हस्त रेखा एवं स्वास्थ्य भारती आनंद स्वस्थ शरीर और कांतिमय चेहरा जीवन का सबसे बड़ा आभूषण होता है। जब भी हम कोई हंसता और चमकता हुआ चेहरा देखते हैं तो हमारा मन प्रसन्न हो उठता है। वहीं इसके विपरीत बीमार और मुरझाए तथा कांतिहीन चेहरे से हम दूर रहने का प्रयास करते हैं। स्वस्थ और सुगठित शरीर को सब पसंद करते हैं। किंतु यह सब जानने के बावजूद हम आज अपने स्वास्थ्य के मामले में खासी लापरवाही बरत रहे हैं। लोगों का ऐसा जीवन क्रम उनकी उम्र पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। साथ ही शरीर को स्वस्थ रखने की दिशा में होने वाले चिकित्सा खर्च को भी बढ़ाता है। अनियमित जीवन शैली से उपजने वाले रोगों से जीवन प्रभावित तो होता ही है, मनुष्य के काम करने, पढ़ने लिखने और सोचने विचारने की क्षमता पर भी असर पड़ता है। इन रोगों के अलावा कैंसर, हृदयाघात, गठिया, एड्स जैसी अन्य बीमारियां भी मानव जीवन को प्रभावित करती हैं। इस प्रकार कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बीमारियों से ग्रस्त लोग अपने साथ-साथ समाज को भी नुकसान पहुंचाते हैं। लोग स्वास्थ्य को अनुकूल रखने के लिए यथा संभव प्रयास करते हैं। मनुष्य के हाथों की रेखाओं में उसके स्वास्थ्य का गहरा रहस्य छिपा होता है। इन रेखाओं के विश्लेषण से बीमारियों का पूर्वानुमान कर समय रहते उनसे बचने का उपाय किया जा सकता है। हाथ में मंगल ग्रह पर बहुत अधिक रेखाएं होने से पेट से संबंधित रोग अधिक होते हैं। मंगल से निकली रेखाएं यदि जीवन और मस्तिष्क रेखाओं को पार करे जाए व शनि भी बैठा तो किसी बड़े रोग की संभावना रहती है। बुध के नीचे यदि मंगल ग्रह पर तिल हो तो आंख से संबंधित रोग का भय रहता है। हाथ में यदि शनि की उंगली पर अधिक कट फट हो व शनि क्षेत्र भी अधिक कटा-फटा हो तो गैस व पायरिया जैसी बीमारियों की संभावना रहती है। मंगल ग्रह पर अधिक रेखाएं व शनि ग्रह पर सीढ़ी जैसी रेखाएं होने पर गठिया हो सकता है। मंगल ग्रह पर बड़े-बड़े क्रास हों तो बवासीर की संभावना रहती है। इस रोग की जांच के लिए शनि ग्रह की स्थिति देखना भी आवश्यक है। मंगल ग्रह पर लाल दाग या काला तिल हो और अन्य रेखाओं में भी दोष हो तो व्यक्ति की मौत जहर से होती है। हाथ नरम हो और मंगल ग्रह पर बहुत अधिक रेखाएं हों तो सिर में भारीपन, पेट में गैस व धातु में विकार होते हैं। मंगल ग्रह उत्तम हो और मस्तिष्क रेखा में दोष हो तो व्यक्ति अत्यंत चिड़चिड़ा व गुस्सैल प्रवृत्ति वाला होता है। ऐसे लोगों को रक्तचाप की भी संभावना रहती है। किसी स्त्री के मंगल ग्रह पर मोटी-मोटी आड़ी रेखाएं हों व शनि ग्रह दबा हो तो, उसके गर्भपात या गर्भ से संबंधित रोग होने की संभावना रहती है। यदि हथेली नरम हो, जीवन रेखा को कई मोटी-मोटी रेखाएं काटती हों और हृदय रेखा की एक शाखा गुरु पर और एक शनि पर जाए तो व्यक्ति को नजला हो सकता है। यदि हथेली सख्त हो, मस्तिष्क रेखा मंगल पर जाती हो और भाग्य रेखा मोटी हो तो यह स्थिति रक्तचाप की सूचक है। यदि मस्तिष्क रेखा घूमकर चंद्रमा पर आ जाए तथा जीवन और मस्तिष्क रेखाओं का जोड़ लंबा हो तो जातक उच्च रक्त चाप से ग्रस्त रहता है। जीवन अन्य सभी रेखाओं से रेखा पतली हो और हाथ सख्त या भारी हो तो पेट के रोग हो सकते हैं। किंतु अगर हाथ नरम हो तो फेफड़े कमजोर होते हैं। अगर जीवन रेखा बहुत पतली हो, हाथ खुरदुरा और बहुत ही सख्त हो, और अन्य रेखाओं में दोष न भी हों तो भी व्यक्ति बुरी आदतें अपनाकर पेट या आंतों के रोग स्वयं ही पैदा कर लेता है। मस्तिष्क और जीवन रेखाएं भी पतली हों तो बोलने तथा सुनने की शक्ति क्षीण होती है तथा शुरू की आयु में स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता। जीवन रेखा बहुत ही पतली हो और छोटे-छोटे द्वीपों से युक्त हो और मस्तिष्क रेखा में भी दोष हो तो फेफड़ों से संबंधित रोग या कोई अन्य बड़ी बीमारी हो सकती है। जीवन रेखा मस्तिष्क रेखा से जुड़ती हो और जोड़ लंबा हो तथा गुरु ग्रह दबा हो तो गले के रोग होते हैं। औरतों की जीवन रेखा टूटी हो तो गर्भाशय तथा मासिक धर्म संबंधी रोग की संभावना रहती है। उन्हें शरीर टूटा-टूटा लगता है। हाथ नरम हो, और गुरु की उंगली छोटी हो, तो गर्भ नहीं ठहरता है। यदि भाग्य रेखा के ऊपर द्वीप हो, हृदय रेखा की शाखाएं मस्तिष्क रेखा पर पहुंचती हों तथा मस्तिष्क रेखा पर भी छोटे-छोटे द्वीप हों तो जातक नजले से पीड़ित हो सकता है। यदि मंगल क्षेत्र उत्तम न हो, मंगल पर आड़ी तिरछी रेखाएं हों, हृदय रेखा से सारी रेखाएं गुरु पर्वत या शनि पर्वत पर पहुंचें तो इस स्थिति में भी जातक नजले से ग्रस्त हो सकता है। यदि मस्तिष्क रेखा चंद्र पर्वत पर जाती हो, अन्य रेखाएं दूषित हों, चंद्रमा उन्नत हो तथा हृदय और मस्तिष्क रेखा में अंतर हो तो दमे की संभावना रहती है। हृदय व मस्तिष्क रेखाओं में अंतर कम हो, जीवन रेखा में दोष हो और शनि के नीचे भी जीवन रेखा दूषित हो तो दमे की संभावना प्रबल होती है। यदि शनि के नीचे जीवन रेखा पर द्वीप हो और उस द्वीप से निकलकर कोई रेखा ऊपर की ओर जाती हो तो व्यक्ति को खांसी हो सकती है। रेखाओं की यह स्थिति फेफड़ों की कमजोरी की भी सूचक है। यदि जातक का हाथ नरम हो या गुलाबी रंग लिए हो और रेखाओं का जाल बना हो तो इस स्थिति में भी खांसी की संभावना रहती है। यदि अंगूठे के पास मंगल पर तिल हो, जीवन रेखा में दोष हो और सिर पर चोट के निशान हों तो व्यक्ति सिरदर्द और बुखार से ग्रस्त रहता है। यदि दोनों हाथों में मस्तिष्क और जीवन रेखाओं का जोड़ लंबा हो, जीवन रेखा में गुरु के नीचे द्वीप हो और उससे कोई शाखा निकलकर शनि या गुरु पर जाती हो तो जातक खांसी से पीड़ित रहता है। यदि मस्तिष्क और हृदय रेखाओं में द्वीप हो तथा हथेली सख्त हो तो यह स्थिति सर्वाइकल संबंधी रोग की सूचक है। मंगल रेखा टूटी फूटी हो और उसे आड़ी तिरछी रेखाएं काटती हों तथा हृदय रेखा से शाखाएं निकलकर मस्तिष्क रेखा पर आती हांे तो व्यक्ति सर्वाइकल संबंधी रोग से ग्रस्त रहता है। 1. गुरु पर्वत 2. शनि पर्वत 3. सूर्य पर्वत 4. बुध पर्वत 5. मंगल पर्वत 6. शुक्र पर्वत 7 राहु पर्वत 8. केतु पर्वत 9. चंद्र पर्वत (ग्रहों का विवरण) 1. जीवन रेखा 2. मंगल रेखा 3. स्वास्थ्य रेखा 4. सूर्य रेखा 5. मस्तिष्क रेखा 6. हृदय रेखा 7. विवाह रेखा 8. चंद्र रेखा 9. अन्नतज्ञान रेखा