अनूठा है जलमंदिर
अनूठा है जलमंदिर

अनूठा है जलमंदिर  

राकेश कुमार सिन्हा ‘रवि’
व्यूस : 6477 | फ़रवरी 2015

आदि अनादि काल से धर्म सम्मत रहे भारतवर्ष में गया की भूमि मोक्ष धाम है। इस पुण्य धरा पर प्रकारान्तर से ही श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण की निर्बाध परंपरा रही है और इस घोर कलियुग में भी यहां की महिमा अक्षुण्ण है। हजारों बर्षों के गौरवशाली इतिहास की गवाह यह भूमि संपूर्ण भारतीय और विश्व के देशों में निवासरत् हिंदुओं के लिए पुण्यमय तीर्थ है जहां हरेक वर्ष भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक के पंद्रह दिनों में पितृपक्ष मेला लगता है। मगध क्षेत्र के इस वार्षिक कुंभ में संपूर्ण विश्व के हिंदू आकर गया-श्राद्ध के बाद ही पितृऋण से उऋृण होते हैं। युगों-युगों से अपनी गौरवमयी सभ्यता संस्कृति के लिए अखिल विश्व में जयघोष का परचम लहराता भारतभूमि में हिंदू धर्म के साथ कुछ अन्यान्य धर्म संप्रदाय का आविर्भाव हुआ इसमें जैन धर्म का सर्व विशिष्ट स्थान है।

जैन परंपरा के अनुरूप जैन धर्म में कुल चैबीस महा तीर्थंकर हुए जिनमें अहिंसा, सत्य अस्तेय, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य जैसे ‘पंचमहाव्रत’ के उद्घोषकत्र्ता महावीर स्वामी का अपना अलग स्थान है। अंतिम व चैबीसवें तीर्थंकर के रूप में प्रख्यात महावीर स्वामी का जीवन व दर्शन एक ऐसा झलकता आईना है जिसमें भारतीयता के प्रायशः कृत दृष्टिगत होते हैं। महाश्रमण भगवान महावीर का महापरिनिर्वाण जहां हुआ था वह स्थान पावापुरी कहलाता है। विवरण है कि इसी स्थल में अंतिम समवशरण के बाद महावीर स्वामी बहत्तर वर्ष की अवस्था में शरीर छोड़ परममोक्ष को प्राप्त हो गये। भारतीय इतिहास में इसकी सर्वमान्य तिथि 468 ई. पूबतायी जाती है पर इतिहासविदों का एक वर्ग इसे 526 ई. पूर्व भी स्वीकार करता है।

स्थान भ्रमण, दर्शन व जैन आगम शास्त्रों के अध्ययन अनुशीलन से ज्ञात होता है कि बिहार क्षेत्र के जैन तीर्थ यथा राजगृह, वैशाली, कुंडलपुर, चैखंडी, लडुआर, बासो कुंड, गुणावां जी आदि के मध्य पावापुरी की महत्ता युगांे-युगों से कायम है जो नालंदा व राजगीर के साथ मिलकर ‘‘स्वर्णिम पर्यटन त्रिकोण’ बनाता है। पावापुरी राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवस्थित पावापुरी मोड़ से दो किमी. अंदर है जो नालंदा से 21 किमीराजगीर से 30 किमी. और बिहार की राजधानी पटना से 62 किमी. दूरी पर अवस्थित है। यह जानकारी की बात है कि महावीर स्वामी जी के निर्वाण तिथि के बाद से ही ‘वीर निर्वाण संवत्’ प्रारंभ होता है जिसका जैन समाज में विशेष महत्व है। ऐतिहासिक साक्ष्यों से जानकारी मिलती है कि भगवान महावीर धर्म प्रचार के क्रम में निर्वाण स्थिति का बोध होते हजारों सहयोगियों के साथ राजगृह से ‘पावा’ आए। पूर्व काल में इस क्षेत्र का नाम अप्पापुरी (आपापुरी) था। यहां आकर उन्होंने लोक कल्याणार्थ प्रवचन दिए, यह स्थान समवशरण कहलाता है।


Book Online 9 Day Durga Saptashati Path with Hawan


फिर दो किमी. पहले ही आकर जहां प्राण त्याग किए आज वहीं ‘जल मंदिर’ बना है। विवरण है कि भगवान महावीर का अंतिम संस्कार एक बड़े कमल सरोवर के बीच किया गया। ऐसे यहां के महात्मा यह भी कहते हैं कि मृत्यु के बाद महावीर जी का शरीर कर्पूर की भांति कांतिमय हो हवा में विलीन हो गया। चाहे जो भी हो पर यह पूर्णतया सत्य है कि महावीर जी का जीवनान्त यहीं हुआ। जैन आगम शास्त्र में इसका नाम नौखूद-सरोवर मिलता है। प्राच्य काल में लगभग पचास एकड़ भू-भाग में विस्तृत इस तालाब में लाल, नीला व सफेद कमल पुष्प खिले थे और आज भी कमल पुष्प व रंग-बिरंगी पद्धतियांे से यह तालाब शृंगारित है। पास में ही पार्क, दादाबाड़ी और श्वेताम्बर व दिगंबर मंदिर दर्शनीय हंै। संपूर्ण देश में अनूठा व विअलग इस मंदिर तक जाने के लिए लाल पाषाण खंड के पहुंच पुल बनाए गए हैं जिसके प्रारंभिक व अंतिम छोर पर अलंकृत कक्ष बना हुआ है। मंदिर पूर्वाभिमुख है जिसके अंदर के तीन कक्षों में ठीक सामने बाबा महावीर जी, बाएं तरफ गौतम स्वामी व दाहिने सुधर्मा स्वामी का चरण वंदन स्थान है।

शांति, साधना व तपश्चर्या के इस स्थल में श्वेत संगमरमर पाषाण से बनी कृतियां भ्रमणकारियों को सुखद अहसास दिलाती हैं। मंदिर में चारांे कोनों पर व बीच में अलंकृत शिखर बने हैं। यह मंदिर तीन द्वार युक्त है। यहां पूजा पाठ का दायित्व निभाने वाले पारस उपाध्याय बताते हैं कि ऐसे तो यहां सालों भर दूर देश के लोग आते रहते हैं पर दीपावली की रात ‘निर्वाण महोत्सव’ पर यहां की रौनकता देखते बनती है। पावापुरी का प्रथम आकर्षक पड़ाव जलमंदिर के बाद यहां पुरानी बस्ती में विराजमान ‘गांव मंदिर’ देखे जाने का विधान है। इसकी ऊपरी मंजिल के छत पर की गई नक्काशी व चित्रकारी के साथ महावीर स्वामी का प्रभावोत्पादक विग्रह दर्शकों का मन प्रसन्न कर देता है। पावापुरी जल मंदिर से दो कि.मीदूरी पर समवशरण मंदिर देखा जा सकता है।

यह वही स्थान है जहां महा श्रमण महावीर के अंतिम संदेश ने जन-जन को तृप्त किया था। श्वेत व आकर्षक संगमरमर खंडों से निर्मित यह स्थान निर्माण कला का उत्कृष्ट नमूना है जहां मध्य भाग में उंचे पाठ पीठ पर महावीर जी की मूर्ति चारों दिशाओं में चार लगी है और इन्हें देखकर ऐसा लगता है जैसे अब प्रभु बोल उठेंगे। इस मंदिर के अंदर निर्माण कार्य जारी है। यहां पूजा वस्त्र पहन कर ही अंदर (गर्भगृह में) आने का विधान है। जिस प्रकार तथागत के जीवन में पीपल पेड़ का महत्वपूर्ण स्थान रहा है ठीक वैसे ही महावीर स्वामी के साथ भारत के राष्ट्रीय वृक्ष अशोक का जुड़ाव है यही कारण है कि समवशरण मंदिर में संगमरमर पत्थर पर बना अशोक वृक्ष व उसकी लता कुंजों का सुंदर चित्रण हुआ है। ध्यातव्य है कि जैनतीर्थ ‘पावापुरी’ के रूप में चांपानेर का भी नाम आता है जो कभी गुजरात प्रदेश की राजधानी के रूप में चर्चित रही।

इसी नगर में पावागढ़ पर्वत है जो बड़ोदरा नगर से पचास किमी. दूरी पर अवस्थित है। सम्प्रति नए जमाने में पावापुरी में विकास की किरण तो आई है पर यहां योजनाबद्ध तरीके से विकासात्मक कार्य कराया जाना आवश्यक प्रतीत होता है। मुख्य मार्ग से अंदर सड़क पर भी त्वरित ध्यान दिया जाना चाहिए। बिहार राज्य पर्यटन-विकास निगम की बसें भी यहां नियम से आती हैं तो देश के किसी भी भाग से ‘गया’ या ‘पटना’ होते नालंदा-राजगीर के रास्ते यहां आना सहज है।

यहां आने वाले यहां की तस्वीरें, किताब, माला, महावीर स्वामी की मूर्ति व चरण चिह्न लेना नहीं भूलते। कुछ-कुछ तो श्रद्धावश यहां की मिट्टी तक ले आकर अपने पूजन गृह में रखा करते हैं। कुल मिलाकर देश के जैन तीर्थ यथा सम्मेद शिखर (पाशर््वनाथ), श्रवण बेलगोला, उदयगिरि -खंडगिरि, टणकपुर, गिरनार, पालिटाणा (शत्रंुत्रय), ऋषभदेव तीर्थ आदि के मध्य पावापुरी एक सम्मानित स्थान है जहां के दर्शन-भ्रमण से ही पुरातन युग की स्मृति सहज में जीवन्त हो जाती है।


क्या आपकी कुंडली में हैं प्रेम के योग ? यदि आप जानना चाहते हैं देश के जाने-माने ज्योतिषाचार्यों से, तो तुरंत लिंक पर क्लिक करें।




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.