हथेली में विवाह रेखा बहुत ही छोटी होती है परंतु व्यक्ति के जीवन में बहुत प्रभावशाली होती है। हाथ की रेखाओं का अध्ययन करते समय हम विवाह रेखा की उपेक्षा नहीं कर सकते। हृदय रेखा एवं जीवन रेखा की तरह यह रेखा इतनी गहरी एवं बड़ी नहीं होती। विवाह रेखा बुध की उंगली के नीचे शुरु होकर अनामिका उंगली की तरफ जाती है। यह हृदय रेखा के ऊपर छोटी उंगली के नीचे स्थित होती है।
सुखी जीवन का आधार दाम्पत्य सुख ही है। परिवार का सुचारू संचालन पति-पत्नी में आकर्षण, प्रेम, समर्पण एवं विश्वास पर टिका हुआ होता है। इनका अभाव दाम्पत्य जीवन को नरक तुल्य बना देता है। विवाह मुहूर्त, कुंडली मिलान, जन्मांग में दाम्पत्य सुख आदि संदर्भ से अलग मनुष्य की हथेली में उपस्थित विवाह रेखा की चर्चा की जा रही है।
हथेली में विवाह रेखा: हथेली में यह रेखा सबसे छोटी लेकिन सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। इस रेखा को विवाह रेखा, वासना रेखा, प्रणय रेखा आदि नाम से जाना जाता है। कनिष्ठा अंगुली के नीचे हृदय रेखा के ऊपर एवं बुध पर्वत के बगल में यह रेखा होती है। हथेली में विवाह रेखाओं की संख्या चार तक हो सकती है। इनमें से एक रेखा ही सर्वाधिक पुष्ट एवं लंबी होती है। विवाह रेखा हृदय रेखा के ऊपर ही सर्वाधिक पुष्ट एवं लंबी होती है। विवाह रेखा हृदय रेखा के ऊपर ही होना चाहिए। जिन व्यक्तियों के हाथों में यह हृदय रेखा के नीचे होती है उनका विवाह प्रायः नहीं होता है। विवाह रेखाओं का अधिक होना इस बात का संकेत है कि विवाह पूर्व या विवाह बाद उतने स्त्री/पुरुषों से प्रणय संबंध बनेंगे कारण विवाह रेखा के साथ जो छाटी-छोटी रेखाएं हैं वे प्रणय रेखाएं है। यदि हथेली में प्रणय रेखाओं का अभाव है तो व्यक्ति काम लोलुप न होकर संयमित जीवन जीता है। दाम्पत्य सुख के लिए हथेली में विभिन्न पर्वत विशेष कर गुरु/शुक्र पर्वत तथा अन्य रेखाओं की स्थिति भी विचारणीय रहती है।
विवाह रेखा लक्षण:
1. यदि विवाह रेखा पूर्ण पुष्ट तथा लालिमा युक्त हो तो व्यक्ति का दाम्पत्य सुखमय व्यतीत होता है। यदि विवाह रेखा कनिष्ठा अंगुली के दूसरे पोर तक चढ़े तो व्यक्ति को पत्नी की प्राप्ति नहीं होती है।
2. खंडित विवाह रेखा जीवन के मध्य काल में पत्नी वियोग देती है यह योग पत्नी की मृत्यु होने या तलाक होने से बनता है। विवाह रेखा नीचे की ओर जाकर हृदय रेखा को छुए तो पत्नी की मृत्यु हो जाती है।
3. शुक्र पर्वत से कोई रेखा निकलकर विवाह रेखा को स्पर्श करे तो वैवाहिक जीवन अत्यंत दुखमय हो जाता है। अंत में दो मुंही विवाह रेखा भी दाम्पत्य जीवन को कलह युक्त बनाती है।
4. हथेली में विवाह रेखा का चैड़ा होना विवाह के प्रति कोई उत्साह न होने का संकेत है। विवाह रेखा से प्रारंभ होकर कोई पतली रेखा हृदय रेखा की ओर जाये तो पति पत्नी के साथ जीवन भर बना रहता है।
5. विवाह रेखा का अंत में कई भागों में बंट जाना अत्यंत दुखी दाम्पत्य का संकेत है। दो मुंही विवाह रेखा की एक शाखा हृदय रेखा को स्पर्श करे तो व्यक्ति का प्रेम संबंध पत्नी की बहन से भी हो जाता है। रेखा की ऐसी स्थिति यदि स्त्री के हाथ में हो तो उसका प्रेम संबंध पति के भाई से हो जाने की आशंका रहती है।
6. विवाह रेखा सूर्य रेखा को स्पर्श कर नीचे की ओर जाये तो अनमेल विवाह होता है। यदि बुध पर्वत पर विवाह रेखा कई भागों में बंट जाये तो कई बार सगाई टूटती है। यदि विवाह रेखा मस्तक रेखा को स्पर्श करे तो पति अपनी पत्नी की हत्या कर देता है।
7. विवाह रेखा पर काला धब्बा पत्नी सुख का अभाव बताता है। यदि विवाह रेखा से कोई रेखा निकल कर शुक्र पर्वत को स्पर्श कर ले तो पत्नी में चारित्रिक दोष हो सकता है।
8. यदि विवाह रेखा आयु रेखा को काटे या विवाह रेखा भाग्य रेखा एवं मस्तक रेखा परस्पर मिले तो दाम्पत्य दुख एवं कलह से परिपूर्ण रहता है। आड़ी रेखा से विवाह रेखा का कटना भी वैवाहिक सुख हानि देता है।
9. विवाह रेखा में झुकाव और झुकाव पर क्राॅस बना हो तो पति/पत्नी की आकस्मिक मृत्यु हो सकती है। विवाह रेखा के उद्गम पर द्वीप का चिन्ह दाम्पत्य सुख बिगाड़ता है।
10. विवाह रेखा पर एक से अधिक द्वीप शादी सुख से वंचित रखते हैं। यदि विवाह रेखा का झुकाव कनिष्ठा की ओर हो तो जीवन साथी की मृत्यु उससे पूर्व होती है। यह लक्षण पति के हथ में हो तो पत्नी की और स्त्री के हाथ में हो तो पति की मृत्यु।
11. बुध क्षेत्र पर दो सामानांतर पुष्ट रेखाओं का होना दो विवाह होने का संकेत है। दो हृदय रेखाएं होने पर विवाह नहीं होता है।
12. चंद्र पर्वत से कोई रेखा आकर विवाह रेखा से मिले तो व्यक्ति भोगी एवं कामुक होता है। मंगल रेखा से आकर कोई रेखा विवाह रेखा को स्पर्श करे तो विवाह सुख नहीं मिलता।
13. भाग्य रेखा और मस्तक रेखा में यव का चिन्ह हो, भाग्य रेखा टेढ़ी हो, विवाह रेखा ऊपर की ओर मुड़ी हो तो व्यति विवाह नहीं करना चाहता है।
14. व्यक्ति आदर्श पति सिद्ध होगा यदि तर्जनी सुंदर सुडौल हो गुरु पर्वत पर एपैक्स केंद्र में हो, शुक्र, चंद्र पर्वत अपने केंद्र में हो, मस्तक रेखा पतली हो तथा आयु रेखा से मिली हो, हृदय रेखा से एक रेखा तर्जनी की ओर तथा दूसरी तर्जनी और मध्यमा के बीच में हो।
15. विवाह रेखा पर फोर्क हो, शुक्र पर्वत उभार लिए हुए हो, मस्तक रेखा जंजीरनुमा हो, शुक्र मुद्रिका दोहरी हो एवं कटी हो तथा हृदय रेखा में यव हो तो व्यक्ति इश्कबाज होता है।
16. निम्न लक्षण होने पर चारित्रिक पतन होने की पूरी संभावना रहती है। शुक्र पर्वत उभरा हुआ हो, उस पर नक्षत्र हो, अंगूठा सुदृढ़ हो, भाग्य रेखा के प्रारंभ से दो समानांतर रेखाएं आयु रेखा को काटती हुई आगे बढ़े, हृदय रेखा गोलाई लिए हुए हो, हृदय रेखा लंबी हो तथा गुरु पर्वत की गहराई को पार कर जाये। आयु रेखा भी गोलाई लिए हो तो ये लक्षण अति काम वासना होने के स्पष्ट संकेत है।
17. यदि हथेली में चंद्र क्षेत्र विकसित हो तो व्यक्ति काम लोलुप तथा स्त्रियों के पीछे लगने वाला होता है। हथेली में प्रणय रेखाएं हों सूर्य पर्वत उभार लिए हो तो व्यक्ति काफी सोच विचार के बाद ही अन्य स्त्रियों से प्रेम संपर्क स्थापित करता है।
18. यदि शनि पर्वत अधिक उभार लिए हुए हो तो व्यक्ति अपने से बड़ी आयु की स्त्रियों से प्रेम संबंध स्थापित करता है उसे स्त्रियों से धन लाभ भी होता है।
19. गहरी प्रणय रेखा गहरे प्रेम संबंध होना बताती है एवं कमजोर प्रणय रेखा अल्प समय के लिए प्रेम संबंध होना व्यक्त करती है। प्रणय रेखा पर क्राॅस हो तो प्रेम संबंध शीघ्र समाप्त हो जाता है और यदि द्वीप हो तो व्यक्ति को प्रेम में बदनामी सहना पड़ता है। प्रणय रेखा सूर्य पर्वत की ओर जाये तो व्यक्ति का प्रेम संबंध ऊंचे घराने की स्त्रियों से होता है।
20. कामान्ध व्यक्ति के लक्षण देखिए कोई रेखा मध्यमा एवं तर्जनी के मध्य से प्रारंभ होकर बुध पर्वत को पार करती हुई कनिष्ठा के नीचे तक चली जाये मस्तक रेखा सूर्य पर्वत के नीचे दो भागों में हो जाये एक शाखा हृदय रेखा के उद्गम स्थल को छुए, दूसरी शाखा चंद्र पर्वत को छुए।
21. स्त्री के हाथ में विवाह रेखा जंजीरनुमा हो तो वह अपने विलास हेतु प्रेम के मामले में चारित्रिक पतन पाती है तथा उसका स्वभाव क्रूरता एवं निष्ठुरता का होता है।
22. मस्तक रेखा छोटी हो हृदय रेखा उसके नजदीक हो शुक्र पर्वत ऊंचा तथा हृदय रेखा छोटी होकर शनि पर्वत के पहले ही समाप्त हो तो व्यक्ति कुकर्मी होता है।
23. शुक्र पर्वत उभरा हुआ हो उस पर जाली हो, अंगूठे के प्रथम पर्व पर नक्षत्र तथा तर्जनी की तीसरी संधि पर तारे का चिन्ह हो तो व्यक्ति दुश्चरित्र होता है।
24. पतिब्रता स्त्री के लक्षण देखें - गुरु पर्वत अच्छा तथा उस पर एक रेखा हो, अनामिका के प्रथम पर्व पर क्राॅस हो, मंगल मैदान में स्पष्ट रेखाएं हों, अंगुलियों की रेखाएं लालिमा युक्त हों, हाथ छोटा एवं साफ रेखाओं वाला हो।
25. आदर्श पति का लक्षण देखें - हथेली सुदृढ, तर्जनी सीधी हो मस्तक रेखा महीन, गहरी एवं सीधी हो, शुक्र एवं चंद्र पर्वत अच्छे हों, अंगूठा चैकोर हो तथा हृदय रेखा गुरु पर्वत पर दो मुंही हो गई हो तथा शाखाएं लंबी हों।
26. स्त्री के हाथ में विवाह रेखा पर नक्षत्र, विवाह रेखा झुक कर हृदय रेखा को स्पर्श करे, विवाह रेखा पर काला धब्बा, विवाह रेखा हृदय रेखा से मिलकर बारीक रेखाएं दोनों रेखाओं को काटे तो वैधव्य घटित हो सकता है।
27. सुखद विवाह के लक्षण हैं यदि चंद्र पर्वत से आकर कोई रेखा भाग्य रेखा में मिले, भाग्य रेखा चंद्र पर्वत से निकल कर हृदय रेखा तक जाये, मणिबंध से रेखा निकलकर शनि पर्वत तक पहुंचे तथा चंद्र पर्वत से कोई रेखा आकर उसमें मिले।
कुंडली मिलान के साथ-साथ यदि संभव हो तो हथेली में मौजूद विवाह रेखा, अन्य रेखाओं, पर्वतों एवं विभिन्न चिन्हों द्वारा स्थापित दाम्पत्य सुखदायक एवं दुखदायक योगों पर अवश्य ही विचार कर लेना चाहिए जिससे भावी दंपत्ति का वैवाहिक जीवन पूर्ण सुखद रहे।