तंत्र शास्त्र का कल्पतरु श्वेतार्क आचार्य पराक्रम जैमिनि अर्क का पौधा परिचय का मोहताज नहीं है। यह पौधा तंत्रद्गाास्त्र का एक चिर परिचित् दिव्य चमत्कारी पौधा है। इसका प्रयोग सभी अनुष्ठानों में होता है। तंत्र शास्त्र में रक्तार्क के प्रयोग श्वेतार्क की अपेक्षा कम ही प्राप्त होते हैं, श्वेतार्क के प्रयोग सर्वाधिक मात्रा में प्राप्त होते हैं।
इसके कुछ खास प्रयोग प्रस्तुत हैं-
सभी कार्यो में यद्गा विजय प्राप्ति हेतु : यदि रविवार को पुष्य नक्षत्र हो, उस दिन पूर्ण विधि से औषधि उत्पाटन के अनुसार श्वेतार्क की जड़ घर लाकर पूजन करें व गूगल की धूप व गौ घृत का दीपक इत्यादि पूर्ण विधि से सम्पन्न कर दूध व पंचामृत स्नान इत्यादि षोडशोपचार विधि से पूजन कर अपने मूल मंत्र से अष्टोत्तर सहस्त्र (1008) जप द्वारा अभिमंत्रित कर पुरुष दाहिने हाथ में और स्त्री बांये हाथ में धारण करें तो सभी कार्यों में यश व विजय प्राप्त होती है।
संतान प्राप्ति हेतु : संतान की इच्छा रखने वाली स्त्री को कमर (कटिभाग) में श्वेतार्क मूल को बांधने से इच्छित संतान प्राप्त होती है।
जगत् वद्गाीकरण हेतु : रवि पुष्य नक्षत्र में श्वेतार्क की जड़ विधिवत् ग्रहण कर अजामूत्र से पीसकर वटी बनाकर उसका तिलक लगाने से जगत् वद्गाीभूत हो जाता है।
वद्गाीकरण हेतु : मंजीठ, मौंथा, वच, श्वेतार्क की जड़ व अपने शरीर का रुधिर, इसके बराबर कूट लेकर उसका तिलक मस्तक पर करने से शीघ्र ही जगत वद्गाीकरण होता है।
शत्रु भयवीत करने हेतु : अर्क, धतूरा, बड़, चीता, मूंगा इनका जो तिलक करता है उसे शत्रु जब देखेगा तो उसे वह 5 गुना बड़ा दिखाई देगा।
स्त्री सौभाग्यवती हेतु : श्वेत आक की जड़ गुरु पुष्य नक्षत्र में विधिवत् उखाड़ कर बांयी भुजा में बांधने से दुर्भगा स्त्री भी सौभाग्यवती हो जाती है।
शस्त्र निवारण : भुजदण्ड में स्थित अर्क व खर्जुरी मुख में स्थित करने से व कमर के मध्य में केतकी धारण करने से शस्त्रों का निवारण होता है।
अतितुंड रोग नाद्गाक हेतु : पुष्य नक्षत्र युक्त रविवार में पूर्ण विधिवत् श्वेत अर्क (सफेद आक) की जड़ लाकर घर के खंबे में बांधने से बालक का अतितुंड रोग दूर होता है।
व्याधि व अरिष्ट नाद्गाक हेतु : रविवार को पुष्य नक्षत्र में संम्पूर्ण विधि से श्वेतार्क मूल उखाड़कर लाने व विधिवत् पूजन कर अरिष्ट शांन्ति के मंत्रों से अभिमंत्रित कर भुजा में धारण करने से व्याधि व अरिष्टों का नाद्गा होता है।
चूहे दूर करने हेतु : सफेद आक का दूध, कल्माष (कुल्थी) उड़द व कॉंजी व तिल इनका चूर्ण बनाकर आक के पत्ते पर रखने से चूहे नष्ट हो जाते है।
चूहे व मधुमक्खी का मुख बंधन हेतु : मघा नक्षत्र में श्वेत आक की जड़ मुलैठी के साथ शुभ क्षेत्र में स्थापन करें तो मूषक और मधुमक्खी का मुख बंधन हो जाता है।
खटमल नष्ट करने हेतु : श्वेतार्क की रूई से बनी बत्ती को कड़वे तेल से संयुक्त कर दीपक में जलाएं तो सब खटमल नष्ट हो जाते हैं।
सर्पभय निवारण हेतु : आक करवीर और पनस की जड़ को पीसकर चरणों में लेपन करने से सर्प भय दूर हो जाता है।
देशांतर में भूतप्रेत पिशाच इत्यादि से रक्षण प्रयोग : यदि कोई व्यक्ति श्वेतार्क यानी सफेद आक की जड़ को पूर्ण विधिवत ग्रहण करके हाथ में धारण कर देशांतर में जाये तो भूतप्रेत, पिशाच, इत्यादि उस सफेद आक की जड़ के प्रभाव से देखने मात्र से भाग जाते हैं।