नवरात्र में क्यों किया जाता है कुमारी पूजन
नवरात्र में क्यों किया जाता है कुमारी पूजन

नवरात्र में क्यों किया जाता है कुमारी पूजन  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 5879 | अकतूबर 2006

नवरात्र में क्यों किया जाता है कुमारी पूजन डाॅ. राजेश जी उपाध्याय हिंदू धर्म में नवरात्रियों में कन्या जिमाने का विशेष महत्व है, नौ दिन तक फलाहार रह कर लोग श्रद्धा एवं भक्ति के साथ छोटी कन्याओं को अपने घर आमंत्रित करते हैं, इन्हें साक्षात देवी का रूप मान उनकी पूजा अर्चना कर उन्हें भोग लगाते हैं। प्रस्तुत है इसी माहात्म्य का वर्णन करता यह आलेख...

भारतीय आध्यात्मिक दर्शन में प्रकृति ही आद्या शक्ति है। इसी कारण शक्ति को जगत में प्रमुख स्थान दिया गया है- मातृ देवी के नाम से विश्व में इसी का पूजन किया जाता है। देवी का सर्वाधिक प्रसिद्ध रूप दुर्गा का है। विभिन्न कारणों से दुर्गाजी ने विशेष रूप से अवतार लेकर नौ बार भक्तों की रक्षा की। वे सभी अवतार 9 प्रसिद्ध शक्तियों के रूप में नवरात्र में अवतरित हुए नवरात्र में इन 9 अवतारों की पूजा साधना का विशेष महत्व है। ये नौ रूप इस प्रकार हैं:

शैलपुत्री ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटा कूष्मांडा स्कन्दमाता कात्यायिनी कालरात्रि महागौरी सिद्धिदात्री अष्टमातृकाओं में इनके आठ रूप इस प्रकार हैं: ऐन्द्री, वैष्णवी, माहेश्वरी, कौमारी, लक्ष्मी, धरा, ईश्वरी और ब्राह्मी।

Book Navratri Special Puja Online

दस महाविद्याओं में इनके रूपों का उल्लेख इस प्रकार किया गया है: काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमल।

दुर्गा जी के अन्य प्रसिद्ध नाम इस प्रकार हैं। दुर्गार्तशमनी, दुर्गापदनिवारिण् ाी, दुर्गमछेदिनी, दुर्गसाधिनी, दुर्गनाशिनी, दुर्गनिहन्त्री, दुर्गमविद्या और दुर्गमेश्वरी।

इन सभी देवियों के लिए ¬ देव्यै ब्रह्माण्यै महा शक्त्यै च धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात् का जप आवश्यक है इसके अतिरिक्त महिषमर्दिन्यै च विद्महे दुर्गायै च धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात् का जप आवश्यक माना गया है। दुर्गा जी की उपासना में ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नवार्ण मंत्र को सर्वाधिक महत्व प्राप्त है। इस मंत्र को दुर्गाजी का शाब्दिक प्रतिरूप माना जाता है। इस मंत्र में नौ अक्षर हैं। नौ वर्णों के योग से संचरित होने के कारण यह नवार्ण कहलाता है। यह परम प्रभावी मंत्र है।

निर्गुण और सगुण तथा निराकार और साकार दोनों ईश्वरीय सत्ताओं की साधना का यह सुगम सोपान है। यह मान्यता है कि गायत्री मंत्र से निर्गुण निराकार ब्रह्म तथा नवार्ण मंत्र से सगुण साकार ब्रह्म की उपासना प्रभावी होती है। ‘‘नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्मताम्’’ नवरात्रि में कुमारी पूजन का विशेष महत्व है। विधिवत जगदंबा रूप कुमारी गौरी कन्याओं का पूजन करके उनके सामने हाथ जोड़कर निम्नलिखित स्तोत्र पढ़ना चाहिए।

Book Online Nav Durga Puja this Navratri

इससे नव दुर्गा सप्तमातृका, अष्टमातृका, षोडशमातृका, महारस्वती, महाकाली, महालक्ष्मी तथा अन्नपूर्णा की कृपा के साथ-साथ दशमहाविद्याओं की कृपा दया प्राप्त होती है। ¬ मातर्देवि। नमस्ते{स्तु ब्रह्मरूप धरे{नघे कृपया हर मे विघ्नं, मंत्रा सि(ि प्रयच्छ मे माहेशि वरदे देवि- परमानंद स्वरूपिणी कौमारि सर्व विघ्नेशि कुमारी क्रीडने वरे विष्णु रूप धरे देवि विनता सुत वाहिनी वाराही वरदे देवि दंष्ट्रोद्धृत वसुन्धरे शक्र रूप धरे देवि शक्रादि सुर पूजिते चामुण्डे मुण्ड माला{सृक चर्चिते विघ्न नाशिनी महालक्ष्मि महोत्साहे क्षोभ सन्ताप नाशिनी। मिति मातृमये देवि मिति मातृ बहिष्कृते । एके बहुविधेदेवि विश्व रूपे नमोस्तुते ।। कृपया हर मे विघ्नं मंत्रा सि(ि प्रयच्छ मे ।।

जीवन में जरूरत है ज्योतिषीय मार्गदर्शन की? अभी बात करें फ्यूचर पॉइंट ज्योतिषियों से!



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.