महादशा- मर्ज बढ़ता ही गया ज्यूं-ज्यूं दवा की
महादशा- मर्ज बढ़ता ही गया ज्यूं-ज्यूं दवा की

महादशा- मर्ज बढ़ता ही गया ज्यूं-ज्यूं दवा की  

फ्यूचर समाचार
व्यूस : 7047 | फ़रवरी 2012

महादशा - मर्ज बढ़ता ही गया ज्यूं-ज्यूं दवा की पं. उमेश शर्मा महादशा का चक्र 120 साल का है जैसेः- 1. सूर्य= 06वर्ष, 2. चन्द्र= 10वर्ष, 3. मंगल= 07वर्ष, 4. बुध= 17वर्ष, 5. बृहस्पति= 16वर्ष, 6. शुक्र= 20वर्ष, 7. शनि= 19वर्ष, 8. राहु= 18वर्ष, 9. केतु= 07वर्ष = कुल 120 वर्ष।

महादशा के नियम:

1. जब किसी ग्रह के बराबर के ग्रह नीच और अशुभ हों मगर वो खुद नीच और अशुभ न हो तो ऐसा ग्रह तख्त(लग्न) पर आने के बाद वर्षफल के हिसाब से जिस मास खुद ही नीच और अशुभ हो जाये उस दिन से महादशा में हो गया माना जाये।

2. जब कोई ग्रह खुद भी नीच और अशुभ हो और उसके बराबर के ग्रह भी नीच और अशुभ हों तो तख्त(लग्न) पर आने के दिन से ही महादशा में हो जाता है।

3. महादशा के समय मित्र ग्रहों की कोई मदद न होगी मगर शत्रु ग्रह अपना पूर्ण प्रभाव रखेगें।

4. महादशा के प्रभाव के समय महादशा वाले ग्रह का कुण्डली के सिर्फ उस भाव नं0 का जिसमें कि वह बैठा है और उन वस्तुओं पर जो कि उस भाव से संम्बन्धित हैं पर मंदा,(अशुभ) प्रभाव होता है।

5. महादशा में हो जाने वाले ग्रहों का दूसरे ग्रहों पर मित्रता या शत्रुता या दृष्टि के हिसाब से वही प्रभाव होगा जैसा कि उस समय होता जब वह महादशा में न होता।

6. जब 1, 4, 7, 10 में कोई ग्रह बैठा हो और साथ ही दूसरे घरों में कोई उच्च ग्रह हो, या भाव नं0 4 में स्वयं चन्द्र अच्छी स्थिति में हो तो महादशा हरगिज न होगी।

7. भाग्य का ग्रह, राशिफल का ग्रह, उच्च और नेक ग्रह कभी महादशा में न होगा। किस ग्रह की चाल के समय किस ग्रह की महादशा होगी ?

अ. भाव नं0 1 में शनि, भाव नं0 3-6 में केतु, भाव नं0 10 में बृहस्पति और भाव नं0 9-12 में राहु हो तो ये बृहस्पति की महादशा का जमाना होगा।

ब. भाव नं0 7 में सूर्य और भाव नं0 12 में बुध हो तो सूर्य की, ़स.भाव नं0 1 में शनि, भाव नं0 4 में मंगल, भाव नं0 6 में शुक्र, भाव नं0 8 में चन्द्र, भाव नं0 10 में बृहस्पति हो तो चन्द्र की,,

द. भाव नं0 4 में मंगल, भाव नं0 6 में शुक्र, भाव नं0 10 में बृहस्पति हो तो शुक्र की,,

ध. भाव नं0 1 में शनि, भाव नं0 4 में मंगल, भाव नं0 6 में शुक्र, भाव नं0 9-12 में राहु हो तो मंगल की,

क. भाव नं0 1 में शनि, भाव नं0 3-6 में केतु , भाव नं0 4 में मंगल, भाव नं0 10 में बृहस्पति, भाव नं0 12 में बुध हो तो बुध की,

ख. भाव नं0 1 में शनि, भाव नं0 3-6 में केतु और भाव नं0 10 में बृहस्पति हो तो शनि की,

ग. भाव नं0 8 में चन्द्र, भाव नं0 9-12 में राहु , भाव नं0 10 में बृहस्पति हो तो राहु की,

च. भाव नं0 1 में शनि, भाव नं0 3-6 में केतु, भाव नं0 7 में सूर्य, भाव नं0 10 में बृहस्पति, और भाव नं0 12 में बुश हो तो केतु की महादशा का ज़माना होगा।

विशेष: दी गई ग्रहचाल के समय अगर उसी समय: भाव नं0 2 में चन्द्र,या भाव नं0 3 में राहु ,या भाव नं0 6 में बुध, राहु ,या भाव नं0 12 में शुक्र, केतु हों या भाव नं0 4 के ग्रह अच्छे या खुद चन्द्र किसी भी घर में अच्छे प्रभाव का हो तो महादशा न होगी।

9. महादशा के समय (चाहे किसी भी ग्रह की हो) कोई दूसरा ग्रह कब कब महादशा के समय में हालात बदली करने वाला होगा ये एक तालिका बना कर देखेंगें।

तालिका बनाने के लिए एक से 40 तक की संख्या को 12 भावों में लिख कर जिस ग्रह की महादशा प्रारम्भ हो उसको भाव नं0 1 में लिख कर शेष ग्रहों को क्रमवार लिखतें हैं माना कि महादशा में गया हुआ ग्रह शुक्र है तो भाव नं0 1 में शुक्र फिर अन्य ग्रहों कों तालिका में भर कर देख लें कि कौन-सा ग्रह किस किस वर्ष में अपने फल से हालात में बदलाव पैदा करेगा। उपरोक्त तालिका में सबसे ऊपर की पंक्ति में भाव संख्या को लिखा, दूसरी पक्तिं में ग्रह तथा तीसरी पक्तिं म ंे वर्षो ं की सख्ं या को लिखा। भाव न0ं 1 में उस ग्रह को लिखेगें जो महादशा में हो गया हो।

ऊपर के उदाहरण में हमने शुक्र ग्रह को महादशा में गया हुआ मान कर भाव नं0 1 में शुक्र को लिख कर बाकी के ग्रह क्रमवार से जैसे ऊपर तालिका में दिये गये हैं लिख लें अब नीचे लिखे वर्षों में जो ग्रह आयेगा वह उस वर्ष हालात में बदलाव लायेगा। यह बदलाव अच्छा और बुरा दोनो प्रकार से हो सकता है। तालिका में भाव नं0 1 का अर्थ है महादशा का पहला साल, भाव नं0 2 का अर्थ है दूसरा साल आदि लेगें चाहे वह आयु के किसी भी साल में शुरु हुई हो। उदाहरण: मान लो कि किसी की 26वें वर्ष की आयु में शुक्र की महादशा शुरु हुई तो जहां बर्षों के खाने में नं0 1 लिखा है, वहां 26 का अंक लिख कर आगे क्रमवार से लिख देगें। इस तरह अंक लिख लेने पर आयु के वर्षों में महादशा की मियाद का हर एक साल मालुम हो जायेगा।

9. अ.. माना कि पहली महादशा शुक्र की 20 वर्ष में समाप्त हुई और दूसरी महादशा भी शुक्र की शुरु हुई अर्थात 20 वां वर्ष दोनो महादशाओं के बीच का वर्ष हुआ। यह बीच का 20वां वर्ष प्रभाव देखने के लिए मिटा ही दिया यानी इस बीसवें साल न शुक्र की महादशा का गिनेगें और ना ही शनि का जो 20 साल के माथे पर लिखा है। अब कुंडली के हिसाब से जहां जहां कि शुक्र और शनि हों अवसर के अनुसार जैसा जैसा उन पर प्रभाव हो देखा जायेगा। शेष वर्षों में प्रत्येक ग्रह जो कि ऊपर की तालिका में लिखा है महादशा के सालों में धोखा देगें और हालात में बदलाव पैदा करेगें।

9. ब.. एक तरफ तो इस तालिका के हिसाब से जो ग्रह आये वह ले लें, दूसरी तरफ वर्षफल के हिसाब से जिस ग्रह का दौरा हो (आयु के जिस वर्ष को देखना हो) वह ले लें, तीसरी तरफ राशि नं0 के ग्रह(आयु के जिस वर्ष को देखना हो) वह ले लें अब तीनो ग्रहों में से अगर एक ही ग्रह दो बार आये तो वह धोखे का ग्रह होगा महादशा के समय में। शुक्र महादशा में है।

सूरज, चन्द्र राहु ऊपर की तालिका में दिये गये अपने वर्षों में बुरा फल देगें जो कि शुक्र के पक्के शत्रु ग्रह हैं। बृहस्पति व मंगल जो कि बराबर के ग्रह हैं वे चुप या सोए हुए माने जायेगें और शनि, बुध व केतु जो कि मित्र ग्रह हैं वह भी कोई मदद न कर सकेगें। महादशा का 11वां वर्ष शुक्र के लिए महादशा के समय में रियायती साल होगा।



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