चित्र लगाएं वास्तु दोष दूर भगाएं
चित्र लगाएं वास्तु दोष दूर भगाएं

चित्र लगाएं वास्तु दोष दूर भगाएं  

व्यूस : 14702 | दिसम्बर 2009
चित्र लगाएं वास्तु दोष दूर भगाएं डाॅ. अशोक शर्मा चित्रों का इतिहास अति प्राचीन है। इनका उपयोग मानव सभ्यता के विकास के आरंभिक काल से ही होता आया है। अमीर, गरीब सब चित्रों का उपयोग कर अपने अपने घरों का शृंगार करते हैं। घर में चित्रों के उपयोग से वास्तु के अनेकानेक दोषों से मुक्ति मिल सकती है। इसका उल्लेख विभिन्न प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। पुराणों में कई स्थानों पर वास्तु दोषों के शमन के लिए चित्र, नक्काशी, बेल बूटे, मनोहारी आकृतियों आदि के उपयोग का वर्णन है। चित्र बनाने में गाय के गोबर का उपयोग किया जाता था। राजा भोज का समरांगन सूत्राधार, विश्वकर्मा प्रकाश, राजबल्लभ, शिल्प संग्रह, विश्वकर्मीय शिल्प, बृहद्वास्तु माला आदि वास्तु शास्त्र के महत्वपूर्ण गं्रथ माने जाते हैं। इन ग्रंथों में वास्तु दोषों के शमन हेतु चित्रों के उपयोग का विशद वर्णन है। तंत्र शास्त्र में भी भवन को वास्तुदोष से मुक्त रखने हेतु अलग-अलग वनस्पतियों को जलाकर कोयले से विभिन्न यंत्राकृतियों की रचना का विधान है। आजकल लोग अपनी इच्छानुसार कहीं भी किसी का भी चित्र लगा लेते हैं, जो सर्वथा अनुचित है। यहां घर को वास्तु दोषों से मुक्त रखने के लिए कौन से चित्र कहां लगाने चाहिए इसका एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत है। घर के मंदिर में देवी-देवता के समीप अपने स्वर्गीय परिजनों के फोटो कदापि नहीं लगाने चाहिए। परिवार के मृत व्यक्तियों के चित्र उŸार की दीवार पर इस तरह लगाएं कि उनका मुंह दक्षिण दिशा की ओर हो। अन्य चित्रों का उपयोग यदि ईशान कोण में शौचालय हो, तो उसके बाहर शिकार करते हुए शेर का चित्र लगाएं। अग्नि कोण में रसोई घर नहीं हो, तो उस कोण में यज्ञ करते हुए ऋषि-विप्रजन की चित्राकृति लगानी चाहिए। रसोई घर मंे अन्नपूर्णा का चित्र शुभ माना गया है, किंतु रसोई में मत्स्य, मांसादि भी बनाए जाते हंै इसलिए अन्नपूर्णा का चित्र नहीं बल्कि महाविद्या छिन्नमस्ता का चित्र लगाना चाहिए। यदि मुख्य द्वार वास्तु सिद्धांत के प्रतिकूल तथा छोटा हो, तो उसके इर्द-गिर्द बेलबूटे इस प्रकार लगाने चाहिए कि वह बड़ा दिखाई दे। शयन कक्ष अग्नि कोण में हो, तो पूर्व मध्य दीवार पर शांत समुद्र का चित्र लगाना चाहिए। दक्षिणमुखी मकान प्रायः शुभ नहीं होते किंतु वास्तुसम्मत उपाय कर उनकी शुभता में वृद्धि की जा सकती है। इस हेतु स्वर्ण पाॅलिश युक्त नवग्रह यंत्र मुख्य द्वार के पास स्थापित करना चाहिए। साथ ही द्वार पर हल्दी का स्वस्तिक भी बनाना चाहिए। व्यापार तथा व्यवसाय के अनुरूप चित्रों का चयन दुकान, कार्यालय, कारखाने आदि में उनके अनुकूल चित्र लगाकर लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए आजकल चित्रों का भरपूर उपयोग किया जाता है। किंतु रुदन करते हुए व्यक्ति, बंद आंखों के प्राणियों के समूह, दुखी जनों, सूअर, बाघ, सियार, सांप, उल्लू, खरगोश, बगुला आदि के चित्रों के साथ-साथ भयानक आकृतियों वाले और दीनता दर्शाने वाले चित्र कदापि नहीं लगाने चाहिए। संस्थान से जुड़े कार्यों के चित्र शुभ होते हैं। व्यक्ति को चाहिए कि वह जो व्यापार करता हो वही व्यापार करने वाले विश्व प्रसिद्ध व्यक्तियों के चित्र अपने संस्थान में उपयुक्त स्थान पर लगाए। अपने प्रेरणा स्रोत का फोटो भी अच्छी सफलता में सहयोगी होता है। अध्ययन कक्ष में मोर, वीणा, पुस्तक, कलम, हंस, मछली आदि के चित्र लगाने चाहिए। बच्चों के शयन कक्ष में हरे फलदार वृक्षों के चित्र, आकाश, बादल, चंद्रमा अदि तथा समुद्र तल की शुभ आकृति वाले चित्र लगाने चाहिए। पति-पत्नी के शयन कक्ष में भगवान कृष्ण की रासलीला, बांसुरी, शंख, हिमालय आदि के चित्र दाम्पत्य सुख में वृद्धि के कारक होते हैं। बैठक में रामायण, कृष्ण लीला तथा पौराणिक प्रसंगों के चित्र लगाने चाहिए। किंतु युद्ध, विकलांगता, भयनाक आकृति वाले तथा अंधों के चित्र कदापि नहीं लगाने चाहिए। जिन देवताओं के दो से ज्यादा हाथों में अस्त्र हों उनके चित्र भी नहीं लगाने चाहिए। घर के आसपास जो मंदिर हो, उसमें स्थापित देवी या देवता का चित्र मुख्य द्वार पर लगाना चाहिए। सफेद आकड़े की जड़ की गणेश जी की आकृति बनाकर उसकी नियमित रूप से विधिवत् पूजा करते रहें, घर वास्तु दोषों से सुरक्षित रहेगा।



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