प्रत्येक मनुष्य जीवन में अनेक प्रकार के नए सपने देखता है और नई उमंगों, आकांक्षाओं और आशाओं के साथ जीवन पथ पर खुशियां हासिल करने के लिए प्रयास करता है लेकिन कभी ऐसा भी हो जाता है कि हंसते खेलते जीवन में कुछ ऐसी अनहोनी हो जाती है कि सब कुछ हाथ से फिसलता सा प्रतीत होता है और ऐसी स्थिति के बाद यदि वह अनायास ही अपनी विपत्ति से छुटकारा पा जाए तो जीवन की खुशी दुगनी हो जाती है।
ऐसी स्थिति को हर प्राणी चमत्कार या ईश्वर कृपा से कम नहीं मानता। कुछ ऐसा ही हुआ, आकाश, नेहा और विकास के साथ। आइए, जानें........... ऊषाकालीन सूर्य के दर्शन करना बहुत ही अच्छा लगता है। यह ऊषा सुखद और बहुत ही पाॅजिटिव लगती है। जिस तरह हर व्यक्ति रात को काम खत्म करने के बाद थक कर नये सपने संजो कर सोता है और प्रातः उठकर इन सोचे हुए सपनों को साकार करने में जुट जाता है
उसी तरह हर नया वर्ष भी हमारे लिए नयी आशाएं, नये विचार, नये संकल्प, नयी योजनाएं और नये शिखर लेकर आता है। हम वर्ष के अंत में यही सोचते हैं कि जो गलतियां इस वर्ष में हुई, नये वर्ष में न हों और जो काम इस वर्ष में पूरे नहीं हुए, वे काम कमर कस कर अगले वर्ष में संपन्न करने के लिए तैयार हो जाएं। इसी प्रकार बच्चे यह योजना बनाते हैं कि नये वर्ष का आगाज़ किसी सुंदर स्थान पर किया जाए जिससे कि आरंभ से ही सब कुछ खुशनुमा रहे। आकाश की लंबे अरसे से थाइलैंड जाने की दिली ख्वाहिश थी।
उसने अपने जन्म दिन पर नया वर्ष थाइलैंड में मनाने का गिफ्ट मांगा। उसके पापा विकास ने उसकी खुशी देखते हुए सस्ती दर की टिकट मिलने के कारण अक्तूबर में ही थाईलैंड की टिकट बुक करा दी थी और आकाश से वादा ले लिया था कि वह मन लगा कर पढ़ेगा और अपनी परीक्षा में ए ग्रेड लाकर दिखाएगा। वह पूरे मनोयोग से अपनी पढ़ाई में जुटा हुआ था कि एक रात सोते हुए अचानक उसको मूर्छा आ गई और उसी दौरान उसने काफी हाथ पैर मारे और उसके मुंह से झाग निकलने लगी।
पास में सो रही बहन को जैसे ही पता चला, उसने मम्मी-पापा को जगाया और उन्हें लगा कि पेट में खराबी या कम नींद के कारण ऐसा हुआ है। अगले दिन जब डाॅक्टर को दिखाया तो उन्होंने एम. आर. आई करवाने की सलाह दी। एम. आर आई में रीढ़ की हड्डी के ऊपर एक गांठ होने का अंदेशा हुआ। दुबारा एडवांस एम. आर आई कराने पर पता चला कि आकाश की गर्दन के नीचे एक गांठ है जो कैंसर भी हो सकती है और डाॅक्टरों के अनुसार उसका फौरन आॅपरेशन होना चाहिए।
आकाश के माता-पिता तो यह सुन कर सन्न रह गये और उनके होश उड़ गये। इतने छोटे बच्चे को कैंसर ! अभी तो नवीं कक्षा में पढ़ रहा है, कितने सपने देखे हैं उन्होंने उसके लिए। उन्हें सब सपने टूटते- से दिखने लगे और आकाश की मम्मी नेहा का तो रो- रोकर बुरा हाल था। आकाश के आॅप्रेशन की तारीख अगले ही सप्ताह में रखी गई। कहां तो वह थाईलैंड जाने की तैयारी कर रहा था कहां अब अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।
आकाश बहुत ही मायूस हो गया था सबके उतरे हुए चेहरे उसे और मायूस बना रहे थे। तभी किसी ने विकास और नेहा को ज्योतिषीय सलाह लेने की सलाह दी। ज्योतिषी ने आश्वासन दिया कि इस बालक की दीर्घायु है और इसलिए इस पर आया बड़ा संकट निश्चित रूप से टल जाएगा। भले ही डाॅक्टर कुछ भी कहें क्योंकि इसकी जन्मपत्री में किसी भी प्रकार के खतरे का कोई संकेत नहीं है। बालक पर आए संकट को टालने के लिए उन्हें महामृत्युंजय यज्ञ करने की सलाह दी गई।
अस्पताल जाने के पहले ही इक्कीस पंडितों के साथ अत्यंत जोर शोर से महामृत्युंजय यज्ञ का आरंभ किया गया और करीब 4-5 दिन के अंदर अत्यंत गरिमापूर्ण और शुद्ध उच्चारण से हुए सवा लाख मंत्रों के यज्ञ की पूर्णआहुति पंडित जी ने आकाश के घर पर ही दी। इसी दौरान आकाश का आप्रेशन भी अस्पताल में हो गया और पूर्णाहुति के अगले दिन आकाश के दुबारा टैस्ट कराए गये तो सभी लोग चकित रहे गये क्योंकि उसकी सभी रिपोर्ट बिल्कुल सही थी। किसी को भी एक बार तो विश्वास नहीं हुआ और डाॅक्टरों ने दुबारा दो दिन बाद जांच की तो फिर से सभी टैस्ट रिपोर्ट सही आने पर विकास और नेहा की खुशी का ठिकाना न रहा।
उन्होंने शिव जी को लाख-लाख धन्यवाद दिया। साथ ही पंडित जी की टीम का जिनकी पूजा ने उनके बेटे को अभयदान दिया था। मंत्रों की शक्ति अदृश्य होते हुए भी साक्षात रूप से उन्हें दर्शन दे रही थी। अभी आकाश डाक्टरों की निगरानी में है और दिसंबर में थाईलैंड के दौरे के बारे में नये-नये प्लान बना रहा है और उसने डाॅक्टरों से भी वहां जाने की अनुमति ले ली है। उसे अंधेरी रात के बाद सुबह की जीवनदायिनी किरणें बड़ी सुहावनी लग रही हैं।
उसके लिए नया वर्ष एक नये जीवन का संदेश लेकर आ रहा है और नये भविष्य की ओर ले जा रहा है। आइये, करें आकाश, नेहा और विकास की कुंडलियों का अवलोकन और जाने उनके जीवन में घटने वाली इन अप्रत्याशित घटनाओं का कारण। शास्त्रों में लिखा है कि व्यक्ति को इस जन्म में किये गये कार्यों का हिसाब अगले जन्मोें में चुकाना पड़ता है और इस जन्म के दुख सुख पिछले जन्मों में किये गये कर्मों का हिसाब है।
छोटे बच्चों का भाग्य भी माता-पिता के भाग्य, उनके पूर्व जन्मों व माता-पिता के इस जन्म के कर्मों से बंधा होता है। आकाश की कुंडली में लग्नेश सूर्य नीचस्थ है। शुक्र अकारक और केंद्राधिपति दोष से ग्रसित होकर चतुर्थ भाव में बैठकर और बलवान हो गये हैं और प्रतिकूल प्रभाव दे रहे नवांश में भी स्वगृही होने से शुक्र और अधिक बलशाली हो गये हैं। षष्ठेश शनि रोग के स्वामी होकर अपने ही घर में केंद्रस्थ है। चंद्र के साथ केतु नवम भाव में ग्रहण दोष से दूषित हंै और शनि की दृष्टि में है।
चंद्र कुंडली की बात करें तो चंद्र से अष्टम भाव में गुरु शुक्र और मंगल बैठे हैं और चंद्र से रोग भाव के स्वामी अर्थात षष्ठेश बुध अस्त होकर सूर्य के साथ सप्तम भाव में स्थित है। अब गोचर में देखें तो गुरु चंद्र से द्वादश भाव में तथा लग्न से अष्टम में और शुक्र और बुध भी चंद्र से अष्टम में गोचर कर रहे थे इसीलिए आकाश के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और उसे कैंसर की आशंका में अस्पताल जाना पड़ा। परंतु आकाश को पूर्ण आयु प्राप्त होगी क्योंकि -
1. अष्टमेश गुरु कारक होकर अष्टम भाव को पूर्ण दृष्टि से देख रहे हैं।
2. आयु कारक शनि स्वग्रही होने से बलवान है। इसलिए आकाश की आयु को कोई नुकसान नहीं हो सकता।
3. शुभ ग्रह गुरु, शुक्र व चंद्र लग्नेश केंद्र में स्थित है।
4 लग्नेश सूर्य नीच के होते हुए भी नवांश में उच्च राशि में है। इसलिए उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है और गोचर के ग्रह प्रतिकूल होते हुए भी उसे बीमारी को लंबे समय तक नहीं झेलना पड़ा और सही समय पर सही उपचार मिल गया।
आकाश की मम्मी नेहा की कुंडली के अनुसार उसकी साढ़े साती चल रही है, पंचमेश शनि लग्न से द्वादश भाव में तथा चंद्र से द्वितीय अर्थात् मारक भाव में बैठे हैं और उस पर जन्मस्थ शनि और राहु की पूर्ण कुदृष्टि भी है। लेकिन साथ ही गुरु की दृष्टि भी होने से उनके पुत्र का बचाव हो गया और कुछ खर्चा करवाने के बाद रोग का शमन हो गया। इसी तरह आकाश के पिता विकास की कुंडली में भी साढ़ेसाती चल रही है।
लग्नेश शनि लग्न से अष्टम स्थान में जन्मकालीन राशि पर गोचर कर रहे हैं तथा उस वक्त पंचमेश बुध भी चंद्र से द्वितीय मारक भाव में अस्त बुध तथा नीचस्थ सूर्य के ऊपर गोचर कर रहे थे अर्थात् इन्हें भी मृत्यु तुल्य कष्ट से गुजरना पड़ा।
गुरु की दृष्टि ने संजीवनी बूटी की तरह तीनों कुंडलियों में स्थित प्रतिकूल ग्रहों के गोचर से बचाव किया और योग्य पंडितों द्वारा किये गये सवा लाख महामृत्युंजय मंत्रों के जाप ने भी आकाश को एक सुरक्षा कवच पहना दिया और अस्पताल में किया गया सभी उपचार ठीक रहा और आकाश चमत्कृत ढंग से कैंसर जैसी असाध्य बीमारी से मुक्त हो गया।
मंत्र हमारे जीवन में एक अदृश्य ढाल की तरह काम करते हैं और जब उनका उच्चारण सही विधि और सही ढंग से किया जाए तो निश्चित रूप से मनोवांछित लक्ष्य की प्राप्ति में मदद मिलती है। सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोऽस्तुते।