दीपावली पर धनलाभ के अनुभूत उपाय
दीपावली पर धनलाभ के अनुभूत उपाय

दीपावली पर धनलाभ के अनुभूत उपाय  

आर. के. शर्मा
व्यूस : 5647 | अकतूबर 2015

1. लक्ष्मी एवं अन्नपूर्णा कृपा शरद पूर्णिमा के दिन नये सफेद कपड़े को हल्दी या केशर से रंगकर पीला कर लें। दीपावली की रात्रि में इस वस्त्र पर 3 मुट्ठी नागकेशर, कुछ तांबे के सिक्के या चांदी की छोटी सी चरण पादुकायें रखकर पोटली बना दें। दीपावली पूजन के साथ इसका भी पूजन करें। पूजन के बाद अगली सुबह इस पोटली को रसोई घर में ऊंचाई पर टांग दें। इसके बाद चमत्कार द ेख े ं। यदि किसी कारण दीपावली पर नहीं कर पायें तो किसी शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (पड़वा) अथवा प्रथम बुधवार को कर सकते हैं।

2. लक्ष्मी का स्थाई निवास दीपावली की रात्रि को इस यंत्र को भोजपत्र पर अष्टगंध (या केशर) से तथा पूजा स्थल की दीवार पर सिंदूर से लिखें। प्रथम सबसे छोटा, फिर बड़े, फिर उससे बड़े अंक क्रमानुसार ही लिखें। यंत्र के मध्य में रोली का तिलक कर दीपक-धूप-प्रसाद अर्पित करें। मां से अपने घर में स्थायी निवास करने हेतु प्रार्थना करें। भोजपत्र के यंत्र को चांदी के ताबीज में भरकर, लाल रेशमी धागे में बांधकर गले में लटका लें तथा दीवार के यंत्र की नित्य पूजा करते रहें।

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3. कारोबार पर लक्ष्मी कृपा आपके किसी व्यवसाय, दुकान आदि में हानि हो रही है तो अपने व्यवसाय स्थल पर ‘श्री यंत्र’ की स्थापना करें। यंत्र की तिलक, पुष्प, धूप, दीप आदि से पूजन करें। कमलगट्टे की माला से’’ ऊँ श्री शुक्ल महाशुक्ले निवासे श्री महालक्ष्मी नमो नमः।’’ - 11 माला मंत्र जाप रात्रि में ही करें। प्रातः प्रसाद को बच्चों में बांट दें। दुकान आदि में स्थापित यंत्र की धूप-दीप के साथ पूजा कर मंत्र की एक माला अवश्य जाप करें। आपको एक माह में प्रभाव दिखाई देने लगेगा।

4. शीघ्र धनदायक उपाय आपने दीपावली पूजन म े ं जा े धान/चावल या खीलें अर्पित किये ह ै ं प ्रातः उनका े ही एकत्रित करक े 11 कौड़ियों के साथ लाल वस्त्र म े ं बा ंधकर धन स्थान (तिजा ेरी/स ेफ) में रखने से वर्षभर लक्ष्मी कृपा बनी रहती ह ै, नित्य पूजा भी करें।

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5. बेरोजगारी के लिए दीपावली की रात्रि में अपने घर के प्रत्येक कमरे व मुख्यद्वार पर गेहूं की छोटी-सी ढेरी बनाकर उसके ऊपर शुद्ध घी का दीप जलायें, जो रात भर जले। यह उपाय बेरोजगारों को रोजगार दिलाता है।

6. कर्ज से मुक्ति के लिए दीपावली के पूजन से पूर्व आप किसी लक्ष्मीनारायण या दुर्गा देवी के मंदिर में जायें, पुजारी से अपने नाम से पूजा एवं आरती करवायें, दान-दक्षिणा एवं लाल रंग का वस्त्र उसे दान में दें। मंदिर में अर्पित दीपक से एक दूसरा दीपक जलायें और उसे घर पर लाकर, अब लक्ष्मी-पूजा करें। इस दीपक में रातभर के लिए पर्याप्त घी भर दें। अगली सुबह आटे का एक ीपक बनायें उसमें सरसों का तेल डालकर, रात्रि के दीपक से जलाकर किसी निकट स्थित चैराहे पर स्थित पीपल क े नीच े अर्पि त कर आय े ं, वापसी में पीछे मुड़कर न देखें। घर में प्रवेश से पूर्व हाथ-पैर अवश्य धोयें।

7. धनतेरस को 5 चांदी के तथा सोने क े वर्क तथा 7 नारियल (एकाक्षी नारियल हों तो अच्छा है) लें और घर के मंदिर में रख दें। दीपावली की रात्रि पूजा में लकड़ी की चैकी पर एक लाल कपड़ा बिछाकर इनको उस पर रख दें। पूजा के बाद कमलगट्टे की माला से ‘श्रीं’ मंत्र की 3 माला जाप करें। इसके बाद सातों नारियल तथा वर्कों को लाल वस्त्र में ही बांधकर, तिजोरी में, धन रखने के स्थान में रख दें।

8. आर्थिक बाधायें दूर करने का उपाय धनतेरस से दीपावली तक, लगातार तीन दिन संध्याकाल में ‘श्री गणेश स्तोत्र’ का पाठ करें। पाठ के बाद कोई हरी सब्जी या हरा चारा या घास गाय को अवश्य खिलायें।

9. कर्ज से मुक्ति एवं धन लाभ होना नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली) पर लकड ़ी की चा ैकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर, लाल चंदन, लाल गुलाब तथा थोड़ी-सी रोली रखकर पोटली बनायें और उसका पूजन करें। प्रातः इस पोटली को तिजोरी में रख द े ं। तीन माह बाद शुक्ल पक्ष क े प्रथम मंगलवार को इस पोटली को निकालकर दूसरी पोटली को तिजोरी में रखें और पुरानी को जल में प्रवाहित कर दें। इस तरह प्रत्येक 3 माह में पोटली बदलते रहें। आप देखेंगे कि आपका कर्ज चुकता जा रहा है और धन संग्रह होता जा रहा है।

10. व्यवसाय में रूकावट तथा धनागम अवरूद्ध धनतेरस से द्वितीया तिथि (भाई दूज) तक सायंकाल में एक बेदाग नींबू लें और सायंकाल में चैराहे पर जाकर, उसको चार भागों में काटकर चारों मार्गों पर फेंक दें और बिना पीछे देखे घर आ जायें। घर में प्रवेश के समय हाथ-पैर अवश्य धोयें। धन आयेगा, व्यवसाय में वृद्धि होगी।

11. कर्ज मुक्ति, आर्थिक उन्नति का उपाय: दीपावली की रात्रि में 125 ग्राम काली राई हाथ में लेकर अपने घर की (या अपने ही स्थान पर घूम जायें-घर अलग न होने पर) तीन परिक्रमा लगायें। तीसरे चक्कर म े ं घर स े बाहर निकलकर किसी तिराहे पर आकर मन में ‘‘ऊँ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः’’ का जाप करते हुए थोड़ी-थोड़ी राई दसों दिशाओं में फेंकें तथा बिना पीछे मुड़े घर वापस आ जायें व हाथ पैर धोकर घर में प्रवेश करें।

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