हस्त रेखा और प्रेम प्रसंग
हस्त रेखा और प्रेम प्रसंग

हस्त रेखा और प्रेम प्रसंग  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 8588 | मई 2007

किसी व्यक्ति के जीवन और चरित्र निर्माण में प्रेम की भूमिका अहम होती है। निश्छल प्रेम अपनी शक्ति के बल पर उसके बिगड़ते जीवन को सही दिशा देता है और उसके मार्ग की बाधाओं को दूर करता है। हाथ की रेखाओं से प्रेम के विभिन्न पहलुओं की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। यहां इसी से जडु े़ कछु महत्वपणर््ू ा तथ्या ंे का उल्लख्े ा प्रस्तुत है।

हृदय रेखा पतली एवं सीधी व शुक्र पर्वत समतल हो, तो प्रणय में ठंडापन होता है। चित्र-1 द द शुक्र पर्वत पर द्वीप से एक रेखा निकल कर विवाह रेखा पर जाकर मिले तो यह योग गुप्त प्रेम का सूचक है। चित्र 1 में अ, आ व चिह्न फ। दो शुक्र वलय, अंगूठा निर्बल, हृदय रेखा दूषित, उंगली नुकीली एवं चंद्र से एक रेखा निकल कर भाग्य रेखा को काटे, तो पत्नी रोगी होती है। 

हृदय रेखा पर लाल तिल, गुरु पर क्राॅस, शुक्र पर आड़ी रेखाएं हों एवं हृदय रेखा विभाजित हो प्रेम प्रसंग में किसी प्रकार की बाधा नहीं आती। चित्र 1 में द क द द विवाह रेखा सूर्य और भाग्य रेखाओं को काटे और शुक्र उन्नत हो, तो व्यक्ति में काम की भावना प्रबल होती है। चित्र-1 में अ आ रेखा स, भ को काट रही है। बुध पर द्वीप चिह्न हो और हृदय रेखा दूषित हो, तो पत्नी पागल होती है। 

अंगूठे के मूल में वृत्त हो, तो दाम्पत्य सुखमय रहता है एवं संतान भाग्यशाली होती है। चित्र-1 ब शुक्र पर जाल व हृदय रेखा का विभाजित होना दोनों वासनामय प्रेम के सूचक हैं। हथेली गुलाबी व हृदय रेखा दो भागों में विभक्त हो, गुरु पर्वत पर क्राॅस हो और शुक्र से एक रेखा बुध पर्वत तक जाए, तो व्यक्ति हठी किंतु विवेकशील होता है और दाम्पत्य जीवन सफल होता है।

मणिबंध एवं जीवन रेखा से जुड़ती हुई रेखा निकले, तो व्यक्ति नशीली दवाइयों का व्यसनी होता है। चित्र-3 आ रेखा चित्र 3 में अ अ रेखा दीक्षा, साधु प्रवृत्ति व संन्यासी विचारधारा की सूचक है। जिनके हाथों में यह रेखा होती है वे प्रेम प्रसंगों से दूर रहते हैं। चित्र सं. 3 में स स रेखा चंद्र से जीवन रेखा तक जोश, कामवासना आदि की सूचक है।

यदि यह शुक्र तक जाए, तो व्यक्ति नशीली दवाइयों का व्यसनी होता है, उसकी आयु कम होती है और पत्नी से विवाद के फलस्वरूप उसकी मृत्यु होती है। चित्र-2 में स जीवन रेखा शुक्र पर्वत के पास द्विशाखी हो, तो प्रेम संबंध में दरार आती है। यदि भाग्य रेखा हृदय रेखा पर जाकर समाप्त होती हो, तो प्रेम प्रगाढ़ होता है। विवाह रेखा से कोई रेखा मंगल क्षेत्र पर जाए तो विवाह के समय किसी संबंधी की मृत्यु होती है।

चित्र-3 द रेखा यदि मणिबंध से शनि तक कोई रेखा जाए और हाथ निर्बल हो, तो विवाह अधिक उम्र वाले से होता है। चित्र-4 में अ शुक्र पर द्वीप का चिह्न और वहां से दो रेखाएं जीवन रेखा पर जाकर मिलें, तो जातक पत्नी पर शक करता है। यदि तीन खंडित रेखाएं बुध या शुक्र पर हांे, तो विवाह के बाद शीघ्र मृत्यु हो जाती है।

चित्र 4 ब अंगूठे के भाव से निकल कर कोई रेखा विवाह रेखा को काटे, तो पत्नी पति हन्ता होती है। भाग्य रेखा दो शाखाओं में विभाजित हो और शनि पर्वत दबा हो, तो पुनर्विवाह की संभावना रहती है। यदि हृदय रेखा सीधी और चंद्र पर्वत उन्नत हो, तो प्रेम सफल व सच्चा होता है। बुध पर्वत पर तिल हो, तर्जनी के पर्व पर तीन टूटी रेखाएं हों और शुक्र से कोई रेखा निकाल कर जीवन रेखा को काटे, तो स्त्री कम उम्र में विधवा हो जाती है। बुध एवं चंद्र उन्नत हांे और हृदय रेखा अच्छी हो, तो स्त्री विदुषी होती है।

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