मोती शंख से हृदय रोग का ईलाज
मोती शंख से हृदय रोग का ईलाज

मोती शंख से हृदय रोग का ईलाज  

सीताराम त्रिपाठी
व्यूस : 9463 | मई 2014

शंख थैरेपी में हृदय रोगियों के लिए ब्लडप्रेशर, हार्टअटैक आदि का ईलाज मोती शंख द्वारा किया जा सकेगा जिसमें साईड इफेक्ट का कोई खतरा नहीं है। यह पद्धति पूर्ण रूप से वैकल्पिक चिकित्सा होते हुए भी वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है। आजकल हृदय रोग से मरने वालों की संख्या अधिक बढ़ी है। असंतुलित खान-पान, अत्यधिक मानसिक तनाव, भय, घबराहट, चिंता, बैचेनी, हाई ब्लडप्रेशर, अचानक नुकसान, हृदय रोग का मुख्य कारण बन जाते हैं। आज हम लोग प्रकृति के अनमोल नियमों को भूल गये हैं। प्रकृति का अद्भुत नियम मानव के स्वास्थ्य पर भी लागू होता है। प्राकृतिक जीवन का परित्याग करके घोर राक्षस रूपी आधुनिक जीवनशैली और अनजाने खान-पान, बुरी आदतों को अपनाया तब से उसकी निरोगी काया पर रोगों का हमला होना शुरू हो गया है। बदलती दिनचर्या से ही उच्च रक्तचाप से लेकर हृदय रोग, मधुमेह, दमा, अस्थिक्षय, कैंसर और मानसिक रोग अधिक होने शुरू हो गये हैं।

प्राकृतिक जीवन शैली को त्यागने का फल आज का मानव भोग रहा है। मेडिकल साईंस के वैज्ञानिकों ने अथक परिश्रम और बौद्धिक क्षमता से इन रोगों का उपचार तो खोजा है किंतु अप्राकृतिक कारणों के सहारे होने से अनुभव बताता है कि ऐसे उपचार से लाभ तो तुरंत मिल जाता है परंतु अस्थायी रूप से तथा रोग मुक्ति के साथ ही साईड इफेक्ट की ज्यादा मार पड़ती देखी गई है। अन्य दूसरी कई बीमारियां और उत्पन्न हो जाती हैं।

स्थाई लाभ पाने के लिए प्राकृतिक उपायों का सहारा लेना आवश्यक हो गया है। अनियंत्रित उच्च रक्तचाप हार्टअटैक का प्रमुख कारण बनता है। कई बार रक्तचाप अत्यधिक बढ़ जाता है और रक्तवाहिनियां रक्त के उस दबाव को सहन नहीं कर पाती हैं। ब्लड प्रेशर सामान्य के मुकाबले अधिक रहने लगता है। रक्त दबाव अधिक होना स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बिल्कुल भी ठीक नहीं है। रक्त दबाव के बढ़ने का असर शरीर के सभी अंगांे पर पड़ता है। उच्च रक्तचाप का असर शरीर के प्रत्येक अंग पर मस्तिष्क और हृदय से लेकर गुर्दा, दिल, आंख, अंतःस्रावी ग्रंथियों तक होने से तत्काल ही दुष्प्रभाव आखिर में मृत्यु का कारण बन जाता है। निरंतर दबाव में काम करते रहने से हृदय की मांसपेशियां थककर कमजोर हो जाती हैं।

कमजोर होने से हृदयाघात हो जाता है। उच्च रक्तचाप मौत का प्रमुख कारण बन गया है। उच्च रक्तचाप के कारण हर वर्ष लाखों लोगों को हृदय की विफलता, हृदय के दौरे का सामना करना पड़ता है तथा लोगों को ब्रेनस्ट्राक की स्थिति के कारण लकवा ग्रसित होकर जीवन गुजारना पड़ता है।

लाखों लोग गुर्दा रोग व अंधेपन के शिकार भी हो जाते हैं। मानसिक तनाव से उपजे उच्च रक्तचाप का अर्थ होता है हाईपर टेंशन। दिल की बीमारियों में सेवन एस स्ट्रेस एवं स्ट्रेन मानसिक तनाव दबाव साल्ट (नमक) शुगर (चीनी) स्पाइसी चटपटे आहार से जमने वाली चिकनाई से बने आहार, स्मोकिंग (धूम्रपान) व एल्कोहल युक्त पेय महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


Get the Most Detailed Kundli Report Ever with Brihat Horoscope Predictions


मोती शंख से हृदय रोग का उपचार (शंख थैरेपी): हृदय रोगी को प्रातः स्नान से निवृत्त होकर पूर्वाभिमुख होकर सूर्य की साक्षी में सीधे खड़े होकर रोजाना मोती शंख से लंबी दीर्घध्वनि से नाद करना चाहिए। प्रातः पूर्व की ओर मुंह करें तथा सायं पश्चिम की ओर करें। प्रातः 11 बार शंख ध्वनि व सायं 6 बार शंख ध्वनि करने का विधान है यह भी एक प्रकार श्रेष्ठ योग है। ऋषियों ने शंख नाद योग को सभी योगों का योग कहा है।

प्रातः सायं शंख नाद योग जब समाप्त हो जाये तब गंगा जल मोती शंख में डाल कर शरीर का मार्जन करें। ऐसा करने से हृदय रोगी को शीघ्र आराम मिलता है। जब हम फूंक मारते हैं तब फेफड़ों में हवा भरती है और आॅक्सीजन फेफड़ों द्वारा ब्लड के साथ आराम से हृदय में, संचरण करता है। शंख में लंबी फूंक मारने से शरीर में हृदय की बंद धमनियां काम करने लग जाती हैं। उन बंद पड़ी धमनियों का रास्ता खुल जाता है।

वह सुचारू रूप से काम करने लग जाती है। यह फेफड़ों का प्राकृ तिक अलौकिक चमत्कारी प्राणायाम योग है। लंबी श्वांस शरीर से खंींचना एवं वापस शंख में फूंकना शंख नाद प्राणायाम कहा जाता है। मोती शंख का शंखोदक जल ग्रहण करने वाले का स्वास्थ्य संरक्षण होता है तथा शंख नाद करने से हृदय रोग से मुक्ति होती है। सैकड़ों हृदय रोगियों को मोती शंख नाद योग के द्वारा उपचार से आशातीत लाभ मिलता है। यह शंख सफेद चमकदार आभा युक्त होता है। इस शंख की ऊंचाई चार से पांच इंच तक, पिरामिडनुमा तथा गोलाकार होता है। इस शंख की उत्पत्ति कैलास मानसरोवर के बर्फीले ठंडे मीठे स्चच्छ जल में होती है।

मानसिक अशांति व तनाव से मुक्ति पाने के लिए यह मोती शंख उŸाम माना गया है। हृदय रोगी के हमेशा शंख नाद करने पर तथा इस शंख में गंगा जल का रोजाना आचमन करने से हृदय संबंधी व श्वास रोग ठीक हो जाते हैं। देशी काली गाय के दूध का आचमन शंख से करने पर सभी असाध्य रोगों का शमन होता है।

मोती शंख को सिद्ध करने के लिए शंख माला से 108 बार निम्न मंत्रों से जागृत कराएं ऊँ नमः मोती शंखाय मम् शरीरस्य असाध्य रोग शीघ्र मुक्ति प्रदान कुरु-कुरु स्वाहाः।। मोती शंख प्राप्त कर अपने घर में पूजा स्थल पर स्थापित करें। शंख भस्म को करेला के स्वरस में एवं गाय के दूध के साथ सेवन करने से मधुमेह रोग का नाश होता है। त्वचा रोग के लिए मोती शंख भस्म को नारियल तेल के साथ लेप लगाने से मुक्ति मिलती है। शुद्ध शिलाजीत को शंख भस्म एवं शहद के साथ भी सेवन कर सकते हैं।

भारतवर्ष में नाना प्रकार के शंख पाये जाते हैं और वे सभी अपने-अपने विभिन्न गुणों तथा प्रभाव के लिए जनमानस द्वारा प्रयोग किये जाते हैं। परंतु मोती शंख अपने आप में दुर्लभ और महत्वपूर्ण शंख है। इसकी चमक मोती के समान होने के कारण ही इसे मोती शंख कहा जाता है।


करियर से जुड़ी किसी भी समस्या का ज्योतिषीय उपाय पाएं हमारे करियर एक्सपर्ट ज्योतिषी से।




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.