श्रावण मास में करें विशिष्ट शिव साधनाएं
श्रावण मास में करें विशिष्ट शिव साधनाएं

श्रावण मास में करें विशिष्ट शिव साधनाएं  

अमित कुमार राम
व्यूस : 7204 | आगस्त 2015

श्रावण माह में शिवाराधना के अनेक तरीके एवं साधना तंत्रग्रंथों, पुराणों आदि में बहुतायत में दी गई है, उन्हीं में से कुछ विशेष साधना यहां प्रस्तुत है। 1. शिवपंचाक्षरी मंत्र साधना शिवपंचाक्षरी मंत्र भगवान शिव का सबसे प्रसिद्ध मंत्र है। कहते हैं कि मां पार्वती ने भी भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए इसी मंत्र से भगवान शिव की आराधना की थी। यह मंत्र सामान्य और सरल होते हुए भी अत्यंत ही प्रभावपूर्ण है और शास्त्रों के अनुसार इसका प्रभाव तुरंत जातक को प्राप्त होता है।

इस मंत्र को आप श्रावण माह के किसी विशिष्ट मुहूर्त अथवा श्रावण के सोमवार से प्रारंभ कर सकते हैं। श्रावण माह की संपूर्ण अवधि अथवा किसी निश्चित अवधि में सवा लाख का एक अनुष्ठान पूर्ण करें। अनुष्ठान पूर्ण करने के बाद जप के दशांश का हवन भी अवश्य करें। जपकाल से पूर्व नित्य भगवान शिव का पूजन पंचोपचार अथवा षोडशोपचार प्रकार से अवश्य करें। तत्पश्चात् जप उत्तरोत्तर क्रम में रुद्राक्ष की माला से ही करें।

विनियोग अस्य श्री शिवपंचाक्षरी मंत्रस्य वामदेव ऋषिः पंक्तिश्छंदः। ईशानो देवता । ऊँ बीजम् । नमः शक्तिः शिवायेति कीलकम। चतुर्विध पुरूषार्थसिद्धयर्थे न्यासे विनियोगः।। ध्यान ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारूचन्द्रा वतंसम्। र त् न ा क ल् प ा े ज् ज् व ल ा ं ग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।। पद्मासीनं समंतात्स्तुतममरगणै व्याघ्रकृलिं वसानम्। विश्वाद्यं विश्वबीजं निखिलभयहरं पंचवक्तं त्रिनेत्रम्।। मंत्र ‘ऊँ नमः शिवाय।।’ 2. त्वरित रुद्र साधना भगवान शिव की कृपा प्राप्ति करने के लिए यह सर्वोत्तम मंत्र माना गया है। इस मंत्र की साधना से भगवान शिव प्रसन्न होकर व्यक्ति की विभिन्न प्रकार की आपदाओं से रक्षा करते हैं और उसकी इच्छाओं की पूर्ति करते हैं।

संतान प्राप्ति हेतु यह साधना श्रेष्ठ मानी गयी है। इस साधना को आप श्रावण माह के किसी भी सोमवार या किसी विशिष्ट मुहूर्त से प्रारंभ कर सकते हैं। साधना के दौरान निम्नलिखित मंत्र के सवा लाख जप करने के बाद उसका हवन आवश्यक होता है। जप के अतिरिक्त भगवान् शिव का नित्य पूजन भी आवश्यक है। मंत्रों का जप रुद्राक्ष माला से ही करें। विनियोग अस्य त्वरितरुद्रमन्त्रस्य अथर्वण ऋषिः। अनुष्टप्छन्दः। त्वरितरन्द संज्ञिका देवता।। नमः इति बीजम्। अस्तु इति शक्तिः। रुद्र प्रत्यर्थे जपे विनियोगः। ध्यान रुद्रं चतुर्भुजं देवं त्रिनेत्रं वरदाभयम्। दधानमूध्र्व हस्ताश्यां शूलं डमरूमेव च।। अंकसंस्थामुमां पद्मे दधानं च करदृये। आद्ये करद्वये कुंभ मातुलंुगुं च विभ्रतम्।। मंत्र ऊँ यो रुद्रोऽग्नौयोऽसुयओषधीषुयो रुद्रोविश्वा भुवनाविदेश तस्मै रुद्राय नमोऽस्तु।।

अष्टाक्षरी शिव मंत्र साधना भगवान शिव से सौभाग्य, सुख, संपदा, मोक्ष एवं सर्वतोमुखी उन्नति के लिए प्रार्थना हेतु अष्टाक्षरी शिव मंत्र साधना श्रेष्ठ है। इस मंत्र साधना से भगवान् शिव शीघ्रातिशीघ्र प्रसन्न होकर साधक की कामनाओं की पूर्ति करते हैं। इस साधना में निम्नलिखित मंत्र के श्रावण माह में निश्चित समयावधि में सवा लाख जप करने के बाद मधु एवं घृत की आहुतियां देकर यज्ञ करना चाहिए। मंत्र जप से पूर्व भगवान शिव का पंचोपचार एवं षोडशोपचार से पूजन अवश्य करें।

जप सिर्फ रुद्राक्ष माला से ही करें। इस अनुष्ठान का प्रारंभ श्रावण माह के किसी भी सोमवार से किया जा सकता है। विनियोग ऊँ अस्य श्रीशिवाष्टाक्षर मंत्रस्य वामदेव ऋषिः पंक्तिश्छंदः उमापतिर्देवता सर्वेष्ट सिद्धये विनियोगः। ध्यान वंधूकसन्निभं देव त्रिनेत्र चंद्रशेखरम्। त्रिशूलधारिणं वंदे चारूहासं सुनिर्मलम्। कपालधारिणं देवं वरदाभयहस्तकम्। उमया सहितं शंभु ध्यायेत्सोमेश्वरं सदा।। मंत्र ह्रीं ऊँ नमः शिवाय ह्रीं।।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.