वास्तु सम्मत दुकानें: यदि आप दुकान किराये पर लेने जा रहे हैं तो इन बातों पर अवश्य ध्यान दें दुकान का मुख पूर्व या उŸार की ओर हो। दुकान वर्गाकार या आयताकार हो, दुकान के पीछे का भाग अधिक चैड़ा तथा आगे का कम चैड़ा होने से यह गौमुखी कहलाता है। यह दुकान लाभप्रद नहीं रहेगी। विपरीत पीछे का भाग संकरा तथा आगे का भाग चैड़ा होने से सिंह मुख कहलाता है और यह दुकान शुभफलदायक होगी। दुकानदार एवं कर्मचारी दक्षिण या पश्चिम की ओर मुख करके बैठते है तो प्रायः धन हानि व कष्ट होता है।
अतः इनको पूर्व व उŸार की ओर मुख करके बैठने से धन लाभ तथा बरकत होती है। प्रवेश द्वार की ओर ढलान न हो, दुकान के द्वार पर देहरी (चैखट) नहीं होनी चाहिए। दुकान में शोकेस केवल दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखे जायें, कैश काउंटर का मुख उŸार की ओर हो या पूर्व की ओर हो, नगद पेटी कभी खाली न हो। अच्छे धन लाभ हेतु तिजोरी/कैश बाॅक्स में श्रीयंत्र या कुबेर यंत्र रखंे।
भोजन/जल ग्रहण करने हेतु पूर्व या उŸार की ओर मुख करें। गद्दी पर बैठकर न तो भोजन करें और न ही सोयें। नगद पेटिका या मेज पर पैर रखकर न बैठें। किसी को भी दान देना हो तो मुंह पूर्व या उŸार की तरफ करें दान कभी फेंककर न दें, साथ ही दान देते वक्त, जमीन या आसमान की ओर देखते हुए न दें, दान सुबह दुकान खेलते ही व शाम को बिजली जलाने के बाद न दें। दुकान में बरकत न होती हो, तो गणेश जी की मूर्ति/तस्वीर मुख द्वार के ऊपर आगे-पीछे दोनों तरफ लगाएं, दुकान यदि दक्षिण मुखी हेै तो गणेश जी प्रतिमा/तस्वीर केवल बाहर की ओर ही लगाएं।
व्यवसाय में अशांति रहने पर श्री लक्ष्मी सहस्रनाम का पाठ करें, कराएं, सरकारी तंत्र द्वारा बार-बार परेशान किये जाने पर प्राण-प्रतिष्ठित सूर्य यंत्र लगायें। दुकान दक्षिण मुखी हो, शत्रु या गुण्डों द्वारा परेशान हों तो प्राण प्रतिष्ठित काली या बगुला मुखी यंत्र लगाएं। दुकान शुभ लाभदायक रहे, इसके लिए दुकान चैखट/ऊपर प्राण प्रतिष्ठिा युक्त बीसा या चैतीसा यंत्र लगाएं। दुकान में अपने कुल देवता तथा इष्ट देवी/देव की तस्वीर लगाएं, साथ में खड़े हनुमान की तस्वीर, जिनके बायें हाथ में गदा कंधे पर हो तथा दायां हाथ कमर पर रखे हो, लगाएं।
फेंगशुई के टोटके: घर में शटर वाली खिड़की उन्नति और विकास में बाधक मानी जाती है। घर के पुराने कपड़े, पुरानी घड़ियां, बैटरी, चप्पल-जूते, ताले घर से बाहर निकालते रहना चाहिए अन्यथा सौभाग्य नष्ट हो जाता है। टूटे शीशे में मुंह न देखें और न ही घर में रखें, पुरानी वस्तुएं, कबाड़ घर में कभी न रखें। भोजन कक्ष, मुख द्वार के पास, सीढ़ियों के नीचे या सामने कभी न रखें। आवासीय या व्यावसायिक भवन में ईशान क्षेत्र (पूर्व-उŸार) में दर्पण लगाने से आय बढ़ती है।
घर का कोई नल यदि लगातार टपक रहा हो, तो तुरंत उसे ठीक कराएं या बदलें। फेंगशुई में जल को धन माना गया है। दरवाजे के ऊपर (आगे-पीछे) घड़ी या कैलेंडर न टांगें। ये दीर्घायु के लिए बुरे हैं। स्वागतकक्ष में सारा फर्नीचर एक ही दिशा में न रखें। पलंग या गद्दे के नीचे कोई वस्तु न रखें। इससे अनिद्रा तथा भूलने की बीमारी हो जाती है। पलंग के सिरहाने की तरफ किताबें, घड़ियां, फोन, दवाएं, पानी आदि न रखें। इससे उत्साह में कमी तथा सौभाग्य नष्ट होता है। शौचालय का द्वार कभी खुला न रखें, इसमें एक रोशनदान अवश्य रखंे जो घर के बाहर खुलता है।
इस रोशनदान में कांच/चीनी मिट्टी के कटोरे में साबुत नमक रखें, गीला होने पर बदल डालें। दुकान-आॅफिस-बैठक में दरवाजे की ओर पीठ करे कभी न बैठें। सुखमय घर कैसे: यदि किसी कमरे में बच्चे/बड़ों को अच्छी नींद न आती हो या बुरे स्वप्न दिखाई देते हों, तो उस कमरे में 0 या 15 वाॅट का पीले रंग का बल्ब रात में जलाएं। बच्चों के लिए पलंग के सिरहाने के पास वाले दानों कोनों में तांबे के तार से बने स्प्रिंगनुमा छल्ले रखें। यदि आपके कमरे की खिड़की या दरवाजा आदि ऐसी दिशा में खुलता हो, जो एक वीरान प्लाॅट, वर्षों से बंद पड़ा मकान, खंडहर, कब्रिस्तान, श्मशान या घोर जंगल हो, तो यह ठीक नहीं है।
इसके लिए खिड़की के दरवाजे के पास कांच की प्लेट में छोटे-छोटे फिटकरी के टुकड़े रखें। साथ ही उनको हर माह बदलते भी रहें। यदि किसी मकान में आपको लगे कि किसी नकारात्मक ऊर्जा (भूत-प्रेता-हवा आदि) का वास हो गया है, तो मकान की लाॅबी बरामदे या आंगन में संध्या के समय किसी धातु की कटोरी में कपूर की एक छोटी-सी टिकिया जलाएं आप चाहें तो प्रत्येक कमरे में घुमा सकते हैं।
यदि पूरे भवन में कभी-कभी मन उदास रहता हो, परिवार के सदस्य प्रायः काम के कारण घर से बाहर या टूर पर रहते हों, परिवार टूट गया हो और अन्य मकानों में रहने चले गये हों, तो ऐसी स्थिति में हर शाम को धीमी आवाज में मधुर धार्मिक संगीत कैसेट बजाएं। मधुर दाम्पत्य जीवन: नवदम्पŸिा को वायव्य दिशा वाला (उŸार-पश्चिम कोना) कमरा न दें। नव वधू को तहखाने में न सोने दें।
नव वधू हमेशा सोते समय तांबे के बर्तन में पानी-भरकर ढककर ईशान कोण (पलंग का पूर्व-उŸार का कोना) में रखकर सोयें। नववधु पूर्व की ओर मुख करके भोजन बनाये। सभी परिवारीजन भी पूर्व की ओर मुख करके खाना खाएं। शयनकक्ष में पूजा घर न बनाएं, यदि मजबूरी हो तो उस पर पर्दा डालकर रखें।
पति-पत्नी के बीच तनाव रहता हो, तो उनके शयनकक्ष में दक्षिण-पश्चिम के कोने में स्फटिक बाॅल रखें या टांगें। नवदम्पŸिा का पलंग लोहे, तेंदू या आम की लकड़ी से कभी बना हुआ न हो, क्योंकि ये पलंग आयु कम करते हैं तथा अनेकों रोग देते हैं। उŸार-पश्चिम में खिड़की होनी चाहिए यदि नहीं है, तो फेंगशुई की घंटियां टांग दें। इससे रिश्तों में टकराव और घुटन समाप्त होती है। शयनकक्ष में सदैव पति-पत्नी का संयुक्त फोटो ही लगाएं। शयनकक्ष में लाल रंग के फूल अवश्य ही लगाएं।
शयनकक्ष में झूठे बर्तन, झाड़ू व डरावने, युद्ध के चित्र व युद्ध की ओर जाते, अर्जुन-श्रीकृष्ण के रथ का चित्र, लाल बल्ब, खुला, बड़ा दर्पण आदि न लगाएं। शयनकक्ष में वाश-बेसिन नहीं होना चाहिए। पलंग, दायें या बायें दीवार से सटा हुआ नहीं होना चाहिए। शयनकक्ष में मोर का पंख इस तरह लगाएं कि प्रवेश करते समय तथा सोते समय वह दिखाई देता रहे। शयनकक्ष में कभी भी असीली या नकली पौधों के गमले या बेलें न लगाएं। पति-पत्नी के शयनकक्ष को कभी भी परिवारीजनों एवं मेहमानों के लिए बैठने का कमरा न बनने दें।
आग्नेय-कोण का वास्तु-शास्त्र: आग्नेय कोण के स्वामी श्री गणेश जी हैं। यह कालपुरुष की बायीं भुजा, घुटने तथा बायें नेत्र को प्रभावित करता है। इस अग्नि कोण में दोष उत्पन्न हो जाने से गृह स्वामी के घुटने व बांयी-भुजा में रोग हो जाते हैं। आग्नेय कोण का फर्श नीचा होने से प्रथम संतान का एक्सीडेंट एवं स्वामी का एक्सीडेंट होता है। इस कोण पर रसोई घर, बिजली के कंट्रोल रूम, बोर्ड, डी.जी.सेट, इन्वर्टर, कम्प्यूटर आदि स्थापित कर सकते हैं पूजा घर, बाथरूम, पानी का स्थान तथा मुख्य द्वार नहीं होना चाहिए।
बाथरूम का दरवाजा एवं रसोई घर के दरवाजा आमने-सामने नहीं होना चाहिए। आग्नेय कोण दक्षिण की ओर बढ़ा हुआ नहीं होना चाहिए। आग्नेय-कोण में सैप्टिक टैंक या गड्ढा होने पर गृह स्वामी का एक्सीडेंट या अकाल मृत्यु होती है। इस कोण पर नल, पानी की टंकी, शौचालय, स्नान घर, टयूबवेल होना परिवार के लिए दुर्घटना कारक होता है।
वास्तु के शुभाशुभ संकेत: घर में चूहों की संख्या अधिक बढ़ जाये, मधु-मक्खियां छŸाा बना लें, शीशे या पत्थर में अचानक दरार पड़ जाए, मकड़ी के जाले बार-बार लगें, घर के आंगन में कौआ हड्डी गिराए, प्रायः तेल जमीन पर गिरता रहता हो, किसी पड़ोसी या अन्य के बाल उड़कर घर में आ जाएं, असंख्य चीटीयां आ जाएं, नीबू का कांटेदार या दूध निकलने वाला पौधा घर में लगाने से, भवन का प्लास्टर अचानक गिर जाने पर, घर में ऊंट के प्रवेश कर जाने पर उस घर, दुकान या कार्यालय में आपदा, मुसीबत, धन-जन हानि, बीमारी आदि अमंगल कार्य होने लगते हैं।
छछूंदर आने, द्वार पर हाथी के सूंड़ ऊंचा करने, छत या भूखंड में मोर नाचने, कोयल कूंकने, बिल्लियों के आकर विष्ठा करने, अशोक का वृक्ष लगाने आदि से धन वृद्धि, शुभ समाचार, वंश वृद्धि, मंगल कार्य आदि होते हैं। दक्षिण दिशा भी शुभ होती है: नींद के लिए दक्षिण दिशा अच्छी होती है यहां घर के बड़े-बूढ़ों के लिए शयनकक्ष होना चाहिए इससे सुखमय नींद ओैर बुढ़ापा बीतता है। दक्षिण दिशा में भारी भरकम सामान रखें तथा स्टोर रूम, कबाड़ घर बनाएं। दक्षिण मुखी भवन, होटल, हार्डवेयर की दुकान, टायर, तेल, रसायन तथा ब्यूटी पार्लर की दुकान आदि लिए शुभ रहता है।
इस दिशा में पत्थरों की दीवार खड़ी करें, उस पर लाल फूलों की बेल चढ़ाएं या दीवार को लाल रंग से रंगवा दें। दक्षिण दिशा की ओर मुख किये हनुमान या भैरव की मूर्ति स्थापित कर मंदिर बनाएं, तांबे पर बने मंगल यंत्र को दक्षिणी द्वार या दीवार पर लगाएं दक्षिणी दीवार से लगाकर या पास में बड़े या भारी पत्थर रख दें, इस दिशा की जमीन में तांबे का तार अंदर बिछा दें। इस दिशा में कम से कम खिड़की व दरवाजे रखें।
रसोई घर, पानी की टंकी, शौचालय मुख्य द्वार की सही स्थिति, पूर्व तथा उŸारी दिशा के अधिक खाली छोड़ने से, दक्षिण मुखी घर में भी स्वस्थ, सुखी और सम्पन्न जीवन बिताया जा सकता है। यदि किसी मकान में आपको लगे कि किसी नकारात्मक ऊर्जा (भूत-प्रेता-हवा आदि) का वास हो गया है, तो मकान की लाॅबी बरामदे या आंगन में संध्या के समय किसी धातु की कटोरी में कपूर की एक छोटी-सी टिकिया जलाएं आप चाहें तो प्रत्येक कमरे में घुमा सकते हैं।
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