पापी ग्रहों से उत्पन्न कलह का निवारण्
पापी ग्रहों से उत्पन्न कलह का निवारण्

पापी ग्रहों से उत्पन्न कलह का निवारण्  

एम. एल. अग्रवाल
व्यूस : 4507 | जुलाई 2006

आजकल प्रत्येक परिवार, चाहे वह संयुक्त हो अथवा एकल, गृह कलह से ग्रस्त दिखाई देता है। गृह क्लेश के फैले विषाक्त वातावरण से परिवार का मुखिया, परिवार का प्रत्येक सदस्य तनावग्रस्त जीवन व्ययतीत करता है।

गृह कलह का यह वातावरण परिवार के सदस्यों में रक्तचाप, हृदय रोग, उन्माद, मधुमेह जैसी बीमारियों को जन्म देता है, वहीं पति-पत्नी में तलाक, परिवार में बिखराव, जमीन जायदाद तथा व्यवसाय के बंटवारे और लड़ाई झगड़ों का मुख्य कारण बनता है। गृह कलह मुख्य रूप से पति-पत्नी, पिता-पुत्र, भाई-भाई, सास-बहू, ननद-भाभी, देवरानी-जेठानी के मध्य होती देखी गई है। यहां ज्योतिषीय दृष्टि से गृह कलह के कारणों एवं उनके निवारण का विश्लेषण प्रस्तुत है।

दाम्पत्य जीवन में गृह-कलह पति-पत्नी की कामना होती है कि उनके दाम्पत्य जीवन में किसी प्रकार की कड़वाहट पैदा न हो तथा जीवन में सदैव सुख की बयार बहती रहे। लेकिन अधिकतर परिवारों में पति-पत्नी के मध्य लड़ाई-झगड़े, संबंध विच्छेद, तलाक आदि होते देखे गए हंै। इसके लिए ज्योतिषीय दृष्टि से देखंे कि किस प्रकार की ग्रह स्थिति होती है जो गृह कलह को जन्म देती है। जन्मकुंडली में सप्तम भाव, सप्तमेश, सप्तम भाव में स्थित ग्रह, सप्तम भाव पर दृष्टि डालने वाले ग्रह तथा सप्तम भाव के कारक ग्रह से व्यक्ति के दाम्पत्य जीवन के बारे में विचार किया जाता है।


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यदि जातक का सप्तम भाव निर्बल हो, सप्तम भाव पर पापी ग्रह शनि, मंगल, सूर्य या राहु-केतु का प्रभाव हो, गुरु और शुक्र अस्त हांे अथवा पापाक्रांत हों तो दाम्पत्य सुख में बाधा आती है। शनि: शनि का प्रभाव सप्तम भाव पर होने पर दाम्पत्य जीवन शुष्क और नीरस होता है। विवाह के पश्चात जीवन साथी के प्रति उत्साह और उमंग की भावना क्षीण होने लगती है। परस्पर आकर्षण में कमी आ जाती है।

पति-पत्नी साथ रहते हुए भी पृथक रहने के समान जीवन व्यतीत करते हैं। पति-पत्नी के आपस में चिड़चिड़ापन, स्वभाव में कड़वाहट, व्यवहार में रुखा पन आ जाता है जिसके फलस्वरुप पति-पत्नी में छोटी-छोटी बातों पर विवाद पैदा हो जाते हैं। झगड़े होने से परिवार के वातावरण में कलह के बादल छा जाते हैं। मंगल: मंगल पापी और उग्र ग्रह माना जाता है। जातक की कुंडली में मंगल जन्म लग्न से पहले, चैथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित होने पर जातक मंगली माना जाता है।

मंगल जातक के स्वभाव में अधिक उग्रता और क्रोध पैदा करता है। यदि लग्न अथवा सप्तम भाव पर मंगल स्थित हो या सप्तम भाव पर मंगल का प्रभाव हो तथा किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो जातक क्रोधी, स्वाभिमानी एवं अहंकारी होता है। स्वभाव में उग्रता, हठीलापन होने से परिवार में उठने वाली छोटी-छोटी बातों पर पति-पत्नी के मध्य विवाद या झगड़े उत्पन्न हो जाते हैं जो अंत में गृह-कलह पैदा करते हैं।

सूर्य: जन्मकुंडली में सूर्य का प्रथम एवं सप्तम भावों पर प्रभाव होने पर और निर्बल व नीच राशि के सूर्य के सप्तम भाव में होने पर जातक अहंकारी, स्वाभिमानी एवं अड़ियल स्वभाव का होता है। जीवनसाथी से स्वाभिमान का टकराव होता है, जिससे विवाद की स्थिति बनती है।


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राहु: लग्न एवं सप्तम भाव में राहु के दुष्प्रभाव के कारण दाम्पत्य जीवन में विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। अन्य परिवार के सदस्यों के दखल के कारण पति-पत्नी के मध्य विवाद, लड़ाई-झगड़े खड़े होते हैं जिससे उनके दाम्पत्य जीवन में सुख की कमी आती है। पति-पत्नी एक दूसरे को कोसते रहते हंै, एक-दूसरे की निंदा तथा आलोचना करते रहते हैं।

राहु के इस दुष्प्रभाव को कम करने के लिए पति-पत्नी को आपस में आलोचना करने के स्थान पर एक-दूसरे की प्रशंसा करनी चाहिए। गृह कलह को समाप्त करने के ज्योतिषीय उपाय जैसा पूर्व में बताया गया है, गृह कलह के पीछे जातक की कुंडली में स्थित क्रूर और पापी ग्रह शनि, मंगल, सूर्य तथा राहु की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।

परिवार के मुखिया या पीड़ित व्यक्ति को गृह कलह के दौरान चल रही क्रूर व पापी ग्रहों की महादशा अंतर्दशा के अनुसार निम्न ज्योतिषीय उपाय करने चाहिए। गृह कलह का कारक शनि होने पर - भगवान शिव के मंदिर में या घर पर प्राण प्रतिष्ठित पारद शिवलिंग पर नित्य गाय के कच्चे दूध मिश्रित जल से ¬ नमः शिवाय’ मंत्र से अभिषेक करें, साथ ही रुद्राक्ष माला से महामृत्युंजय मंत्र का एक माला जप करें। यदि जप संभव न हो तो उक्त मंत्र की कैसेट या सी.डी. चलाएं।

- गृह कलह से पीड़ित व्यक्ति को काले घोडे़ की नाल से निर्मित छल्ला शुक्ल पक्ष के शनिवार को मध्यमा में धारण करना चाहिए। - प्रत्येक शनिवार को पीपल वृक्ष के नीचे सूर्योदय से पूर्व तिल के तेल का दीपक प्रज्वलित करें। शुद्ध जल, दूध और पुष्प वृक्ष को अर्पित कर तिल का प्रसाद चढ़ाएं। वहीं बैठकर निम्न शनि मंत्र का 21 बार उच्चारण करें।

‘‘¬ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’’

- शुक्ल पक्ष के शनिवार को हनुमान मंदिर में हनुमान के चरणों में लाल सिंदूर मिश्रित अक्षत अर्पित करते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण 21 बार करें:


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‘‘¬ श्री रामदूताय नमः’’

साथ ही हनुमान जी से परिवार में गृह कलह समाप्त करने की प्रार्थना करें तथा हनुमान जी के चरणों का सिंदूर लेकर अपने माथे पर लगाएं। ऐसा कम से कम 7 शनिवार करें। गृह कलह का कारण मंगल ग्रह होने पर

- शुक्ल पक्ष के मंगलवार को स्नान कर हनुमान मंदिर जाएं तथा 100 ग्राम चमेली का तेल और 125 ग्राम सिंदूर हनुमान विग्रह पर चढ़ाएं। साथ ही गुड़ और चने चढ़ाएं। पूजा अर्चना कर वहीं बैठकर बजरंग-बाण का पाठ करें तथा हनुमान जी से गृह कलह समाप्त हो इसके लिए प्रार्थना करें। यह क्रम कम से कम 7 मंगलवार दोहराएं।

- लाल वस्त्र में 2 मुट्ठी मसूर की दाल बांधकर मंगलवार को भिखारी को दान करें। - बंदरों को प्रत्येक मंगलवार चने, केले खिलाएं। गृह कलह का कारण सूर्य ग्रह होने पर

- गृह कलह पीड़ित व्यक्ति को या गृहस्वामी को सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान सूर्य को तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरकर उसमें रोली, अक्षत, लाल पुष्प तथा गुड़ डालकर सूर्य मंत्र अथवा गायत्री मंत्र से अघ्र्य दंे। साथ ही रविवार को विष्णु मंदिर में पुष्प-प्रसाद आदि चढ़ाएं तथा तांबे का पात्र दान करें। हर रविवार को या नित्य सूर्य कवच का पाठ करें।

- तांबे का कड़ा दाहिने हाथ में धारण करें। मोली हाथ में बंाधते समय उसे 6 बार लपेट कर बांधें।

- लाल गाय को रविवार को दोपहर के समय दोनों हाथों में गेहूं भरकर खिलाना चाहिए, गेहूं जमीन पर नहीं डालना चाहिए।

गृह कलह का कारण राहु ग्रह होने पर - प्राण प्रतिष्ठित पारद शिवलिंग पर नित्य जलाभिषेक करें तथा रुद्राक्ष माला से प्रतिदिन ‘¬ नमः शिवाय’ का जप करें। - प्रातःकाल पक्षियों को दाना डालें, यह कार्य बुधवार से प्रारंभ करें।

- नीले वस्त्र में नारियल बांधकर शुक्ल पक्ष के शनिवार को नदी या जलाशय में प्रवाहित करें। ऐसा 7 शनिवार करें।

- केसर का तिलक करें।

- रसोईघर में बैठकर भोजन करें।


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- मजदूरों, हरिजनों और अपंग व्यक्तियों की आर्थिक सहायता करें, उन्हें वस्त्र आदि का दान करें।

पति-पत्नी के मध्य गृह-कलह शांत करने के सामान्य उपाय यहां कुछ सरल उपाय दिए जा रहे हैं जो दाम्पत्य जीवन में व्याप्त गृह कलह के शमन में कुछ सीमा तक सहायक हो सकते हंै।

- यदि पति-पत्नी के मध्य वाक युद्ध होता रहता है तो जिस व्यक्ति के कारण कलह होता हो उसे बुधवार के दिन कुछ समय के लिए (दो घंटे के लिए) मौन व्रत धारण करना चाहिए।

- यदि पति-पत्नी के मध्य परस्पर सामंजस्य एवं सहयोग की भावना का अभाव हो तो उन्हें गुरुवार को साथ-साथ राम-सीता मंदिर या लक्ष्मीनारायण मंदिर जाकर भगवान को पुष्प एवं प्रसाद चढ़ाने चाहिए तथा प्रेम का वातावरण घर में बना रहे ऐसी प्रार्थना करनी चाहिए और प्रसाद का भोग लगाकर मंदिर में बांटना चाहिए!

- पति को चाहिए कि वह शुक्रवार अपनी जीवन संगिनी को सुंदर पुष्प या इत्र की शीशी भंेट करे तथा उसके साथ सफेद मिठाई खाए।

- घर के वातावरण को सुखमय बनाए रखने के लिए घर में गमले में सुगंधित सुंदर पुष्प के पौधे लगाने चाहिए। बड़े कमरे में कृत्रिम सुंदर पुष्प युक्त गमले सजा कर रखें। यदि किसी के जीवन साथी की जन्म कुंडली में आठवें भाव में शनि या राहु स्थित हो तो दूसरे को नीले या काले वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए।

- यदि किसी जातक की पत्नी की जन्मकुंडली में आठवें भाव में मंगल स्थित हो तो गृह कलह का कारण बनता है। इस मंगल के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए महिला जातक को निम्न उपाय करने चाहिए।

- समय समय पर विधवा स्त्री का आशीर्वाद लेती रहे।

- रोटी बनाते समय तवा गर्म होने पर पहले उस पर ठंडे पानी के छींटे डाले और फिर रोटीे।

- अपने शयन कक्ष में लाल वस्त्र में सौंफ बांधकर रखे।

- शयन कक्ष में गमले में मोर पंख सजाकर इस प्रकार रखे कि वे कमरे के बाहर से दृष्टिगोचर न हों किंतु पति-पत्नी को पलंग से नजर आते रहें।

- घर में कलह से मुक्ति के लिए परिवार की स्त्रियों को सूर्योंदय से पूर्व जागना चाहिए और सूर्योदय से पूर्व ही घर की सफाई कर लेनी चाहिए।


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