जीवन रेखा द्वारा आयु विचार मिथिलेश गुप्ता इस जगत में कोई भी मनुष्य ऐसानहीं है, जो यह कह सके कि वह अमर है, कभी भी मृत्यु-मुख में नहीं जायेगा। अमर तो कोई मनुष्य नहीं होता है, जो जन्मा है उसकी मृत्यु भी अटल है। यह भी सत्य है। मृत्यु कब होगी? आयु कितनी है? यह जानने की इच्छा सभी इंसानों को रहती है। यह अत्यंत स्वाभाविक है। मनुष्य की आयु का प्रमाण ऋषियों द्वारा वेद मंत्रों में 100 (सौ) वर्ष किया गया है। किंतु इस वर्तमान युग में मनुष्य की आयु का प्रमाण निर्धारित नहीं हो सकता है क्योंकि हम देखते हैं कि व्यक्ति गर्भ से लेकर 100 वर्षों की अवस्था तक किसी भी समय मृत्यु को प्राप्त हो सकता है। मनुष्य की हथेली एक ऐसे मानचित्र की भांति समझिए कि उसमें आने वाले हर दृश्य के अनुसार अपनी भावी जीवन को देखते हैं। इसी से हम अपनी आयु को भी देखते हैं। आयु को देखने के लिए हमें जीवन रेखा को देखना चाहिए। जीवन रेखा लंबी, तंग व गहरी होनी चाहिए। चैड़ी कदापि नहीं होनी चाहिए। गहरी और अच्छी जीवन रेखा हमारी प्राणशक्ति को और ताकत को बढ़ाती है। हमारी जीवन रेखा पर जीवन की अवधि, रोग और मृत्यु अंकित होती है और अन्य रेखाओं से जो पूर्वाभास प्राप्त होता है उसकी पुष्टि भी जीवन रेखा ही करती है। जीवन रेखा प्रायः सबके हाथों में पायी जाती है। शायद ही किसी के हाथ में न हो। किसी के हाथ में जीवन रेखा पूर्ण नहीं होती है। या अर्धचंद्राकार के रूप में मिलती है। इस रेखा का न होना या पूर्ण न होना व्यक्ति की शारीरिक कमजोरी तथा प्राण शक्ति की कमी को बतलाती है। ऐसे व्यक्ति अपनी स्नायु शक्ति के अनुसार जीवन यापन करते हैं। इसका यह अर्थ भी होता है कि व्यक्ति कभी असाध्य बीमारी का शिकार हो सकता है। संपूर्ण जीवन का लेखा-जोखा इस आयु रेखा से ही होता है। समय या काल इस रेखा या नक्शे का अंग है। जीवन का घटना चक्र इतना विस्तृत है कि हमारी जीवन यात्रा इसी रेखा के थोड़े से भाग में समाई हुई है। लोग अपनी भावी उम्र के बारे में पूछते हैं। घटना और दुर्घटना की बात जानने के लिए लोग उतावले रहते हैं। इसी रेखा से बाल्यकाल की आयु, जवानी की आयु और बुढ़ापे की आयु को नापते हैं। जीवन रेखा के साथ-साथ चलने वाली रेखा, जिसे मंगल रेखा कहते हैं, अगर लंबी और पुष्ट हो तो जीवन की शक्ति देने वाली होती है। जीवन रेखा पुष्ट न हो और मंगल रेखा हो तो व्यक्ति बीमार होने पर भी मृत्यु से बच जाता है। यह रेखा एक प्रकार से जीवन रेखा की बहन मानी जाती है। इसके भीतर की प्राणशक्ति आयु रेखा को ताकत देती है जिससे लंबी उम्र प्राप्त होती है। जीवन रेखा को देखकर किसी निर्णय पर नहीं पहुंचना चाहिए। हाथ में गौण एवं मुख्य रेखाओं के साथ-साथ अनेक प्रकार के चिह्न भी पाए जाते हैं जिन्हें देखना जरूरी होता है। साथ ही हमें जीवन रेखा देखने के लिये देश, पात्र, काल और व्यवसाय को ध्यान रखकर ही करना चाहिए। इसके साथ-साथ हमारे प्रारब्ध जो संचित कर्म होते हैं, काम आते हैं- हमें उनको भी नहीं भूलना चाहिये।