सूर्य सूर्य 30 दिन तक एक राशि में रहता है, एक वर्ष में भचक्र का पूरा चक्कर लगाता है, पिता का कारक है तथा स्टाॅक एक्सचेंज का भी कारक है। व्यापारिक दृष्टि से यह समृद्धि का सूचक होता है। जब यह किसी अन्य ग्रह के साथ होता है तो वह ग्रह अस्त होता है। ऐसे समय में बाजार का रूख बदल जाता है, अर्थात् जो तेजी का बाजार है वह मंदी में आ जाता है, मंदी वाला तेज हो जाता है। मेष, वृष, सिंह, कन्या, वृश्चिक, मकर राशि का सूर्य तेजी का कारक है। इसकी युति मंगल, शनि, राहु, हर्षल, प्लूटो के साथ उपरोक्त राशियों पर होने से तेजीकारक बनती है।
इस ग्रह का सर्वाधिक प्रभाव सरकारी कंपनी, सोना, सोने की खदान, तांबे की कंपनियां, रेशम, यार्न, शासकीय मुद्रा तथा बाॅन्ड में होता है। इसके अतिरिक्त निम्न कंपनी पर भी इसका प्रभाव होता है:
1. सभी पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग कंपनी जैसे प्च्ब्स्ए ै।प्स्ए भ्डज्ए हिंदुस्तान जिंक
2. दवाईयों की कंपनी, फार्मास्यूटिकल कंपनी जैसे- ग्लैक्सो, एलेम्बिक, जे.के. फार्माकेम
3. सभी प्रकार के ऊनी कपड़े
4. सरकारी बाँड, गोल्ड बाँड, विदेशी मुद्रा आदि। चंद्र चंद्र अतिशीघ्रगामी ग्रह है, सबसे निकट है। शुक्ल पक्ष की 8वीं से कृष्ण पक्ष की 6ठी तक शुभ, बाकी शुभ चंद्र मंदीकारक तथा अशुभ व क्षीण चंद्र तेजी कारक। दैनिक तेजी-मंदी तथा मूल्यों में अस्थिरता इसी ग्रह के कारकत्व हैं। इसका प्रभाव जलीय पदार्थों में सबसे अधिक होता है।
चांदी तथा सफेद रंग की वस्तुओं में विशेष प्रभाव।
1. आयात-निर्यात कंपनी जैसे- अदानी एक्सपोर्ट, आदित्य।
2. हीरा उद्योग - सूरज डायमंड, लूनर डायमंड
3. दूध एवं डेयरी वस्तु - अमूल, जे.के. डेयरी, इन्डाना।
4. खाने की वस्तुयें- नेस्ले, ब्रिटानिया, कैडबरी
5. पेट्रोलियम पदार्थ, इण्डियन आॅयल, रिलायंस, MRPL आदि
6.जहाजरानी कंपनी - GE Shipping, Scinoia
7. शराब की कंपनी - मोहन मीकिन्स, मैक्डाॅवेल, किंगफिशर
8. मछली एवं अन्य कंपनी - इन्डो एक्वेटिक लि.
9. होटल, रिसाॅर्ट आदि - EI Hotel, ITC Hotels मंगल मंगल प्रायः 45 दिन एक राशि में रहता है।
परंतु जब वक्री-मार्गी होता है तो 5-6 मास तक होता है। ऐसी स्थिति 3-4 साल में एक बार बनती है। ऐसे समय में इसका संबंध तेजीकारक ग्रहों से होने पर शेयर बाजार में उथल-पुथल मचा देता है। राहु-केतु शनि के साथ संबंध होने पर तेजी देता है। यह तेजी दीर्घकालिक होती है। मंगल का संबंध गुरु से दीर्घकालिक मंदी देता है। मंगल, हर्षल की युति बहुत तेजीकारक होती है तथा अचानक होती है।
1. ट्रैक्टर, आॅटोमोबाइल, स्पेयर पार्टस - Escort, Mahindra, Telco, Bajaj, Honda
2. विस्फोटक पदार्थ -IDL Chemical, Indo Gulf Industry
3. भारी इंजीनियरिंग-किर्लोस्कर, त्रिवेणी इंजी., वेस्टर्न पैक
4. सीमेंट उद्योग- ACC, Birla, JK Cement
5. लोहा, स्टील एवं हाउसिंग- Essar Steel, TISCO
6. केमिकल एवं फर्टीलाइजर - चम्बल फर्टीलाइजर, डंडो गल्फ, जुआरी एग्रो, टी.एन. पेट्रो
7. चाय एवं काॅफी- Brook Bond, Tata tea, Asia Coffee बुध यह सूर्य से 28° तक आता है तब वक्री होता है। इसी प्रकार अस्त भी होता है। यह साल में 6-7 बार अस्त होता है। इसकी अस्त अवधि 9-10 दिन से लेकर 40 दिन तक रहती है। इसके अस्त होने पर सभी प्रकार के बाजार में विशेष परिवर्तन आते हैं।
ऐसा देखा गया है कि बहुत सारे व्यापारी बुध अस्त के आधार पर ही वायदा व्यापार करके धनी हुए हैं। अतः सूर्य बुध की युति बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसका अध्ययन आवश्यक है। जब मार्गी बुध की सूर्य से युति होती है तो यह े superior conjunction कहलाती है तथा इस युति के 45-60 दिन बाद वक्री बुध से फिर युति होती है जिसे inferior conj. कहा जाता है। superior conj. वर्ष में 3 बार होती है। इस युति से बाजार में 8-10 दिन तक एकतरफा तेजी अवश्य होती है। युति में जब कभी बुध सूर्य से आगे निकल जाय या सूर्य आगे रहे तो भी बाजार एक बार टर्न अवश्य लेता है। इसी तरह बुध शुक्र की युति भी होती है। परंतु इस युति में यदि अन्य किसी ग्रह का प्रभाव न हो तो यह मंदी कारक रहती है।
उपरोक्त युतियों में यह अवश्य देखें कि यह युति किन राशियों में हो रही है। यदि मंदीकारक राशियों 2,3,4,6,7,12 में हो तो मंदी रहती हैं। यदि सूर्य राहु के साथ युति बने तो मंदी हट कर तेजी आती है। यदि शनि भी आ जाये तो तेजी और बढ़ती है। ग्रहण काल में शनि, गुरु, बुध युति भी तेजी कारक बनती है। अब देखें कि बुध, सूर्य, शुक्र सदा पास रहते हैं। चंद्रमा जो कि शीघ्रगामी ग्रह है वह भी इससे युति करता रहता है। जब कभी ये चारों ग्रह अंशों से नजदीक की स्थिति बनाते हैं तब बाजार में तेजी-मंदी का विस्फोट होता है। कं
1. ट्राँस्पोर्ट कंपनी- TCI Ltd., East-West Travels
2. मोटरकार कंपनी-DCM, Daewoo, Hindustan Motors, Maruti
3. प्रेस, प्रिंटिंग, न्यूजपेपर- Times,
4. दूर संचार- & VSNL, MTNL, Reliance, हच
5. कम्प्यूटर कंपनी- HCL, HP, Apple, कम्प्यूटर
6. कुरियर कंपनी- Blue Dart, DHL
7. धागा कताई कंपनी-Rajasthan spinning mill, Reliance
8. विज्ञापन कंपनी बृहस्पति इसका स्वभाव मंदीकारक व दीर्घकालीन स्थिति दर्शाता है। जब मंदीकारक राशियों में रहता है तो मंदी लाता है। जब पाप प्रभाव में हो तो दीर्घकालिक तेजी भी करता है। नीच का गुरु भी तेजीकारक होता है। गुरु शनि युति दीर्घकालीन तेजी देती है। गुरु, शनि, राहु आदि ग्रह दीर्घकालीन प्रभाव देते हैं। गुरु, हर्षल की युति अचानक तेजी पैदा करती है। गुरु बैंक का कारक है तो इसका प्रभाव भी बैकों पर पड़ता है। इनसे ब्याज दरों में तेजी आती है। जब गुरु अपना फल देता है तो त्ठप् डिपाॅजिट रेट बढ़ाता है। स्टाॅक एक्सचेंज में व्यापार बढ़ जाता है। विदेशी मुद्रा आगमन होता है। बैकों के शेयर के भाव बढ़ते हैं।
मार्केट में नये इश्यू आते हैं तथा सभी ओवर सब्सक्राइव होते हैं। अधिकतर कंपनियों की सालाना रिपोर्ट अच्छी आती है तथा कंपनियां बोनस शेयर व अच्छा लाभांश देती हैं।
1. बैंक, फाइनेंस कं. - SBI, BOI, ICICI, IFCI 2. रबर कं.- MRF Digiflex, अपोलो टायर
3. माईनिंग - Eastern Mining
4. वनस्पति घी - Amrit वनस्पति, रसोई लिमिटेड शुक्र यह भी मंदीकारक ग्रह है। यदि अकेला हो तो मंदी होती है।
जब यह वक्री होता हो तो बाजार में उथल-पुथल मचाता है। मथुन राशि में वक्री शुक्र शेयर बाजार में तेजी लाता है। गुरु के साथ युति मंदी लाता है। शनि, मंगल, राहु के साथ तेजी लाता है। बुध, शुक्र युति बाजार में विशेष प्रभाव नहीं डालती है। यह ग्रह विलासिता तथा सूती कपड़े का कारक होता है।
1. काॅटन मिल्स - मफत लाल, बाॅम्बे डाईंग
2. खूशबू एवं शृंगार-लक्मे, पौन्ड्स, माई फेयर लेडी
3. फोटोग्राफिक कं. - जिंदल फोटो, कोडक
4. फूलों की कंपनी
5. हस्तकला एवं महिला ड्रेस- गार्डन सिल्ड, बरेली
6. फिल्म उद्योग- ABCL, OK Play, Zee Film, अधिकारी ब्रदर्स शनि यह तेजीकारक ग्रह है। इसका प्रभाव देरी से व दीर्घकालिक होता है। जब इसका संबंध किसी तेजी कारक ग्रह के साथ तेजी कारक राशि में होता है तो यह दीर्घकालिक तेजी करता है। राहु के साथ युति तेजीकारक होती है।
हर्षल के साथ युति महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह युति 44-46 वर्ष में होती है। सूर्य के साथ शनि की युति वर्ष में एक बार होती है। जब यह युति मेष में हो तो मंदी, सिंह, कन्या, मकर में युति तेजी कारक होती है। वक्री शनि बाजार में उथल-पुथल देता है। शनि लोहे का कारक है। यह खेती एवं खेती के औजार पर अधिकार रखता है। काले रंग की वस्तुओं पर इसका अधिकार होता है। जब इसका प्रभाव होता है तब निजी क्षेत्र की कंपनी कम खुलती है। नये इश्यू कम आते हैं। निर्यात कम होता है। विदेशी मुद्रा में कमी आती है।
1. आॅयल पेट्रोलियम निकालने वाली कंपनी- ONGC, Oil India
2. चमड़ा उद्योग-M.S. shoes, Liberty, Mirya Tanmery
3. कृषि औजार - MICO, TAFE
4. सीमेंट स्ट्रक्चर - Indian Hume pipe
5. ऊनी मिल्स - Raymonds, Modern Woollen, Modella
6. कोयला कंपनी राहु-केतु इनका प्रभाव दीर्घकालीन होता है। जब पाप प्रभाव पड़ता है तो यह तेजी कारक होते हैं। राहु - शनि के समान उन्हीं वस्तुओं पर प्रभाव डालता है। केतु- मंगल के समान उन्हीं वस्तुओं पर प्रभाव डालता है। यूरेनस (हर्षल) यह बाजार में अचानक तेजी-मंदी करता है। यह ग्रह अफवाहों, घोटालों एवं राजनैतिक कारणों में तेजी-मंदी करता है। यह बिजली उत्पादन करने वाले बिजली घरों का कारक माना जाता है।
1. बिजली के तार तथा बिजली उत्पादन कं. - Tata power, BSES, Birla Erricson
2. बिजली बनाने के उपकरण- Jyoti Structures, KEC Ltd. नेप्च्यून धीमी गति का ग्रह है। यह 13) वर्ष एक राशि में लगाता है। इन तीनों ग्रहों की आपस में युति कई वर्षों बाद होती है। जब हर्षल की इन ग्रहों से युति होती है तो शेयर बाजार में तेजी आती है। ऐसी युति सन 1992 में हुई थी।
1. पेंट (रंग) उद्योग - Asian Paints, Nerolac
2. शिपिंग कं. -&Essar shipping, G.E. Shipping
3. चाय के बागान -&N.E.P.C, Tea Garden, T&I Global
4. कृत्रिम रेशम उद्योग -Century Rayon, india Rayon, J.K. Rayon
5. औद्योगिक गैस- Bhoruka Gases, Bombay Gases प्लूटो यह सबसे मंद गति वाला ग्रह है। इसका प्रभाव शेयर बाजार पर जब पड़ता है तो गुप्त सौदे करवाता है। जैसे कि प्राइवेट प्लेसमेंट या कोई तेजड़िया के साथ कंपनी मिल कर सांठ-गांठ करे तथा अपने शेयर के मूल्य के ऊंचा करे। इसकी सूर्य से युति भी तेजीकारक होती है।
1. इंश्योरेंस सेक्टर - ळप्ब् स्जकण्
2. प्लेसमेंट या लेबर मैनेजमेंट वाली कंपनी
3. हाॅस्पिटल आदि। राशि का शेयर कंपनियों से संबंध मेष: लोहा एवं स्टील उद्योग, मोटरकार, टैªक्टर उद्योग वृष: घड़ी उद्योग, इन्सुलेटर उद्योग, ग्लास उद्योग, दूध व डेयरी उद्योग, चीनी, खांडसारी उद्योग मिथुन: कागज उद्योग, प्रकाशन एवं न्यूज, कम्प्यूटर उद्योग, दूर संचार व फोटोस्टेट। कर्कः पेट्रोलियम उद्योग, शिपिंग कंपनी, फलों के रस व मशरूम, डेयरी व दूध, निर्यात उद्योग सिंह: सरकारी कंपनी, हीरा उद्योग, ऊनी मिल्स कन्या: कुरियर कंपनी, रजिस्ट्रार फर्म तुला: कपड़ा उद्योग, नायलोन, पाॅलिएस्टर, सिंथेटिक वृश्चिक: बीमा कंपनी, केमिकल्स, औषधि, एक्सप्लोसिव, ड्रग्स, खाने का तेल धनु: बीज की कम्पनी, मछली उद्योग, आयुर्वेद कंपनी मकर: चमड़ा, सीमेंट, कंस्ट्रक्शन कुंभ: पानी से बिजली उत्पादन, बिजली के मोटर, डायनेमो, बैटरी, टेलीविजन, घरेलू उपकरण मीन: बैंक तेजी कारक ग्रह राशि, दृष्टि एवं युति तेजीकारक ग्रह: सू., मं., श., रा., क.े, यूरेनस, प्लूटो, क्षीण चंद्र, पापी बुध चंद्रमा की तेजी मंदी अल्पकालीन होती है।
बुध की तेजी मंदी उल्पकालीन होती है। बुध की युति सूर्य के साथ होना अर्थात उदय या अस्त होना बाजार के लिये महत्वपूर्ण माना जाता है। मंदीकारक ग्रह: गुरु, शुक्र, पूर्ण चंद्र, अकेला बुध, गुरु दीर्घकालीन मंदी, शुक्र बुध अल्पकालीन तेजीकारक राशि: 1, 2, 5, 8, 10 मंदीकारक राशि: 3, 4, 6, 7, 9, 11, 12 जब तेजीकारक ग्रह तेजीकारक राशि में आता है तो अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले शेयरों में तेजी लाता है। इसी प्रकार मंदी कारक में होता है। अब प्रश्न यह है कि शनि तेजीकारक राशि में जब आयेगा तो क्या 2 वर्ष तक तेजी देगा? नहीं ऐसा नहीं है। इस तेजी-मंदी को सूक्ष्मता से देखना होगा। इसके लिये इसको हम नवांश में बांटेंगे। 3°20श् प्रत्येक भाग करेंगे।
पहले दो नवांशों में तेजी ग्रह तेजी लायेगा। तीसरे, छठे, नवें में मंदी लायेगा। तेजी मंदी 0°.6°40श् 6°40श्.10° 10°.16°40श् 16°40श्.20° 20°.26°40श् 26°40श्.30° दृष्टि संबंध ग्रह स्वभाव, प्रकृति, राशि की स्थिति के अनुसार ही तेजी मंदी करते हैं। युति: तेज ग्रह की तेज के साथ युति होने पर तथा तेजीकारक राशि में हो तो तेजी। सूक्ष्मता से देखने पर पायेंगे कि अंशात्मक युति होती है और प्रभाव पड़ता है। तेजी कारक दृष्टि युति (0°) अंशात्मक दृष्टि तेजी कारक पूर्ण फल 120° आधा फल 60° 1/4 30° 1/4 150° 1/4 36° 1/4 72° 1/4 144° 1/4 मंदीकारक दृष्टि प्रति युति (180° अंशात्मक दृष्टि) पूर्ण फल 90° 1/2 45° 1/4 22)° 1/4 135° 3/4 ग्रह युति संबंध यह संबंध एवं प्रभाव शेयर बाजार में सबसे ज्यादा होता है।
1. एक राशि में दो ग्रह का होना (युति) बहुत तेजी
2. ग्रहों का एक दूसरे से बारहवें होना तेजी
3. ग्रहों का एक दूसरे से केंद्र में होना मंदीकारक
4. ग्रहों का एक दूसरे से पंचम-नवम में होना तेजी
5. ग्रहों का एक दूसरे से तृतीय-एकादश में होना तेजी
6. ग्रहों का एक दूसरे से षष्ठ-अष्टम में होना बहुत तेजी शेयर बाजार का तेजी-मंदी योग तेजी
1. श, रा., के. जब तेजी कारक राशि में आये तो तेजी। शनि के इन राशि में आने से दीर्घकालीन तेजी। यदि तेज राशियों में पाप प्रभाव अधिक हो तो भयंकर तेजी। मंगल का इन राशियों में भ्रमण कुछ समय के लिए तेजी लाता है।
2. वक्री शनि द.पू. में उथल-पुथल देता है। तुला राशि में वक्री शनि से 2 माह तक तेजी रहती है।
3. मीन राशि में शनि हो तथा गुरु वक्री हो या शुक्र-शनि संबंध बनाये
4. शनि तथा वक्री गुरु का संबंध - 1,5,8,10 आदि राशि में हो।
5. शनि यदि 5,6,10 राशि में अस्त हो।
6. कन्या राशि में शनि उदित हो तो
7. वृष राशि का मंगल
8. कन्या राशि में सूर्य
9. 8, 9, 10 राशि का शुक्र
10. सिंह राशि में बुध मार्गी हो तो शेयर में मंदी होकर तेजी।
11. मिथुन राशि का वक्री शुक्र
12. यदि पंचक सूर्योदय से 45 घटी बाद आरंभ हो तथा इसी प्रकार इसकी समाप्ति हो तो एक माह तक तेजी।
13. बुध, गुरु, शनि अस्त हो तो
14. पंचक के दिनों में यदि ऐन्द्र, व्यतिपात या वैधृति योग हो तो
15. मेष या वृश्चिक की संक्रांति हो तथा वह 15 मुहूर्ती हो तथा गोचर में सूर्य-शनि की युति हो।
16. कुंभ राशि का शनि यदि तेजीकारक नवांश में हो तो बाजार गरम रहेगा। ऐसे में यदि पापग्रह का योग बढ़ जाता है तो बाजार और तेज हो जाता है।
17. कुंभ राशि का शनि 10°से 21°तक बहुत तेजी देता है।
18. क्रूर ग्रह वक्री होकर युति या दृष्टि संबंध करे।
19. मंगल, शनि मीन राशि में हो जब भी इनमें से कोई ग्रह इस राशि में प्रवेश करता है तो तेजी। ऐसे में किसी वक्री ग्रह का योग बन बैठे तो सोने पे सुहागा।
20. हर्षल व नेप्च्यून की युति भी तेजीकारक। यह युति मकर या अन्य तेजीकारक राशि में हो तो।
21. शनि व राहु में 5° का अंतर रहने पर।
22. जब किसी तेजी कारक ग्रहों में युति किसी तेजीकारक राशि में हो तो ऐसे में जब युति 1° की हो तो पूर्ण तेजी। जैसे-जैसे यह दूरी बढ़ती जाती है तो मंदी उसी प्रकार आती है। 23. कृष्ण पक्ष की दशमी का क्षय हो तो शेयर के मूल्य बढ़ते हैं। मंदी
1. शनि की युति मंदी कारक ग्रहों से मंदी कारक राशि में होने से मंदी आती है।
2. जब भी शनि मार्गी हो तो।
3. तुला राशि में वक्री शनि
4. शनि-गुरु, शनि-शुक्र, शनि-बुध की युति मंदी कारक होती है तथा यह युति कुंभ राशि में अवश्य मंदी लाती है।
5. कुंभ राशि का शनि हो तथा शुक्र अस्त हो।
6. बुध, गुरु, शुक्र जब भी आपस में युति करे तो
7. वृष राका शुक्र
8. कन्या राशि में बुध, शुक्र की युति हो तथा धनु राशि में शनि हो।
9. मीन राशि में सूर्य, गुरु व शनि का योग।
10. धनु राशि का शनि वक्री रहने पर पहले मंदी फिर तेजी तथा फिर मंदी लाता है।
11. पंचक के समय अधिकतम मंदी ही रहती है।
12. तुला राशि में गुरु मार्गी हो तो ।
13. धनु राशि का गुरु वक्री रहने से।
14. मेष राशि में शनि के अस्त रहने से।
15. मिथुन राशि में शनि अस्त हो तो भी घटा-बढ़ी होती है।
16. बुध पश्चिम में अस्त हो तो।
17. कुंभ राशि में राहु शेयर बाजार में मंदी लाता है।
18. शुक्र यदि वृश्चिक राशि में हो तो बाजार में मंदी आती है परंतु इस मंदी के तुरंत बाद तेजी भी आती है।
19. कन्या, तुला राशि का सूर्य बाजार में मंदी लाता है बशर्ते इसपर अन्य ग्रहों का प्रभाव न हो। 20. मंगल, राहु के एक राशि में रहने से मंदी आती है।