पिछले साल 23 दिसंबर 2012को राहु और शनि की युति हो गई जो 12 जुलाई 2014 तकचलेगी और शनि अभी तुला राशि में2 नवंबर 2014 तक रहेंगे। चूंकि शनि व राहु परिवर्तन के द्योतक हैं और 2014 के मध्य तक प्रभावी रहेंगे अतः केंद्र सरकार में अगले चुनावों में अभूतपूर्व एवं अप्रत्याशित परिवर्तन के योग हैं। नए तरह के राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं। ये दोनों ग्रह अपनी चाल से आश्चर्यजनक परिवर्तन लाएंगे जिसका अनुमान भारत की जनता अभी नहीं लगा सकती। यह भी संभव है कि जिन्हें आज प्रधानमंत्री के रूप में देखा जा रहा है वे इस पद को सुशोभित ही न करें और कोई ऐसा व्यक्ति प्रधान मंत्री बन जाए जिसे सपने में भी जनता ने सोचा न हो।
कई राज्य सरकारें इस दौरान बदल चुकी हैं और कइयों में बदलेंगी या राष्ट्रपति शासन लगेगा। आरूषि हत्या कांड में तलवार दंपत्ति को सजा भी हो सकती है। न्यायालय में कई गड़े मुर्दे उखड़ेंगे और ऐतिहासिक व अप्रत्याशित फैसले आएंगे क्योंकि शनि अपनी उच्च राशि तुला में ऐसा ही करते आए हैं। इसका एक उदाहरण अभिनेता संजय दत्त का केस हमारे सामने ही हैं जिसे राहु ने लटकाया और शनि ने वक्री रहते हुए दंड दिलाया। कई अन्य नेताकिसी न किसी घोटाले में फंसेंगे। एक बड़े भूकंप और सुनामी की 8 जुलाई तक आशंका है। सोना, पेट्रोल, प्राॅपर्टी और सेंसेक्स 8 जुलाई 2013 से लेकर 12 जुलाई 2014 के मध्य उछलेंगे। कुछ नए किस्म के कांड सामने आएंगे जो पहले कभी जनता सोच भी नहीं सकती। व्यक्तिगत रूप से जिनकी कुंडलियों में राहु 3, 6, 10, 11 वें स्थान में हैं और उच्च के हंै, वे आकाश की ऊंचाइयां छुएंगे। जिनकी साढ़ेसाती चल रही है, जैसे कन्या, तुला और वृश्चिक राशि और उनका शनि उच्च राशि का है तथा 3 या 11 वें भाव में है, उन्हें इस अवधि में बहुत लाभ होगा बशर्ते दशा भी अच्छी चल रही हो।
कर्क और मीन राशि वाले जिनका क्रमशः चतुर्थ एवं अष्टम ढैय्या नवंबर 2014 तक है, को सतर्करहने की आवश्यकता है। कुल मिलाकर शनि राहु की युति कुछनए गुल खिलाएगी जो 2013-14 मेंदेश का इतिहास बदल देगी। इतिहास गवाह है कि तब जब, राहु-शनि की जोड़ी आकाश में आई है, भारत तथा विश्व में अनेक अप्रत्याशित घटनाएं घटी हैं जिसने विश्व का राजनीतिक नक्शा ही बदल दिया। 1864-65 में अमरीका में सिविल वार हुआ और अब्राहम लिंकन की हत्या हो गई। आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई और एक नए युग का आरंभ हुआ। इससे पहले 1659 में भारत में औरंगजेब ने अपने भाई दारा शिकोह को मरवा दिया और इस्लाम को जबरदस्ती हिंदुओं पर थोप दिया।
इसी प्रकार 1975 में ग्रहों की ऐसी ही युगलबंदी ने इमरजेंसी लगवा दी। जनता नसबंदी, अत्याचारों, जेल जैसे प्रकरणों से गुजरी और जनता पार्टी का उदय हुआ। इसी राहु-शनि की जोड़ ने 1994 में पूरे भारत को गणेश जी दूध पी रहे हैं जैसे अफवाहों से भ्रमित कर दिया। इसी वर्ष इंटरनेट, मोबाईल जैसी क्रांति आई। रियल एस्टेट में आग लग गई। 1975 में इसी राहु-शनि की जोड़ी ने अभिताभ बच्चन को चमकाया और 1994-95 में शाहरूख खान को। 2013-2014 में ये दोनों सितारे अपने जीवन के सर्वोच्च शिखर पर होंगे। यों तो यह युति हर 11 साल बाद आती है परंतु अन्य ग्रहों की स्थिति हर बार अलग होगी और घटनाक्रम अप्रत्याशित होगा परंतु पहले से भिन्न होगा। 2013 में यही शनि और राहु का संगम कुछ नए गुल खिला चुका है और अभी आश्चर्यजनक तथ्य आने बाकी हैं।
इसका मुख्य कारण शनि का 18 फरवरी से 8 जुलाई तक वक्री रहना है। आपने देखा इस अवधि में बहुत सी ऐतिहासिक घटनाएं देश को झिंझोड़ देने वाली सामने आई। सरबजीत, चमेल सिंह का कत्ल। भारत में पाकिस्तानी कैदी पर हमला जिससे दोनों देशों की जनता हिल गई। कई तरह के जी नुमा घोटाले, कोलगेट और रेलगेट जैसे खुलासे ... .. जिसमें सरकार हिल गई। क्रिकेट जगत में फिक्सिंग जैसी घटनाएं जो देशवासियों को हिला देती हैं। चीन और पाकिस्तान ने हमारी सीमाओं पर घुसपैठ की। शनि व राहु का गठबंधन, राजनीति, अर्थव्यवस्था में विश्वव्यापी परिवर्तन लाता है। राहु धोखे करता है और शनि उसे उजागर करता है। शनि न्यायाधीश है और दोषियों को दंडित करता है। जैसे केंद्र सरकार के मंत्रियों को शनि ने मालामाल तो किया परंतु आचरण ठीक न होने के कारण समय आने पर उन्हें दंड देकर छीन भी लेगा।
न्यायालयों के चक्कर लगवाएगा। चैटाला जैसे जेल पहुंच गए। क्रिकेटर और कई फिल्मी हस्तियां घेरे में आ गईं। राहु शरारती व धोखेबाज ग्रह भी है। राहु-शनि के संगम ने यौन उत्पीड़न के केसों में वृद्धि की परंतु शनि ने उन्हें नहीं बख्शा और तत्काल पकड़वाया। शनि जो गैस, पेट्रोल का भी स्वामी है, वक्री होने के कारण पेट्रोल 10 रूपये सस्ता हो गया जबकि आजतक इसमें हमेशा वृद्धि ही हुई है। इसी तरह रियल एस्टेट का मालिक होने के कारण, वक्री होने से जमीन जायदाद का सेक्टर धरातल पर ही रहा। अर्थव्यवस्था में सेंसेक्स बहुत नहीं उछला और सोना जो हमेशा बढ़ता ही जनता ने देखा, वह भी झूले की तरह नीचे आ गया।
येदोनों ग्रह मिलकर उपद्रव, प्राकृतिकविपदाओं को भी आमंत्रित करते हैं।इसी अवधि में कई भूकंप आए औरअमरीका में बड़ा तूफान और चक्रवातआया। इसी अवधि में कई फांसियोंकी सजा सुनाई गई और लटकगई। क्योंकि राहु में कोई कार्य समयसे नहीं हो सकता और अंतिम समयमें निर्णय बदलवा देता है।राहु-शनि अपने इस काल में कईगुल ऐसे खिलाएंगे जिसे जनताअवाक होकर देखती रह जाएगी।