स्कद पुराण में कहा गया है मंगलो भूमि पुत्राश्च ऋणहर्ता-धनकर्ता, अर्थात् मंगल भूमि के पुत्र हैं, और जो उनकी उपासना आदि करता है वह कभी भी ऋणग्रस्त नहीं होता और उसके जीवन में धन संपत्ति का कभी अभाव नहीं रहता है। जीवन में सर्वत्र मंगल ही मंगल होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल को नवग्रहों में विशिष्ट स्थान प्राप्त है। जो महत्व गोचर में शनि की साढ़ेसाती एवं ढैया का है, वही महत्व कुंडली मिलान आदि में मंगल का भी है। जीवन में मंगल की यंत्र, मंत्र, पूजा आदि के द्वारा उपासना करने से व्यक्ति का जीवन सुखमय होता है। यहां मंगल के दोषों के शमन के कुछ सरल उपाय दिए जा रहे हैं जिन्हें अपनाकर जिज्ञासु साधक लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
मंगल यंत्र: जिन लोगों की कुंडली में मंगल अशुभ हो और वह मूंगा भी धारण नहीं कर सकते हों, उन्हें इस यंत्र की शुक्ल पक्ष के मंगलवार को अपने घर में स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा करके नित्य धूप, दीप से पूजन एवं मंगल मंत्र ¬ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः का 108 बार जप करने से मंगल ग्रह के अशुभ फल की शांति होती है। उपासक को धन, भूमि, मकान आदि का सुख प्राप्त होता है और शत्रुओं के षड्यंत्र से रक्षा होती है।
मूंगे का लाॅकेट: जिन व्यक्तियों के मन में घबराहट अधिक रहती हो, किसी से खुलकर बात करने में संकोच होता हो, आलस्य अधिक आता हो उन्हें मूंगे का लाॅकेट गले में धारण करने से लाभ प्राप्त होता है।
14 मुखी रुद्राक्ष: यह रुद्राक्ष हनुमान जी का प्रतीक माना जाता है। हनुमान जी का प्रतीक होने से इसे मंगल ग्रह की अनुकूलता के लिए धारण किया जाता है। इसे धारण करने से बल, बुद्धि, विद्या, संपत्ति, पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। इस रुद्राक्ष को पंचामृत से अभिषिक्त करके सोने की चेन अथवा लाल धागे में शुक्ल पक्ष के मंगलवार की सुबह धारण करें।
मूंगे की माला: इस माला पर मंगल ग्रह का मंत्र जपने से सफलता शीघ्र प्राप्त होती है। यदि मंगल ग्रह अशुभ हो तथा ऋण से मुक्ति न मिल पा रही हो, जमीन, जायदाद के लाभ में कमी हो, तो इस माला पर मंगल के मंत्र का जप करने कार्य सिद्धि शीघ्र होती है। जो लोग मूंगा हाथ में धारण नहीं करना चाहते वे इस माला को गले में धारण कर सकते हैं।
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