प्र0- भवन में डाइनिंग कक्ष किस स्थान पर बनाना चाहिए ?
उ0- डाइनिंग रूम पश्चिम दिशा में सबसे अच्छा माना जाता है। दूसरा अच्छा स्थान उत्तर एवं पूर्व दिशा को माना जाता है। अगर रसोईघर दक्षिण-पूर्व में हो तो भोजन कक्ष रसोईघर के पूर्व या दक्षिण की ओर बनाएं। अगर रसोईघर उŸार-पश्चिम में हो तो भोजनकक्ष पश्चिम की ओर बनाएं, परंतु यदि जगह की कमी हो तो उŸार की ओर बना सकते हैं।
प्र0- किस दिशा की ओर मुॅह करके भोजन करना चाहिये।
उ0- खाना खाते वक्त घर के गृहस्वामी का मुंह पूर्व तथा अन्य सदस्यों के मुंह पूर्व, उत्तर या पश्चिम की ओर होने चाहिए। पूर्व दिशा की ओर मुंह करके भोजन करने से व्यक्ति की प्राण शक्ति बढ़ती है और वह दीर्घायु होता है। पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके भोजन करने से धन की प्राप्ति होती है जबकि उत्तर दिशा की ओर भोजन करने से सत्य की प्राप्ति होती है। किंतु दक्षिण की ओर मुंह करके भोजन करने से आपस में मतभेद एवं झगड़े में वृद्धि होती है। साथ ही बदहजमी, पेट में गर्मी, मुंह के छाले आदि होने की संभावना रहती है।
प्र0- भोजन कक्ष में टेबल किस किस तरह की होनी चाहिए ?
उ0- डाइनिंग टेबल गोल, अंडाकार, अष्टभुजाकार अथवा अनियमिताकार नहीं बल्कि वर्गाकार अथवा आयताकार होनी चाहिए। भोजन कक्ष में टेबल का आकार उसके एक भाग से दूसरा भाग दुगने से अधिक नही होना चाहिए। जैसे यदि चैडाई 4 फीट है तो उसकी लंबाई अधिकतम 8 फीट तक रखी जा सकती है। डाइनिंग टेबल को विषम माप मंे नही रखना चाहिए क्योंकि विषम माप (जैसे चैडाई 3 फीट, लंबाई 7 फीट) होने से उपयोग करने वालों में परस्पर वैमनस्य उत्पन्न होता है जिसके फलस्वरूप परिवार में तनाव जैसा माहौल देखने को मिलता है।
प्र0- भवन में स्नानागार किस स्थान पर बनाना चाहिए ?
उ0- भवन में स्नानागार के लिए सबसे उपयुक्त स्थान पूर्व दिशा है।स्नानागार घर के मध्य, दक्षिण-पूर्व एवं दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में नहीं बनाएं। साथ ही स्नानागार को सीढ़ियों के नीचे भी नही बनाना चाहिए। सीढियां बुध ग्रह के अंतर्गत आती है जबकि स्नानागार जल का अधिक उपयोग होने के कारण चंद्रमा के आधिपत्य में आता है। बुुध ग्रह से चंद्र ग्रह का शत्रुवत संबंध है। अतः सीढ़ी के नीचे भूलकर भी स्नानागार नही बनाना चाहिए।
प्र0- भवन में शौचालय किस स्थान पर बनाना चाहिए ?
उ0- शौचालय भवन के उत्तरी वायव्य एवं पश्चिमी वायव्य की तरफ बनाना चाहिए। दूसरी प्राथमिकता नैर्ऋत्य एवं दक्षिण के मध्य का क्षेत्र है। इस स्थान पर भी शौचालय बनाया जा सकता है। शौचालय का इस्तेमाल करते समय चेहरा उत्तर या दक्षिण की अेार होना चाहिए। इसका इस्तेमाल पश्चिम की तरफ मुंह करके भी किया जा सकता है।
प्र0- भवन में शौचालय किस स्थान पर नही बनाना चाहिए ?
उ0- शौचालय भवन के मध्य स्थान, ईशान कोण, आग्नेय कोण या नैर्ऋत्य की ओर नहीं बनाएं। भवन के मध्य में टाॅयलेट पूर्णतः वर्जित है। यह पूरी व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर डालता है। प्रगति अवरूद्ध हो जाती है तथा भवन में निवास करने वाले लोग बीमारियों के षिकार हो जाते है। षौचालय भवन के दक्षिण-पश्चिम में रहने पर गृहस्वामी के स्वास्थ्य एवं जीवन के लिए अच्छा फल नहीं देता है। ईशान कोण में शौचालय होने से घर या व्यवसाय की आर्थिक हानि और लोगों में मानसिक असंतुलन, असहनीय बीमारी तथा झगड़े की संभावना रहती है।
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