं का शनिवार को दान करें। राहु से संबंधित वस्तुएं: गोमेद रत्न, गेहूं, नीला व भूरा वस्त्र , सीसा, तिल, तेल, लोहा, अभ्रक, कंबल, नारियल आदि ।
Û काले कुŸो को रोटी खिलाएं। जौ पानी में प्रवाह करें। मछलियों को जौ के आटे की गोलियां खिलाएं।
Û राहु ग्रह की पीड़ा निवारण के लिए राहु से संबंधित जड़ी-बूटियों व औषधियों से स्नान करने का भी विधान है।