क्या वास्तु है ज्योतिषीय उपाय का विकल्प
क्या वास्तु है ज्योतिषीय उपाय का विकल्प

क्या वास्तु है ज्योतिषीय उपाय का विकल्प  

व्यूस : 6634 | दिसम्बर 2013
प्रश्न: यदि किसी जातक की समस्या का निदान ज्योतिषीय उपायों से भी संभव नहीं हो पा रहा हो तो क्या वास्तु दोष सुधार या उपाय द्वारा उन समस्याओं का समाधान हो सकता है? यदि हां तो कैसे? विस्तृत जानकारी दें। हां, वास्तु दोष या सुधार द्वारा जातक की समस्याआं का समाधान हो सकता है जानकारी निम्न है - भूमिका: वास्तु में चार दिशाएं व चार ही उप या विदिशाएं (कोण) होती हैं- दिशाएं: पूर्व, पश्चिम, उर, दक्षिण कोण: ईशान (उर-पूर्व), आग्नेय (दक्षिण-पूर्व), वायव्य (उर-पश्चिम), र्नैत्य (दक्षिण-पश्चिम)। उपरोक्त आठों दिशाएं, पंचतत्वों से निम्न तरह से जुड़ी होती हैं- इन पंच तत्वों (अग्नि, पृथ्वी, वायु, आकाश, जल) का दिशाओं के साथ संतुलन ही वास्तु दोष को दूर करता है, जिससे जातक की समस्याओं का निदान हो जाता है। जातक जिस भूमि, मकान में रहता है, वह वास्तु सम्मत होनी चाहिए, यदि नहीं हो तो सुधार या उपाय द्वारा उन्हें ठीक कर सकते हैं जिससे जातक परेशानियों से छुटकारा पाकर पंचतत्वों का संतुलन बनाकर स्वस्थ व समृद्ध जीवन जीता है। कोई भी जातक किसी भी मकान में रहे, उसके लिए न्यूनतम निम्न चीजों की आवश्यकता होती है - पूजन कक्ष, अध्ययन कक्ष, रसोईघर, स्नान घर, ड्राइंग रूम, पानी की टंकी, स्रोत, शयन कक्ष, सीढ़ियां, कोषागार, शौचालय आदि। दिशाओं के हिसाब से इनका विवरण प्रस्तुत किया गया है। यदि ये दिशाओं के अनुरूप नहीं है तो निम्न उपाय या सुधार द्वारा इन्हें ठीक कर सकते हैं- 1. ईशान कोण: ईशान कोण में पूजन कक्ष, अध्ययन कक्ष आदि बना सकते हैं, इन्हें साफ-सुथरा, स्वच्छ रखें। पूजन कक्ष की ओर पैर करके न सोएं। इसे बंद रखें। पढ़ने वाले का मुंह ईशान में रखें। वास्तु में इस कोण का बहुत महत्व है, क्योंकि इसमें वास्तु पुरुष का सिर रहता है तथा मस्तिष्क से ही सारे निर्णय लिए जाते हैं। इसमें सावधानी इस बात की रखनी चाहिए कि वास्तु पुरुष की काल्पनिक रेखा पर न कोई निर्माण करंे और न ही कोई वस्तु रखें। उपाय/सुधार: - इस कोण को अन्य सभी कोणों से नीचा रखना चाहिए। इसे बड़ा, खुला, हल्का, सुगंधमय रखना च हिए जिससे अधिकतम सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो। - इसमें पानी से संबंधित स्रोत रखना उम है। सावधानी यह रखें कि गंदे पानी या शौचालय में पानी की निकासी न हो। लेकिन वर्षा के शुद्ध जल की निकासी उŸाम है। - इसमें विधि-विधान से गुरुवार को गुरु मंत्र की स्थापना करें। - अपने गुरुजन की सेवा करें, भूरी गाय व साधु पुरुषों को बेसन से बने व्यंजन खिलायें तथा आशीर्वाद लें। - बर्फ से ढंके कैलाश पर्वत पर साधना मुद्रा में भगवान शिव का फोटो स्थापित करें, इनके गाल पर चंद्र हो तथा जटाओं से गंगाजी का जल निकल रहा हो। - भोजन की तलाश में उड़ते पक्षियों का फोटो लगाएं। - ब्रह्माजी, पीपल वृक्ष, बृहस्पति देव गुरु की फोटो लगाएं। - बड़ा शीशा लगाना शुभ है। - शौचालय कभी ना बनाएं। 2. पूर्व दिशा: इस दिशा में स्नानगृह, रसोईघर (लेकिन पास-पास न हों) आदि बनाएं। उपाय/सुधार: - सूर्य यंत्र स्थापित करें। - आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। गायत्री मंत्र का जप करें। - इस दिशा में रुकावट न हो, सूर्य की किरणें/ऊर्जा घर में आने दें, इसके लिए कुछ भाग खुला छोड़ें। - बंदरों को गुड़, चने खिलाएं। - इंद्र एवं सूर्य देव के फोटो लगाएं। 3. आग्नेय कोण (द.-पू.): इस दिशा में रसोईघर बनाना चाहिए। विद्युत का सामान भी इसी दिशा में रखना समस्याओं को दूर करता है। उपाय/सुधार: - पानी के स्रोत न रखें। - शुक्र यंत्र की स्थापना करें। - अग्नि देव की फोटो लगाएं। - लाल बल्ब भी जलाएं। 4. दक्षिण दिशा: इस दिशा में शौचालय, सीढ़ियां बनवा सकते हैं। भारी सामान इसी दिशा में रखें। इसे ठोस, सूखा, ऊंचा रखें। उपाय/सुधार: - मंगल यंत्र की स्थापना करें। - यम की फोटो लगाएं। - लाल पिरामिड रखें। 5. नैर्ऋत्य (द.-प.): इस कोण में भूमिगत पानी की टंकी को छोड़कर पानी के टैंक, शयन कक्ष, सीढ़ियां आदि बना सकते हैं। इस कोण को सबसे ऊंचा, ठोस, भारी, सूखा रखें। उपाय/सुधार: - राहु, केतु यंत्र की स्थापना करें तथा र्नैति की फोटो लगाएं। - भारी सामान इसी क्षेत्र में रखें। - इसे खुला न छोड़ें अर्थात् खिड़की, दरवाजे न रखें। - बिना पानी के पहाड़ों की फोटो लगाएं। 6. पश्चिम दिशा: सीढ़ियां, सैप्टिक टैंक आदि बना सकते हैं। उपाय/सुधार: - शनि यंत्र की स्थापना करें। - वरुण देव की फोटो लगाएं। - इस दिशा में गड्ढे, दरार हों तो भर दें। 7. वायव्य कोण: स्नानघर के साथ शौचालय, अकेले शौचालय आदि का निर्माण कर सकते हैं। इसे स्वच्छ, खुला, हल्का रखें। भारी निर्माण न करें। उपाय/सुधार: - इस दिशा में चंद्र यंत्र की स्थापना करें। - वायु देव की तस्वीर लगाएं। - पूर्णिमा का व्रत रखें। 8. उर दिशा: कोषागार, ड्राइंगरूम आदि इस क्षेत्र में बनाएं। उपाय/सुधार: - बुध यंत्र की स्थापना करें। - कुबेर, लक्ष्मी जी की फोटो लगाएं। - जल-स्रोत (झरना आदि) के फोटो लगाएं। - जल स्रोत- एक्वेरियम, फिश पाॅट, नल, पानी का फव्वारा आदि रखें। दिशा को हल्का व स्वच्छ रखें। - क्रिस्टल बाल या पिरामिड (हरा) रखें। 9. मध्य: ब्रह्मस्थान को आंगन के लिए खुला छोड़ें तथा स्वच्छ रखें। उपाय या सुधार: - बिना पानी के पहाड़ों की तस्वीर टांगें तथा क्रिस्टल माला पहनें। - ब्रह्मा जी की तस्वीर लगाएं। आधुनिक सुख-सुविधा की भौतिक चीजों को निम्न अनुसार रखकर अपने जीवन में आने वाली समस्याओं को दूर करें- - रेफ्रिजरेटर (फ्रीज) दक्षिण-पूर्व किचन में रखें। - कम्प्यूटर (पीसी.) वायव्य में रखें। - शिक्षा से संबंधित वस्तुएं पूर्व में रखें। - व्यावसायिक पी.सी. उर में, इंटरनेट या खेल (गेम्स) पश्चिम में श्रेष्ठ रहते हैं। - टीवी व टेलीफोन जल से दूर क्रमशः वायव्य व ईशान कोण में रखें। - एसी/कूलर रूम के प्रवेश द्वार से दाईं ओर या सामने लगाएं। - म्यूजिक सिस्टम वायव्य कोण। - वाटर प्यूरीफायर किचन की पूर्वी दीवार पर रखें। - किचन एसेसरीज इससे जुड़े स्टोर में एवं दाहिनी व दक्षिण तरफ से प्रयोग करें। - हेल्थ उपकरण ग्राउंड फ्लोर पर पूर्व में, फस्ट फ्लोर हो तो र्नैत्य में रखें। - सौंदर्य प्रसाधन पश्चिम में तथा वाहन पूर्व में रखें। - वाहन पूर्व, चैपहिया वाहन वायव्य कोण, दोपहिया वाहन उŸार या पश्चिम में रखें, राजकीय सेवा वाले पूर्व या दक्षिण में रखें। लाईट: - पूर्व - मानसिक तनाव। - पश्चिम - उत्साह वृद्धि, धन व्यय पर अंकुश। - उर - उग्र स्वभाव में कमी। - सीधे ऊपर से - प्रतिस्पर्धा, त्वरित निर्णय व गतिशीलता वृद्धि। - सोफा: दक्षिण या पश्चिम दीवार के साथ, डाइनिंग टेबल- पूर्व में। - शीशे: कवर करके उŸार में। बेड के सामने यह न करें। - अन्य विद्युत उपकरण गीजर, हीटर आग्नेय में रखें। रंग: - र्नैत्य - पीला। - आग्नेय - लाल/गुलाबी - वायव्य - नीला/हरा - ईशान - चमकीला, सफेद। कुछ समस्या व उपाय/सुधार निम्न हैं - बीमारी/रोग: वास्तु के दक्षिणी हिस्से का ज्यादा खुला व नीला होना, स्त्रियों का व पश्चिमी हिस्से में ऐसा होने पर पुरुषों का स्वास्थ्य खराब रहता है अतः इसमें उपरोक्त सुधार/उपाय कर अच्छा स्वास्थ्य पा सकते हैं। कर्ज/ऋण: वास्तु के उरी क्षेत्र के ज्यादा ऊंचे व कटे होने या यहां अग्नि तत्व का कार्य/वास होने से कर्ज वृद्धि होती है तथा मुक्ति नहीं मिलती। अतः कर्ज मुक्ति हेतु उपरोक्त उर दिशा के उपाय करके समस्या को दूर करें। इससे सम्प नाश भी नहीं होगा। बचत नहीं होना: वास्तु के र्नैत्य के नीचे व खुले होने से बचत की समस्या रहती है। आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है, अतः र्नैत्य के उपरोक्त उपाय करके समस्या को दूर कर सकते हैं। अचानक नुकसान: वास्तु के आग्नेय या वायव्य कोण के क्रमशः अधिक नीचे होने या ज्यादा विस्तार होने पर लगातार व अचानक हानि होती है। अतः उपरोक्त उपाय कर समस्या का निदान कर सकते हैं। बेरोजगारी: वास्तु के पूर्वी हिस्से के ऊंचे या कटे होने से परिवार में बेरोजगारी रहती है या संतोषजनक रोजगार नहीं मिलता है। अतः पूर्वी दिशा के उपरोक्त उपाय कर बेरोजगारी की समस्या दूर कर सकते हैं। पारिवारिक कलह, तनाव: वास्तु के ब्रह्मस्थान के खुला न होने, ऊंचाई कम होने, भारी निर्माण होने, अस्वच्छता के कारण यह परेशानी आती है। अतः ब्रह्मस्थान के उपाय कर इस परेशानी को दूर कर सकते हैं। शिक्षा/प्रगति में रुकावट: ईशान कोण में शौचालय, सैप्टिक टैंक, कटा या ऊंचा होना बच्चों/बड़ों की शिक्षा में और प्रगति में बाधा का कारण बनता है। अतः समस्याएं दूर करने हेतु उपरोक्त लिखित उपाय, सुधार में ईशान कोण हेतु प्रयोग करने चाहिए। दाम्पत्य जीवन में तनाव: र्नैत्य नीचा होने, कटा, बढ़ा होने, अग्नि तत्व का वास होने पर दाम्पत्य जीवन में तनाव रहता ह। अतः उपराक्त नैतर्य के उपाय करें। अन्य उपाय, सुधार: - शयन कक्ष में टीवी., सीडी प्लेयर, फ्रीज, पीसी. एक्वेरियम आदि न रखें। - मुख्य द्वार यदि र्नैत्य में हो तो इसमें सुधार हेतु मुख्य द्वार की दहलीज के नीचे तांबे या चंदी का एक बारीक तार दबा दें। इसके अलावा मुख्य द्वार के अंदर, बाहर गणेश जी की प्रतिमा लगाएं, जो पीठ से सटे हों। - फेंगशुई की वस्तुएं कछुआ, लाफिंग बुद्धा, विंड चाइम, ड्रेगन, एजुकेशन टावर, एक्वेरियम, वास्तु दोष निवारण यंत्र, घंटी, कांच, लैंप आदि का घर में इस्तेमाल करें।



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