वर्तमान समय में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जातक की कुंडली में बनने वाले प्रमुख अशुभ योगों में एक काल सर्प योग भी है, हलांकि कुछ ज्योतिषियों का कहना है कि प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में इस योग की कोई चर्चा न होने के कारण इसकी कोई प्रामाणिकता नहीं है।
इस योग से ग्रस्त अधिकांश जातकों को इसके बुरे प्रभाव झेलने पड़ते हैं, प्रायः इसीलिए ज्योतिष में इतनी प्रमुखता दी गई है। कुंडली में काल सर्प योग होने पर उसकी शांति आदि अपनी शक्ति सामथ्र्य के अनुसार अवश्य करवानी चाहिए। जिन जातकों की कुंडली में यह योग बनता हो उन्हें निम्नलिखित काल सर्प शांति सामग्री उपयोग करना चाहिए।
लाॅकेट आदि को गले में धारण करें तथा यंत्र को अपने घर में स्थापित करके उसका नित्य पूजन करें। इससे काल सर्प योग के दुष्प्रभाव से बच सकते हैं। चांदी में बना काल सर्प यंत्र ला. ॅकेट इस लाॅकेट की प्राण प्रतिष्ठा करवाकर किसी शुभ मुहूर्त एवं शुभ वार को धारण कर सकते हैं। इसे धारण करने से मानसिक बल बढ़ता है और काल सर्प योग के दोष का प्रभाव कम होता है।
सर्पाकार चांदी की अंगूठी यह अंगूठी भी काल सर्प योग जन्य दोष की शांति के लिए धारण की जाती है। इसे किसी शुभ मुहूर्त अथवा शुभ वार को शुद्ध कच्चे दूध से अभिषिक्त कर दायें हाथ की सर्प दोष के अशुभ प्रभाव की शांति होती है। संयुक्त रत्न रुद्राक्ष लाॅकेट यह लाॅकेट आठ मुखी रुद्राक्ष एवं राहु रत्न गोमेद से बनाया गया है।
गोमेद राहु का रत्न है तथा आठ मुखी रुद्राक्ष को राहु की शांति के लिए प्रभावी माना गया है। यह लाॅकेट बुधवार अथवा शनिवार को धारण करना चाहिए। इसे धारण करने से काल सर्प दोष के कारण आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन खुशहाल होता है। काल सर्प दोष शांति यंत्र इस यंत्र की किसी शुभ मुहूर्त में पूजा, प्राण प्रतिष्ठा करके अपने घर में स्थापना करनी चाहिए।
यंत्र का नित्य धूप, दीप आदि से पूजन करें। साथ ही नित्य इसके सम्मुख बैठकर नवनाग गायत्री मंत्र का 108 बार जप करने से काल सर्प योग के अशुभ प्रभाव की शांति होती है तथा जीवन में सुख समृद्धि की अभिवृद्धि होती है। नव नाग गायत्री मंत्र ॐ नव कुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्पः प्रचोदयात्। अनामिका अथवा कनिष्ठिका में धारण कर सकते हैं। इसे धारण करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
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