प्रकृति का नियम संतुलन का नियम है। प्रकृति उसी के अनुरूप हमें सुडौल व स्वस्थ शरीर प्रदान करती है। जब हम अपनी आदतों द्वारा शरीर से अधिक छेड़छाड़ करते हैं तो शरीर बेडौल व भद्दा हो जाता है जिसे मोटापा कहते हैं।
मोटापा के लिए निम्न कारक दोषी हैं:
1. अत्यधिक खाना, बार-बार खाना, गलत खाना - 33 प्रतिशत।
2. खाने में प्रोटीन व वसा की अधिकता होना - 10 प्रतिशत।
3. हार्मोनिक असंतुलन - 2 प्रतिशत।
4. तनाव व अत्यधिक दवाओं का सेवन - 5 प्रतिशत।
5. आरामदेह व आलस्यपूर्ण जीवन शैली - 50 प्रतिशत।
मोटे व्यक्ति की अक्ल भी मोटी हो जाती है। मोटापे का चाहे जो भी कारण हो, पर मोटापे की शुरूआत पेट के कब्ज से होती है और मोटापा सारे शरीर की कब्ज है। साधारण कब्ज में पेट खराब रहता है, साफ नहीं होता उसी प्रकार सारे शरीर की कब्ज में नस-नस में मल इकट्ठा हो जाता है फलस्वरूप शरीर मोटा हो जाता है व नाना प्रकार के रोग पनपने लगते हंै।
मोटापे का सर्वप्रथम लक्षण आलस्य, उन्माद व आत्मविश्वास में कमी है। मोटापा रोग से निजात पाई जा सकती है बस आपके पास संकल्प होना चाहिए कि मुझे सुडौल व स्वस्थ होना है। अधिकतर मोटापे से ग्रसित व्यक्ति तुरन्त पतला होने की आशा में समय बर्बाद करते रहते हैं जबकि सच्चाई यह है कि स्थायी रूप से मोटापे की चिकित्सा आपकी जीवन-शैली व खानपान में परिवर्तन ही है ।
जब खून में पी.एच. स्तर घटने लगता है तो मोटापा बढ़ने लगता है। शरीर में क्षार की कमी मोटापे का मुख्य कारण है।
आहार: यदि भोजन में से अम्ल तत्वों को कुछ माह के लिए पूरी तरह बंद कर दिया जाय व क्षार पदार्थों की मात्रा बढ़ा दी जाए तो स्वतः ही धीरे-धीरे मोटापा घटने लगेगा। भोजन को इस प्रकार बनायंे कि उसका प्रतिशत निम्नानुसार रहे:
1. सुबह का नाश्ता रसदार फल:- 85 प्रतिशत अनन्नास, संतरा, मौसमी, नीबू, टमाटर, हल्का प्रोटीन। 10 प्रतिशत छाछ, रावड़ी, दलिया, क्रीम निकला दूध। 5 प्रतिशत पेट को खाली रखें ।
2. दोपहर का खाना सलाद 20 प्रतिशत - टमाटर, खीरा, ककड़ी, पपीता, खरबूजा, प्याज, सब्जी छिलके वाली। 20 प्रतिशत पालक, मेथी, बथुआ, फली, सेम कोई भी। रोटी चोकर युक्त। 20 प्रतिशत गेहंू, जौ, चना, खाली पेट 20 प्रतिशत, जितनी भूख है उससे 20 प्रतिशत पर खाना बंद कर दें।
3. दोपहर का नाश्ता रस 100 प्रतिशत अनन्नास, गन्ना।
4. रात्रि का भोजन फल 50 प्रतिशत - पपीता, सेब, अंगूर, लीची, नाशपाती, अमरूद, भीगा सेक, 10 प्रतिशत मुनक्का, किसमिस, अंजीर, प्रोटीन 5 प्रतिशत फीका दूध, दलिया, मक्के के फुले, परमन, पानी 35 प्रतिशत। नीबू पानी, शहद पानी, नारियल पानी, खीरा। शारीरिक श्रम मोटापे को भगाने का दूसरा हथियार है।
यदि आप नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम, आसन करते हैं तो मोटापा तो भागेगा साथ ही शरीर लचीला व सुन्दर होगा। आप नियमित रूप से सूर्य नमस्कार, गहरी लम्बी श्वांस वाले प्राणायाम, चक्की संचालन, 4-5 किलोमीटर टहलना करते हैं तो शरीर धीरे-धीरे घटने लगता है ।
प्राकृतिक उपचार शरीर के विजातीय तत्वों को बाहर कर पेट व शरीर की कब्ज को दूर करता है। जब शरीर की नस-नाड़ियों की सफाई होने लगती है तो शरीर स्वतः ही संतुलित व व्यवस्थित हो जाता है।
- पेट पर मिट्टी की पट्टी, मिट्टी स्नान व भाप स्नान शरीर की नसों की सफाई कर उन्हें ताकतवर बनाता है।
- कटि स्नान उपापचीय क्रिया को तीव्र कर पाचन संस्थान को मजबूत करता है और मोटापे को भगाता है।
- एनीमा बड़ी आंत व मलाशय की सफाई कर वहां पनपने वाले जीवाणुओं को बाहर कर चर्बी नहीं बनने देता है। एक बार मोटे होने पर वजन ही नहीं घटता ! मोटापा हमारी मानसिक दशा पर भी निर्भर करता है।
मन में यह ख्याल आना कि मैं मोटा हो रहा हंू तो यह ख्याल मन के अवचेतन हिस्से में जाकर मस्तिष्क का स्थायी विचार बन जाता है और यह अध्ययनों से साबित हो चुका है कि अवचेतन मन शरीर की हार्मोनिकल व उपापचय क्रियाओं के लिए जिम्मेदार है। अवचेतन मन का स्थायी विचार पिट्यूटरी ग्रन्थि को प्रभावित कर उसके संचालन को अव्यवस्थित कर देता है
जिसके परिणामस्वरूप थाइमस, थायराॅइड व एड्रीनल ग्रन्थि द्वारा छोड़े जा रहे उपापचीय हार्मोन हमारे पाचन क्रिया को प्रभावित कर चर्बी बढ़ाने का काम करते हैं। हमारे भोजन के मुख्य घटक वसा, कार्बोहाइडेªट, ग्लूकोज शरीर को ऊर्जा देने के अलावा शरीर के तापक्रम को भी नियंत्रित रखते हैं। ये सभी घटक हार्मोन की उत्पत्ति में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
जब अवचेतन मन द्वारा पियूष ग्रन्थि को विचलित कर दिया जाता है तो पियूष ग्रन्थि द्वारा छोड़े जा रहे हार्मोन कम मात्रा में स्रावित होते हैं जिसके कारण उपापचीय क्रिया मंद पड़ जाती है और इस दौरान शरीर स्वतः ही वसा व ग्लूकोज की मांग करने लगता है। यह वसा की मांग शरीर में तेजी से वसा कोशिकाओं में वृद्धि कर मोटापे का कारण बनती है।
इस दौरान जो वसा कोशिकायें निर्मित होती है यह उन वसा कोशिकाओं से अलग होती हैं जो कि हमारे शरीर में पहले से मौजूद थी। ये वसा कोशिकायें शरीर में अलग से लटकी हुई बेडौल चर्बी के रूप में साफ दिखाई देती हैं जिन्हें आसानी से अलग किया जा सकता है।
1. गर्म ठंडा लपेट: यदि इन वसा कोशिकाओं का गर्म ठंडा लपेट या सेक लंबे समय तक किया जाये तो यह स्वतः ही गलकर खत्म होने लगती है।
2. मसाज: यदि इन वसा कोशिकाआंे को दबाव देकर गोलाई व ऊपर नीचे की तरफ मालिश की जाये तो यह टूटने लगती है जिसके फलस्वरूप खुद ये क्षतिग्रस्त होकर वहां से हटने लगती है।
3. लेप: जहां वसा कोशिकायंे ज्यादा हैं यदि उस वसा पर मिट्टी का मोटा लेप किया जाता है तो मिट्टी में पाये जाने वाले विषाणु त्वचा से अतिरिक्त वसा कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर त्वचा व चर्बी में कसाव देते हैं।
4. व्यायाम: योग व व्यायाम द्वारा इस प्रकार की वसा कोशिकाओं को तोड़ा जा सकता है जिसमें दौड़ना, घूमना, तेज गति से चलना, सूर्य नमस्कार, तैरना आदि कई व्यायाम हो सकते हैं।
5. आहार: आहार में वसा व ग्लूकोज की खपत को कम करने पर शरीर अपनी ऊर्जा अतिरिक्त वसा कोशिकाओं से प्राप्त करने लग जाता है जिसके परिणामस्वरूप स्वतः ही वसा कोशिकायें कम होने लगती हैं।
इस श्रेणी में रेशा युक्त आहार व कच्चा आहार महत्वपूर्ण हैं। मन में यह ख्याल न लायें कि मैं मोटा हो रहा हूं। अपने मन को सकारात्मक रखें, रोज ध्यान करें। वजन कम करने के लिए यह रास्ता चुनें
- एक साथ अधिक भोजन खाने की बजाय भोजन को कम मात्रा में बार-बार खायें।
- प्रतिदिन निश्चित समय पर ही नियमित रूप से भोजन करें।
- जब प्यास लगे तो मीठे पेय के स्थान पर पानी ही पीयें।
- खाना खाने के 20 मिनट बाद तक पानी नहीं पीयें।
- खाना-खाने के बाद 10 मिनट वज्रासन में बैठें।
- भोजन की शुरूआत सलाद से करें और तले भोजन से बचें।
- भोजन टी. वी. के सामने बैठकर नहीं जमीन पर या कुर्सी पर आलथी-पालथी मारकर करें।
- मिठाई के स्थान पर मीठे फलों का प्रयोग करें।
- दो आहारों के बीच फल या पानी ही लें।
- भोजन में रिफाइन्ड व चीनी-मैदा से दूरी बनायें रखें।
- जो भी भोजन खायें उसकी एक ही सर्विंग लें दो बार न लें।
- कुकिंग के लिये असंतृप्त तेल सरसों, सोयाबीन, जैतून, मूंगफली तेलों का ही प्रयोग करें।
- सब्जियों को बड़े टुकड़ों में काटें।
- भोजन को अधिक देर तक न पकायें। चोकर युक्त आटे का प्रयोग करें।
- नियमित रूप से व्यायाम करें।
- जूस के स्थान पर फल खायें।
- केवल स्किम्ड दूध प्रयोग में लें। - खाने में मोटे अनाज व मोटे दालों का चयन करें।
- दिनभर में 4 से 5 लीटर पानी पीयें।
- वजन कम करना नहीं बल्कि स्वास्थ्य को अपना लक्ष्य बनायें, वजन स्वतः कम हो जायेगा।
- लंबे समय तक एक ही स्थिति में न बैठें रहें नहीं तो तोंद बाहर निकलने की संभावना रहती है।