ग्रहचाल घर बार और कारोबार को खराब करती है, यह तो सभी जानते हैं। ग्रहों की इस चाल को हस्त रेखाओं के माध्यम से भी पहचाना जा सकता है और समुचित उपाय किए जा सकते हैं। गुरु ग्रह: यह हाथ में तर्जनी के नीचे स्थित होता है। यदि जीवन रेखा सीधी और गुरु ग्रह नीचे बैठा हुआ हो और इस पर अधिक रेखाएं हों तो व्यक्ति स्वभाव का चिड़चिड़ा हो जाता है।
मस्तिष्क रेखा दोषपूर्ण और हृदय रेखा में दोष होने पर घर की शांति खत्म हो जाती है। गुरु की अंगुली छोटी, हाथ लाल या काला होने पर व्यक्तियों के जीवन में कई बार अपमान के अवसर आते हैं। उन्हें गुरु ग्रह की शांति, पाठ और पूजन करने से निश्चित रूप से लाभ मिलता है। शनि ग्रह: शनि ग्रह की स्थिति मध्यमा के नीचे होती है। यदि हाथ में शनि ग्रह उत्तम हो तो व्यक्ति कई प्रकार की विधाओं का ज्ञाता व धनी, अध्यात्म-चिंतन करने वाला व शांतिप्रिय होता है।
इसके विपरीत शनि ग्रह हाथ में उन्नत होने की बजाय यदि बैठा हो तो व्यक्ति को जीवन भर शांति नहीं मिलती, शनि पर्वत पर अधिक रेखाएं होने पर इनका स्वभाव ज्यादातर झूठ बोलने वाला होता है व इनको व्यवसाय में भी सफलता नहीं मिलती। उपाय: शनि मंत्र, शनि चालीसा, शनि आराधना आदि सूर्य ग्रह के समन्वय के साथ करनी चाहिए। सूर्य ग्रह: सूर्य ग्रह की स्थिति अनामिका के नीचे होती है। सूर्य का संबंध प्रसिद्धि, बदनामी, रिश्तेदारी, धन-संपत्ति आदि से है। यदि सूर्य की स्थिति उत्तम हो तथा अन्य ग्रह भी साथ दें तो व्यक्ति अपने जीवन में बहुत यश-मान अर्जित करता है। ठीक इसके विपरीत यदि सूर्य ग्रह हाथ में बैठा हो व्यक्ति झगड़ालू, एवं चिड़चिड़ा रहता है। उपाय: सूर्य आराधना, सूर्य को जल और सूर्य ग्रह के साथ अन्य ग्रह की शांति अवश्य करनी चाहिए।
बुध ग्रह: बुध ग्रह का स्थान हाथ में छोटी अंगुली के नीचे होता है। इस ग्रह के बैठे होने, इसमें कट-फट होने पर व्यक्ति चालाक, दुर्गुणी, जेलगामी, षडयंत्र रचने वाला होता है। उपाय: बुध ग्रह व इसके साथ जुड़े अन्य ग्रहों की शांति। चंद्र ग्रह: चंद्र ग्रह की स्थिति हाथ में बुध की उंगली के नीचे और कलाई के कुछ ऊपर होती है। चंद्र ग्रह का हाथ में अधिक उठा होना और बैठा होना दोनांे प्रकार से हानिकारक होता है। चंद्र ग्रह की स्थिति खराब होने पर व्यक्ति अत्यधिक वासनाप्रिय होते हैं।
अन्य रेखाओं में दोष होने पर व्यक्ति पागलखाने तक पहुंच जाता है। अधिक उठा होने पर आत्महत्या का भी लक्षण होता है। चंद्र पर वृत चिह्न होने पर अचानक मृत्यु की संभावना होती है। उपाय: विधिवत ग्रह की शांति कराएं मंगल ग्रह: मंगल ग्रह की स्थिति हाथ में दो जगह पर होती है। एक तो अंगूठे के पास व दूसरी कनिष्ठिका के नीचे। मंगल की उत्तम स्थिति व्यक्ति को निष्ठावान बनाती है और उत्तम पदों पर आसीन करवाती है। मंगल ग्रह दोषपूर्ण होने पर विवाह में रुकावट या संबंध होकर टूट जाना आदि लक्षण होते हंै।
भाग्य रेखा में द्वीप भी मंगल की स्थिति को अधिक कमजोर बना देता है। इससे व्यक्ति में चिड़चिड़ाहट, बेचैनी, प्रत्येक कार्य में रुकावट, कारोबार में झगड़ा मोल लेने वालों की संख्या बढ़ जाती है। मंगल की शांति अन्य ग्रहों के साथ ही संभव है। शुक्र ग्रह: शुक्र का क्षेत्र हाथ में सबसे अधिक होता है। इसका स्थान जीवन रेखा के भीतर होता है। शुक्र ग्रह दोषपूर्ण होने पर वैवाहिक जीवन बहुत अच्छा नहीं होता है। इन्हें कोई न कोई बुरी आदत जैसे शराब, सिगरेट की लत आदि भी लग जाती है, इसका निर्णय भाग्य रेखा देख कर ही करना चाहिए। शुक्र की चाल व्यक्ति का दिल-दिमाग तक हिला देती है।