लाल किताब के तरीके से कालसर्प दोष शमन राजीव रंजन यह सही है कि लाल किताब में कालसर्प दोष का वर्णन प्राप्त नहीं होता है। फिर भी लाल किताब के आधार पर राहु तथा केतु की शांति तथा प्रसन्नता हेतु किए जाने वाले उपाय विभिन्न प्रकार के कालसर्प दोषों की शांति में भी अपना अच्छा प्रभाव दिखाते हैं। तक की जन्मपत्रिका में यदि समस्त ग्रह राहु तथा केतु के मध्य अवस्थित हों तो कालसर्प योग का सृजन होता है।
यह दोष जातक के जीवन को संघर्ष से भर देता है। यद्यपि इस दोष की शांति के लिए वैदिक अनुष्ठान का प्रावधान है, तथापि लाल किताब में वर्णित विभिन्न उपाय भी कालसर्प योग के अशुभ प्रभाव को कम करने में सक्षम होते हैं। यह सही है कि लाल किताब में कालसर्प दोष का वर्णन प्राप्त नहीं होता है। फिर भी लाल किताब के आधार पर राहु तथा केतु की शांति तथा प्रसन्नता हेतु किए जाने वाले उपाय विभिन्न प्रकार के कालसर्प दोषों की शांति में भी अपना अच्छा प्रभाव दिखाते हैं।
अनंत कालसर्प योग : राहु तथा केतु क्रमशः प्रथम तथा सप्तम भाव में स्थित हों तो अनंत कालसर्प दोष का सृजन होता है। राहु का उपाय करने से इस कालसर्प दोष के अशुभ प्रभावों में कमी होती है- बिल्ली की जेर को लाल रंग के कपड़े में डालकर धारण करें। दूध का दान करें। चांदी की थाली में भोजन करें। काले तथा नीले रंग के कपड़े पहनने से बचें। जेब में लोहे की साबुत गोलियां रखना भी लाभप्रद होता हैं।
कुलिक कालसर्प योग : जातक की जन्मपत्रिका में राहु द्वितीय तथा केतु अष्टम भाव में होकर कालसर्प दोष का निर्माण कर रहे हों तो यह कालसर्प दोष कुलिक नाम से जाना जाता है। निम्न उपाय करें। चांदी की ठोस गोली अपने पास रखें। सोना, केसर अथवा पीली वस्तुएं धारण करें। चारित्रिक फिसलन से बचें। दोरंगा काला, सफेद कंबल धर्म स्थान में दान दें। कान का छेदन भी लाभप्रद होता है।
हाथी के पांव की मिट्टी कुंए में डालें। वासुकि कालसर्प योग : राहु तृतीय तथा केतु नवम भाव में होकर वासुकि कालसर्प योग बनाते हैं। इस योग के कारण उत्पन्न अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय कल्याणप्रद होते हैं-
हाथी दांत की वस्तु भूलकर भी अपने पास न रखें। चारपाई के पायों पर तांबे की कील लगवा लें। रात्रि सिरहाने अनाज रखें तथा प्रातः यह अनाज पक्षियों को खिला दें। झूठ बोलने से बचें। स्वर्ण की अंगूठी या कोई भी आभूषण धारण करें। शंखनाद कालसर्प योग : यदि जातक की जन्मपत्रिका में चतुर्थ भावस्थ राहु तथा दशम भावस्थ केतु कालसर्प योग की सृष्टि कर रहे हों तो यह योग शंखनाद कालसर्प योग कहा जाता है। गंगा स्नान करें। चांदी की अंगूठी धारण करना लाभप्रद रहेगा।
मकान की छत पर कोयला रखने से बचें। यदि रोग ज्यादा परेशान कर रहे हों तो 400 ग्राम बादाम नदी में प्रवाहित करें। चांदी की डिब्बी में शहद भरकर घर से बाहर सुनसान स्थान में दबा दें। पद्म कालसर्प योग : पंचम भाव में राहु तथा एकादश भाव में केतु स्थित होकर इस योग की रचना करते हैं। दोष शांति के लिये ये उपाय करें।
अपनी स्त्री के साथ समस्त रीति-रिवाजों के साथ दूसरी बार शादी करें। घर मे गाय या कोई भी दुधारू पशु पालें। चांदी का छोटा सा ठोस हाथी अपने पास रखें। दहलीज बनाते समय जमीन के नीचे चांदी का पत्तर डाल दें। पराई स्त्री से दूर रहें। नित्य सरस्वती स्तोत्र का पाठ करें। महापद्म कालसर्प योग : राहु तथा केतु क्रमशः षष्ठ तथा द्वादश भाव में स्थित होकर इस योग की रचना करते हैं। निम्न प्रयोग लाभकारी रहेंगे। घर में पूरा काला कुत्ता पालें। काला चश्मा पहनना शुभ होगा।
भाईयों या बहनों के साथ किसी रूप में झगड़ा न करें। चाल-चलन पर संयम रखें। कुंआरी कन्याओं का आशीर्वाद लेते रहें। सरस्वती की आराधना कष्ट दूर करने में सहायक होगी। तक्षक कालसर्प योग : इस कालसर्प योग में राहु सप्तम तथा केतु लग्न भाव में स्थित होता है। ये उपाय करें। भूलकर भी कुत्ता न पालें। चलते पानी में नारियल बहाएं। विवाह के समय चांदी की ईंट अपनी पत्नी को दें। ध्यान रहे इस ईंट का बेचना विनाश का कारण होता है।
अतः हमेशा संभालकर रखें। घर में चांदी की ईंट रखें। किसी बर्तन में नदी का जल लेकर उसमें एक चांदी का टुकड़ा रखकर धर्मस्थान में दें। तांबे की वस्तुओं को दान में न दें। तांबे की गोली अपने पास रखें। कर्कोटक कालसर्प योग : यदि राहु अष्टमस्थ तथा केतु द्वितीयस्थ होकर कालसर्प योग की सृष्टि कर रहें हों तो यह योग कर्कोटक कालसर्प योग कहा जाता है। ये उपाय करें। माथे पर तिलक लगाएं।
भड़भूजे की भट्ठी में तांबे का पैसा डालें। चार नारियल नदी में बहाएं। बेईमानी से पैसे न कमाएं। सूखे मेवे चांदी के बर्तन में डालकर धर्मस्थान में दें। जन्म के आठवें मास से कुछ बादाम मंदिर ले जाएं, आधे वहीं छोड़ दें बाकी बचे बादाम अपने पास रख लें। यह क्रिया अगले जन्मदिन आने तक करें। चांदी का चौकोर टुकड़ा जेब में रखें। यदि तक्षक कालसर्प योग में राहु सप्तम तथा केतु लग्न भाव में स्थित होता हों तो निम्न उपाय करें। भूलकर भी कुत्ता न पालें। चलते पानी में नारियल बहाएं।
तांबे की वस्तुओं को दान में न दें। शंखचूड़ कालसर्प योग : जब जातक की जन्मपत्रिका में समस्त ग्रह नवमस्थ राहु तथा तृतीयस्थ केतु के मध्य हो तो इस कालसर्प योग का निर्माण होता है। निम्न उपाय कारगर होंगे। कुत्ते या दुनियावी तीन कुत्ते (ससुर के घर जमाई, बहन के घर भाई तथा नाना के घर दोहता) का पूरी ईमानदारी से पालन करें। सोना धारण करें। केसर का तिलक लगाएं। पीला वस्त्र धारण करें। सुबह-सुबह पक्षियों को दाना-पानी डालें। घातक कालसर्प योग : दशमस्थ राहु तथा चतुर्थ भावस्थ केतु के मध्य समस्त ग्रह स्थित हों तो यह योग बनता है।
ये उपाय करें। सिर खाली न रखें। टोपी या साफा कोई चीज सिर पर हमेशा रखें। सरस्वती का पूजन करें। चांदी का चौकोर टुकड़ा जेब में रखें। सोने की चेन पहनें। हल्दी का तिलक लगाएं। मसूर की दाल (बिना छिलके वाली) नदी में प्रवाहित करें। विषाक्त कालसर्प योग : जन्मपत्रिका के एकादश भाव में स्थित राहु तथा पंचम भाव में विराजमान केतु के मध्य समस्त ग्रहों के होने पर विषाक्त कालसर्प योग का निर्माण होता है।
दोष शांति के लिये ये उपाय करें। मंदिर में दान करें। तांबे या लाल वस्तु दान न दें। अस्त्र-शस्त्र घर में न रखें। सोने की अंगूठी पहनें। चार नारियल जल में प्रवाहित करना इस योग के अशुभ फलों में न्यूनता लाएगा। चांदी के गिलास में पानी पीएं। रात में दूध न पिएं। शेषनाग कालसर्प योग : राहु द्वादश भाव में तथा केतु षष्ठ भाव में स्थित होकर शेषनाग कालसर्प योग का निर्माण करते हैं। लाल मसूर दाल का दान दें।
धर्म स्थान में तांबे के बर्तन दान में दें। चांदी का ठोस हाथी घर में रखें। सोने की चेन पहनें। सरस्वती का पूजन नीले पुष्पों से करें। कन्या तथा बहन को उपहार देते रहें।