कुछ दिन पूर्व पंडित जी माॅडल टाउन, दिल्ली के एक व्यापारी के यहां वास्तु परीक्षण करने गए थे। उनसे मिलकर पता चला कि वह अपनी आर्थिक स्थिति से बहुत परेशान हैं। उनके व्यापार में एक के बाद एक घाटे होते आ रहे हैं और अब तो पिछले कुछ समय से काम बन्द करने की स्थिति आ गई है। बहुत से मुकदमे भी चल रहे हैं। घर में हर समय तनाव की स्थिति बनी रहती है। घर में आने का मन नहीं करता तथा स्वास्थ्य भी ढीला रहता है। वास्तु परीक्षण करने पर पाए गए वास्तु दोष:
1. उनके घर का मुख्य द्वार दक्षिण-पश्चिम में था जो कि घर के मालिक की आर्थिक व स्वास्थ्य हानि कराता है और मालिक को घर से दूर रखता है।
2. उनके घर के दक्षिण में बोरिंग थी जो कि धन हानि, लड़ाई -झगड़े तथा मुकदमेबाजी का कारण होती है।
3. उत्तर-पूर्व में शौचालय बना था जो कि सभी ओर से धन के द्वार बंद होने तथा गंभीर मानसिक तनाव का कारण होता है।
4. प्लाॅट का उत्तर का कोना बंद था जो कि गंभीर आर्थिक समस्याओं का कारण होता है।
5. पूर्व में भारी स्टोर बना था जिसमें भारी मंदिर प्लेट फार्म बनाकर रखा था जो कि विकास में बाधक होता है तथा इससे छाती संबंधी बीमारी होने की संभावना रहती है।
6. घर में रसोईघर कुछ पश्चिम तथा कुछ दक्षिण-पश्चिम में आ रहा था जो कि अनचाहे खर्चों का कारण होता है।
7. घर के ज्यादातर शीशे दक्षिण की ओर लगे थे जो कि खर्चे और बीमारी बढ़ाते हैं। सुझाव:
8. दक्षिण-पश्चिम के मुख्य द्वार के नीचे नौ पिरामिड तथा चांदी की पत्ती दबाने को कहा गया तथा उस पर दहलीज बनाने की सलाह दी।
9. दक्षिण की बोरिंग को जल्दी से जल्दी बंद करने को कहा तथा गड्ढे को पूरी तरह भरने की सलाह दी गई। बोरिंग को उत्तर-पूर्व में करने को कहा गया।
10. उत्तर-पूर्व मे बने शौचालय की सीट को हटाने को कहा गया।
11. उत्तर के कोने को बिल्डिंग की सीध में करने को कहा गया जिससे प्लाॅट के पीछे का कोना खुल सके और ऐसा करने से उत्तर का कोना भी खुल जाएगा तथा बिल्डिंग की उत्तर दिशा बढ़ जाएगी।
12. पूर्व में बने स्टोर को हल्का करने की सलाह दी गई तथा मंदिर के नीचे मार्बल के बने प्लेटफार्म को तोड़ने को कहा गया। उन्हें कहा गया कि स्टोर में हल्का, साफ, सुथरा, थोड़ा-सा सामान दक्षिण की ओर रख सकते हैं तथा हल्का लकड़ी का मंदिर जिसके नीचे पाये बने हों, पूर्व की दीवार पर बनायें।
13. रसोईघर को डाइनिंग की जगह दक्षिण-पूर्व में स्थानांतरित करने की सलाह दी गई।
14. घर के सभी शीशों को दक्षिण से हटवाकर उत्तर-पूर्व, पूर्व या उत्तर में लगाने की सलाह दी गई । पंडित जी ने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा कि उनके बताए सभी सुझावों को कार्यान्वित करने के पश्चात उन्हें अवश्य लाभ मिलेगा।
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