अनेक विद्वान केवल जन्मकुंडली विश्लेषण को ही भविष्य कथन के लिए श्रेष्ठ विधि मानते हैं। किंतु फल कथन की और भी अनेक पद्धतियां हैं जिन्हें वैकल्पिक पद्धति कहा जाता है। इन्हीं में एक है दक्षिण भारत में प्रचलित नंदी नाड़ी पद्धति, जो अनूठा एवं आश्चर्यजनक परिणाम देने में पूर्ण सक्षम है।
नाड़ी ज्योतिष के विवरण प्रस्तुत करने वाले ज्योतिषी केवल ताड़पत्र का वाचन कर उसमें उल्लिखित तथ्यों को प्रस्तुत करते हैं। नाड़ी ज्योतिष के संबंध में कहा जाता है कि जब मां पार्वती मनुष्य के साथ होने वाली घटनाओं के वृत्तांत को जानने के लिए हठ योग में आ गईं, तब भगवान शिव रात्रिकालीन सुनसान बेला में यह वृत्तांत सुनाने को राजी हो गए।
जब भोले शंकर इस वृत्तांत का बखान कर रहे थे तब शिव-निवास के प्रहरी नंदी ने इसे सुन लिया और महर्षियों को बता दिया। इसे उन महर्षियों ने ताड़पत्र पर लिपिबद्ध कर लिया। नाड़ी ज्योतिष के विवरण प्रस्तुत करने वाले ज्योतिषी केवल ताड़पत्र का वाचन कर उसमें उल्लिखित तथ्यों को प्रस्तुत करते हैं। जो लोग अपनी समस्या का निराकरण पूछने के बाद नाड़ी ज्योतिष में उल्लिखित उपायों को नहीं अपनाते वे भगवान शंकर का अपमान करते हैं, और कहा जाता है कि उन्हें इसका दंड अवश्य भोगना पड़ता है।
जो लोग ज्योतिष को नहीं मानते और इसके उपायों को अंधविश्वास व ढकोसले की श्रेणी में रखते हैं, उन्हें नाड़ी रीडर से अवश्य मिलना चाहिए। इस ज्योतिष में लोगों के परिवार के सदस्यों के नाम तक लिखे मिलते हैं। इस पद्धति के माध्यम से भविष्य जानने के इच्छुक लोगों की भगवान शंकर में निष्ठा जरूरी है। नंदी नाड़ी ज्योतिष में पुरुष के दायें एवं महिला के बायें हाथ के अंगूठे का प्रिंट लेकर नाड़ी रीडर प्रथमतः चार-पांच ताड़पत्र की गड्डियां जातक के समक्ष रखता है और उसके नाम का प्रथम या अंतिम अक्षर पूछता है।
मिलान होने पर इसी ताड़पत्र से और प्रश्न पूछे जाते हैं। अन्यथा दूसरे ताड़पत्र का प्रयोग किया जाता है। नाम का मिलान हो जाने पर उसके माता-पिता या पत्नी के नाम का मिलान किया जाता है। जिन लोगों को अपनी जन्मतिथि, जन्म नक्षत्र, वार, लग्न आदि का पता होता है, वे इन आंकड़ों की सहायता से सही ताड़पत्री आसानी से तलाशने में मदद कर सकते हैं।
नाड़ी रीडर के प्रश्नों का जवाब हां या नहीं में देना चाहिए। प्रारंभिक जानकारियों के आधार पर प्राप्त ताड़पत्री से मूल ताड़पत्री निकाली जाती है, जिससे व्यक्ति की समस्त घटनाओं का विवरण हूबहू प्राप्त होता है। यहां तक कि ताड़पत्री में लिखा होता है कि व्यक्ति की पत्नी, बच्चे, मां-बाप आदि के नाम व संख्या क्या हैं। ये नाम प्रारंभ में पूछे गए नामों के अतिरिक्त होते हैं।
ज्योतिष में भावों की सही गणना के बाद ही घटना क्रम की पुष्टि की जा सकती है और इसके लिए सही जन्म समय का पता होना आवश्यक होता है, किंतु नंदी नाड़ी ज्योतिष में भाव विवरण की सत्यता पर संदेह नहीं किया जा सकता है। नाड़ी रीडर प्रत्येक भाव के विवरण के लिए एक निर्धारित शुल्क लेता है।
ताड़पत्री में उल्लिखित संस्कृत व तमिल भाषाओं को हिंदी या अंग्रेजी में रूपांतरित कर कैसेट में आवाज भर कर जातक को सौंपता है। पीड़ित भाव का उपाय पूछे जाने पर बताता है, जिसे पूर्ण करना आवश्यक माना गया है। नंदी नाड़ी ज्योतिष में प्रत्येक भाव से संबंधित कारक इस प्रकार हैं:
प्रथम भाव: अंगूठे की छाप से कुंडली निर्माण, स्वास्थ्य, सम्मान और 12 भावों का सारांश।
द्वितीय भाव: धन, आंख, परिवार, शिक्षा आदि।
तृतीय भाव: भाई-बहन, साहस आदि।
चतुर्थ भाव: मां, घर, वाहन, भूमि, सुख आदि।
पंचम भाव: संतान।
षष्ठ भाव: बीमारी, फर्ज, शत्रुता, मुकदमा आदि।
सप्तम भाव: विवाह।
अष्टम भाव: दुर्घटना, आयु, संकट, मृत्यु का दिन व समय।
नवम भाव: पिता, धन, भाग्य व धर्मार्थ कार्य।
दशम भाव: व्यवसाय, नौकरी, कर्म क्षेत्र की अच्छाई/बुराई आदि।
एकादश भाव: लाभ, दूसरी शादी।
द्वादश भाव: खर्च, विदेश यात्रा, पुनर्जन्म, मोक्ष आदि। नंदी नाड़ी ज्योतिष में ऊपर वर्णित बारह भावों के अतिरिक्त चार और भाव भी होते हैं जिन्हें अध्याय या कंडम कहते हैं। इनसे जुड़े विवरण इस प्रकार हैं।
तेरहवां भाव: शंति कंडम - परिहार, पिछले जन्म के पाप व उससे मुक्ति के उपाय।
चैदहवां भाव: दीक्षा कंडम - मंत्र जप, शत्रु व भय से छुटकारे का उपाय, लाॅकेट धारण।
पंद्रहवां भाव: औषधि कंडम - असाध्य रोगों का उपाय, औषधि का नाम व उसकी सेवन विधि।
सोलहवां भाव - दशा भुक्ति कंडम - ग्रहों की दशा/अंतर्दशा/ प्रत्यंतर्दशा से संबंधित भविष्यवाणी।
इनके अतिरिक्त इसमें ज्ञान कंडम, प्रश्न कंडम, राजनीति कंडम आदि की जानकारी प्राप्त करने की सुविधा भी है। नंदी नाड़ी ज्योतिष से प्राप्त भावों के विवरणों की सहायता से ज्योतिष की अन्य विधाओं से प्राप्त फलकथन का मिलान कर घटना क्रम की सत्यता की जांच की जा सकती है।
नंदी नाड़ी ज्योतिष के फलकथन से मिलान कर भविष्य की निश्चित संभावनाओं को तलाशा जा सकता है। कभी-कभी ज्योतिषियों द्वारा परिकलित जन्मकुंडली में ग्रहों के भाव तथा नंदी नाड़ी ज्योतिष के ग्रहों के भाव में अंतर पाया जाता है।
ज्योतिष में घटनाक्रम दशा, अंतर्दशा और प्रत्यंतर्दशा नाथों के गोचर भ्रमण के ग्रह स्पष्ट जन्मकुंडली के ग्रह स्पष्ट के तुल्य अथवा 4 अंश के अंतर्गत होने पर ही निर्धारित होता है। घटनाक्रम के समय गोचर के लग्न स्पष्ट या चंद्र लग्न स्पष्ट का जन्मकुंडली के इन्हीं लग्नों से मिलान आवश्यक होता है।
नंदी नाड़ी ज्योतिष में उल्लिखित घटनाक्रम के दिन व समय को ज्योतिषीगण विभिन्न पंचांगों के आधार पर गणना कर निर्धारित कर सकते हैं।
इस गणना से ज्योतिषी यह जानने में सक्षम होंगे कि किस पंचांग के ग्रह स्पष्ट सटीक व सही हैं। जिन जातकों की जन्मतिथि और जन्म समय ज्ञात न हा,े वे भी नाड़ी ज्योतिष का लाभ उठा सकते हैं। इससे उनकी जन्म तिथि व समय भी ज्ञात हो जाता है।
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