ग्रहफल एवं राशिफल पं. उमेश शर्मा जब कोई ग्रह अपनी निश्चित राशि अर्थात वह राशि जिसका वह स्वामी गिना जाता है, या ऊँच-नीच फल की ठहराई हुई राशि (देखें सूत्र नं. 4), या अपने पक्के घर (देखें सूत्र नं. 2) की बजाय किसी दूसरी राशि में जा बैठे या किसी दूसरे ग्रह का साथी हो जाये या किसी ग्रह की जड़ अदला-बदली कर ले तो ऐसी हालत में वह ग्रह राशिफल अर्थात शक्की हालत का होगा जिसके बुरे असर से बचने के लिए उसके शक का लाभ उठाया जा सकता हैं। इसके विरुद्ध यानि ऊपर कही हुई हालत के उलट हाल पर अर्थात ग्रह अपनी निश्चित राशि या अपने पक्के घर में बिना किसी ग्रह का साथी बने स्थित हो तो वह ग्रह ग्रहफल यानि पक्की हालत का ग्रह होगा जिसके बुरे असर को बदलने की कोशिश नाकाम होगी बल्कि यह काम इन्सानी शक्ति से बाहर होगा। उदाहरणः- उदाहरण कुंडली द्वारा इस सूत्र को अच्छी तरह समझा जा सकता है। उदाहरण कुंडली में बृह. पूर्ण रुप से ग्रहफल का है क्योंकि वह अपने पक्के घर में स्थित है। अतः इसका कोई उपाय नहीं होगा। बाकी समस्त ग्रह उपाय के काबिल होगें। मंगल व शनि भी अपने पक्के घर में हैं परन्तु मंगल का चन्द्र के साथ होने से वह शनि का बुनिम्न तालिका द्वारा जानें कौन सा ग्रह ग्रहफल का राजा होगा एवं कौन राशिफल या साथी मंत्री होगा। कौन ग्रहफल का राजा होगा कौन राशिफल उसका साथी मंत्री होगा 1. बालिग ग्रह ’ 1. नाबालिग ग्रह ’ 2. 9 ग्रह 2. 12 राशियां 3. किस्मत का ग्रह 3. किस्मत को जगाने वाला ग्रह 4. एक-दो-तीन के क्रम से पहले भावों में स्थित ग्रह जब वह निश्चित जगहों से किसी दूसरी जगह हों। 4. बाद के भावों के ग्रह जब कि वह अपनी निश्चित जगह से हटे हुए हो। 5. भाव नं. 1 के ग्रह 5. भाव नं. 9 के ग्रह 6. जन्म के समय लग्न में स्थित ग्रह अपने दौरे के समय तक 6. राशि नं. के हिसाब से उम्र पर बोलने ग्रह अपनी राशि में बोलने की अवधि अर्थात 3 वर्ष तक 7. जन्मसमय का ग्रह(विस्तार से सूत्र नं. 9 देखें) 7. जन्मदिन का ग्रह (विस्तार से सूत्र नं.9 देखें) टिप्पणीः- आम तौर पर वर्षफल के हिसाब से तख्त( लग्न)पर आने वाला ग्रह राजा बनता है और राशि नं. पर बोलने वाला ग्रह मंत्री बनता है। जो ग्रह वर्षफल के हिसाब से तख्त(लग्न) का दौरा कर ले वह बालिग हो जाता है। सूर्य अगर जन्मकुंडली में पहले या 5वें या 11वें भाव या बुध 6ठे भाव में हो तो सारे ग्रह बालिग माने जाते हैं। ’ जन्मकुंडली में लग्न में स्थित ग्रह को छोड़ कर बाकि सभी ग्रह नाबालिग माने जाते हैं। विशेषः- अ. सूर्य कभी राशि फल का नहीं होता सिवाय भाव नं. 1 व 5 में स्थित सूर्य के। सूर्य इन भावों में जिस राशि में होता है उस राशि का स्वामी ग्रह एवं उसके बराबर के ग्रह (देखें सूत्र नं. 3) राशिफल के हो जायेगें। सूर्य के संबंध से राशिफल हो गये ग्रह के अशुभ असर को दूर करने के लिए खुद सूर्य के उपाय से वह शुभ असर देने लग जायेगा लेकिन अगर सूर्य का खुद अपना ही असर दूसरों पर बुरा हो रहा हो तो सूर्य के शत्रु ग्रहों को शुभ करने का उपाय करें । उदाहरण के तौर पर अगर सूर्य सप्तम स्थान में हो और शनि से टकराव हो रहा हो तो चन्द्र को नष्ट करने से सूर्य की मदद होगी। ब. भाव नं. 1 व 5 में स्थित सूर्य अपने मित्र व शत्रु ग्रह को सहायता कर दिया करता है। ऐसी हालत में राशिफल का सवाल या किसी उपाय की जरुरत न होगी। स. चन्द्र हमेशा राशिफल का होता है।