14 फरवरी का दिन था। सब जगह वसंत का खूबसूरत नजारा था और हजारों युवा जोड़े वैलेन्टाइन डे के अवसर पर अपने-अपने वैलेन्टाइन के साथ मस्त थे और इन सबके बीच शाइना अपने वैलेन्टाइन देवांशु का इंतजार कर रही थी। उसने भी इस शाम को बेहद खूबसूरत बनाने के लिए मुंबई के पांच सितारा होटल में दो सीटें बुक की थीं और देवांशु के लिए महंगे उपहार भी खरीद कर रखे थे, इंतजार था तो बस उसके आने का। लेकिन अब रात ढलने लगने लगी थी।
वेटर कई बार आकर उसको पूछ गया था और वह बार-बार देवांशु को फोन कर रही थी पर देवांशु के फोन की घंटी बज तो रही थी पर वह फोन नहीं उठा रहा था। शाइना का मन किसी अंजान आशंका से भी डर रहा था पर उसे पता था कि देवांशु जरूर कहीं मस्ती कर रहा होगा और उसे पहदवतम करने के लिए फोन नहीं उठा रहा है। इंतजार के पल बहुत बोझिल हो उठे थे और रात भी काफी हो गई थी।
शाइना लगभग रूआंसी हो उठी थी कि तभी उसके फोन की घंटी बजी। उसने लपक कर फोन उठाया तो फोन देवांशु की नहीं बल्कि उसकी सहेली की थी और उसकी बात सुनकर शाइना के आंसू रूक ही नहीं पाए और वह अपना सामान उठा कर फौरन घर के लिए रवाना हो गई। असल में सहेली ने देवांशु को दूसरी जगह किसी और लड़की के साथ देखा था और उसी की खबर उसने शाइना को दी थी। घर पहुंच कर शाइना फफक-फकक कर रो पड़ी।
क्या नहीं किया उसने देवांशु के लिए और वह उसे इस तरह से इस्तेमाल कर रहा है। उसे याद आया वह पहला दिन जब देवांशु ने उसके डिपार्टमेंट में उसके मातहत ज्वाइन किया था। देवांशु का व्यक्तित्व बहुत आकर्षक था और बोलने में भी वह बहुत शालीन और सौम्य था। आते ही उसने शाइना का दिल जीत लिया और उसने न केवल उसकी पूरी तरह से काम समझाने में मदद की बल्कि उसने उसकी सी. आर भी इतनी अच्छी दी कि देवांशु को एक ही साल में दो प्रमोशन मिल गये। देवांशु भी सदा ही उसका कृतज्ञ रहता था और उसे खुश रखने की हर संभव कोशिश करता।
उसे भी शाइना से काम निकालना अच्छी तरह से आता था और देखते ही देखते देवांशु सफलता की सीढ़ियां चढ़ने लगा और उसका सेहरा वह अपनी काबिलियत के ही सिर बांधता था। पर शाइना के सामने उसकी तारीफ करना उसे खूब आता था क्योंकि उसे भी मालूम था कि शाइना की मदद के बिना वह उस मुकाम तक शायद ही पहुंच पाए जिसकी कल्पना उसने की थी। उधर शाइना अपने एकतरफा प्यार के चलते हर तरह से उसकी मदद करती रहती।
इसी दौरान आॅफिस की तरफ से उन्हें लंदन जाना पड़ा और वहां शाइना ने खुलकर अपनी भावनाओं का इजहार देवांशु से किया और देवांशु ने भी कोई प्रतिकार नहीं किया और उन्हें पता ही नहीं चला कि कब वहां के 15 दिन 15 घंटों की तरह बीत गये। वापिस आने के बाद शाइना अपने भविष्य को लेकर नये-नये सपने संजोने लगी और उसने अपने और देवांशु के नाम से नया घर भी खरीद लिया। देवांशु के जन्म दिन पर उसे उसकी मनपसंद बाइक खरीद कर दी। लेकिन नये साल की शुरूआत से ही शाइना को देवांशु कुछ बदला-बदला सा नजर आने लगा था। अब उसमें वह गर्मजोशी नहीं थी जो पहले हुआ करती थी और अब वेलन्टाइन डे पर भी वह शाइना के साथ न होकर किसी और के साथ था। शाइना अपने आप को बेहद लुटा हुआ महसूस कर रही थी।
देवांशु ने उसका भावनात्मक, मानसिक, आर्थिक और शारीरिक सभी तरह से शोषण किया था और अब वह सफलता की सीढ़ियां चढ़ गया तो उसने बड़ी सफाई से शाइना रूपी सीढ़ी को हटा दिया था, उसे शायद अब उसकी जरूरत ही नहीं थी। लेकिन शाइना यह सब समझने और जानने के बावजूद भी उसे छोड़ना नहीं चाहती और हर कीमत पर देवांशु का साथ चाहती है और जानना चाहतीे है कि कैसे वह अपने प्यार में सफल होगी और उसका प्यार वापिस उसे मिलेगा जिस प्यार की खातिर उसने किसी की परवाह नहीं की, अपने बाॅस तक की नाराजगी सही, और तन, मन, धन पूरी तरह उस पर लुटा दिया वही अब उससे नजरें चुरा रहा है, तो वह क्या करे कि उसे देवांशु मिल जाए।
आइये देखें क्या कहते हैं शाइना की कुंडली के सितारे शाइना की कुंडली के अनुसार लग्नाधिपति मंगल भाग्य स्थान में नीचस्थ है और चतुर्थ दृष्टि से सप्तमेश शुक्र को पूर्ण दृष्टि से देख रहे हैं। चलित कुंडली में चंद्रमा भी नीच मंगल के साथ युति बना रहे हैं जिसके फलस्वरूप शाइना बहुत भावुक स्वभाव की है और अपने निर्णय बुद्धि की अपेक्षा दिल से लेती है।
शाइना की कुंडली में पंचमेश और दशमेश का भी संबंध बन रहा है अर्थात पंचमेश दशम भाव में स्थित है तथा दशमेश सूर्य की पंचम भाव पर पूर्ण दृष्टि है। यह इस बात का संकेत है कि उसका प्रेम संबंध अपने कार्यक्षेत्र से जुड़े व्यक्ति से होगा। शाइना की कुंडली में दशमेश ग्रह सूर्य लाभ स्थान में बैठकर प्रेम प्रसंग स्थान पंचम भाव को देख रहा है जिसके कारण इसने देवांशु को तन-मन-धन से लाभ पहुंचाया। द्वितीयेश व पंचमेश गुरु दशम भाव में दो नैसर्गिक पाप ग्रह राहु-शनि व चंद्र के साथ बैठे हैं। राहु और शनि अलगाववादी ग्रह भी हैं।
इसके अतिरिक्त मंगल ग्रह चतुर्थ दृष्टि से तथा शनि तृतीय दृष्टि से सप्तमेश शुक्र एवं दशम दृष्टि से सप्तम भाव को देख रहे हैं। इसी कारण देवांशु ने शाइना को धोखा दिया और उसे अपना कार्य साधने के लिए ही इस्तेमाल किया। दूसरी ओर से विचार करें तो पंचमेश बृहस्पति सूर्य और मंगल के पापकत्र्तरी प्रभाव से ग्रसित है। इस कारण से भी शाइना को अपने प्यार में सफलता नहीं मिली और इतनी उम्र बीत जाने के बाद भी विवाह नहीं हुआ।
केंद्र में दशम भाव में गुरु, राहु, शनि व चंद्र की युति से शाइना की कुंडली बहुत बलशाली हो गई है और उसने अपने करियर में बहुत प्रगति की। अभी गोचर का विचार करंे तो गोचर के शनि और राहु द्वादश भाव में सप्तमेश शुक्र पर गोचर कर रहे हं और मंगल से संबंध बना रहे हैं जिसके कारण शाइना के प्रेम संबंध पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। शुभ ग्रह गुरु भी गोचर में अष्टम स्थान में स्थित है। लेकिन जून 2014 मं जब गुरु भाग्य स्थान में आएंगे तथा पंचम भाव को नवम दृष्टि से देखेंगे तब शाइना का खोया प्यार मिलने का योग बन सकता है।
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