भारत और विश्व के मौजूदा और आगामी समय पर मंगल और शनि के संयुक्त प्रकोप का प्रभुत्व वर्तमान समय में पूरा संसार किसी न किसी रूप में कुछ न कुछ संकट से गुजर रहा है। कुछ समय पहले शनि एवं मंगल अग्नि तत्व राशि में आने के परिणाम स्वरूप उत्पात मचाते रहे। कितने ही हवाई जहाज़ ध्वस्त हुए, भारत में पैट्रोल-डीजल में आग लगी, कई दिन तक जयपुर में हाहाकार मचा रहा, कश्मीर में पाकिस्तान की मदद से भारत के विरोध में कई दिन तक हड़ताल हुई जिसमें गोलियां भी चलीं और कई लोगों की जानंे गई।
जब-जब मंगल और शनि दोनों का पृथ्वी तत्व राशि कन्या में संबंध बना तो पृथ्वी पर पानी से प्रलय जैसा मंज़र हो गया, अमरीका, यूरोप, विशेषकर चीन में भूस्खलन हुआ। सैकड़ों लोगों की जानें गई। भारत में लेह में बादल फटने से भारी तबाही मची। कुछ दिन पहले रेल दुर्घटना में जानमाल का नुक्सान हुआ। महंगाई को लेकर भारत की संसद में कई दिन तक हंगामा होता रहा फिर भी महंगाई पर कोई असर नहीं हुआ, जातिवाद को लेकर हंगामा होता रहा। साथ ही साथ ज्ञान विज्ञान में मतभेद होते रहे और जातिवाद तथा सांप्रदायिकता की राजनीति से अवसरवादी लोग स्वार्थपूर्ति में लगे रहे।
भारत की जन्मपत्रिका में वर्तमान समय में सूर्य की महादशा में मंगल की अंतर्दशा चल रही है। सूर्य गोचर में अग्नितत्व राशि (सिंह) में है और मंगल शनि के साथ कन्या राशि में स्थित होकर जलतत्व राशि (मीन) को देख रहे हैं। मीन राशि में स्थित गुरु पृथ्वी तत्व राशि (कन्या) को देख रहे हैं इसलिए जितनी भी जलवृष्टि हुई उसे नियंत्रित कर रहे हैं। भारत में काॅमनवैल्थ गेम्स 2010 के लिए संसद में अर्थ के दुरुपयोग को लेकर हंगामा चल रहा है जिसके कारण कई कर्मचारियों ने इस्तीफा दे दिया। मेरे विचार में जब सूर्य 15 सितंबर 2010 को कन्या राशि में प्रवेश करेंगे उससे पहले कई मंत्रियों को पद से हटाया जा सकता है और कई नए लोगों को मंत्री पद मिल सकता है। प्रधान मंत्री के साथ भी कोई घटना घट सकती है या सदमा लग सकता है। मंत्री मंडल में बड़े स्तर का परिवर्तन देखा जा सकता है जिसके कारण कांगे्रस पार्टी में आंतरिक मतभेद उभर सकते हैं।
नेताओं में कश्मीर को लेकर वाद-विवाद, परस्पर एक-दूसरे को नीचा दिखाने की जद्दोजहत चलती रहेगी। नक्सलवादी घटनाओं में जानमाल की हानि हो सकती है जिस पर सरकार द्वारा नियंत्रण करना मुश्किल हो जाएगा। इसके कारण विरोधी दल संसद पर हावी रहेगा। वर्तमान में प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह जी का समय खराब चल रहा है क्योंकि उनका लग्न धनु, राशि कर्क और राहू की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा चल रही है और शुक्र अष्टम भाव में बैठे हैं। शुक्र का कर्क लग्न के लिए अकारक और मारकेश होकर अष्टम भाव में स्थित होना उनकी सेहत खराब कर सकता है। शारीरिक रूप से ठीक न होने के कारण उनको देश चलाने में परेशानी हो सकती है इसलिए उन्हें अपने स्वास्थ्य के प्रति ध्यान देना चाहिए। अपनी ही सरकार में उनके सहयोगी षडयंत्र कर सकते हैं जिसके कारण उनको इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा सकता है।
चिंता का विषय यह है कि आपस में लड़ाई से देश का नुक्सान होगा क्योंकि देश की जन्मकुंडली में सूर्य, मंगल और शनि गोचर में खराब स्थिति में होने से और प्रधान मंत्री जी का समय खराब होने से विशेषकर कश्मीर, नक्सलवाद एवं महंगाई के चलते अराजकता की स्थिति बन सकती है। इसलिए मंत्री मंडल में परिवर्तन अवश्य होगा। भारत एवं पाकिस्तान के बीच अमरीका हस्तक्षेप करेगा जिससे दोनों देशों में अशांति हो सकती है, अफगानिस्तान/तालिबान में भयंकर स्थिति उत्पन्न होगी और पाकिस्तान में भी अराजकता की स्थिति रहेगी। 2010 से 2013 में एशिया महाद्वीप में भयंकर स्थिति उत्पन्न होगी।
2012 में शनि अपनी उच्चराशि तुला में रहेंगे। जब मंगल और शनि एक-दूसरे को देखेंगे, अग्नि एवं वायु का संबंध युद्ध जैसी स्थिति बनाएगा जिससे चीन, पाकिस्तान, भारत व अफगानिस्तान में अधिक नुक्सान होगा। पाकिस्तान व तालिबान में तबाही की स्थिति बनेगी। तब भारत का प्रधान मंत्री कोई और होगा जो भारत को इस मुसीबत से बचा लेगा। भारत की कुंडली में जुलाई 2012 से जून 2013 के मध्य सूर्य की महादशा में शनि की अंतर्दशा चलेगी। भारत के लिए शनि योगकारक होने के कारण अच्छा फल देगा क्योंकि जब-जब शनि तुला में उच्च के रहे हैं, तब-तब देश के लिए अच्छा हुआ है। परंतु मंगल शनि के विध्वंसकारी परस्पर दृष्टियोग की स्थिति में विभिन्न देश मिज़ाइल का प्रयोग एक-दूसरे के विरुद्ध करेंगे। अग्नि एवं वायु के प्रभाव से वायुयान का अधिक नुक्सान होगा, मिज़ाइल के प्रयोग की बजह से पृथ्वी पर हाहाकार मचेगा। तब ऐसी विकट परिस्थितियों में कुछ मित्र देशों का नेतृत्व करते हुए भारत का सर ऊंचा होगा और विश्व के मानचित्र पर भारत महाशक्ति के रूप में उभरेगा।