इस संसार में प्रत्येक मनुष्य ऋणानुबंधन में बंधा हुआ है तथा विभिन्न प्रकार से ऋण चुकाता भी है और वसूलता भी है। विभिन्न संबंधी जैसे माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी, पुत्र-पुत्री, दामाद, बहू तथा इनसे बनने वाले अनेक रिश्ते ऋणानुबंधन के ही विभिन्न रूप हैं, जो अनुबंध के अनुसर ही खुशी या गम प्रदान करते हैं। हर व्यक्ति की जन्मकुंडली में ऋण का अनुपात अपने-अपने भाग्य एवं कर्मानुसार निर्धारित होता है। मनुष्य की जन्मकालीन ग्रह स्थिति के सूक्ष्म अध्ययन द्वारा संपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
यहां हम ऋण के बारे में विचार कर रहे हैं। सामान्य रूप से हर कोई धन से संबंधित ऋण के बारे में ही जानता है, क्योंकि वर्तमान युग अर्थप्रधान युग है और सारे व्यवहार और कारोबार धन से ही संचालित हो रहे हैं। अतः ऋण भी आर्थिक संदर्भ में माना जाता है। जन्मकुंडली में छठा भाव ऋण के बारे में जानकारी प्रदान करता है, छठे से छठे अर्थात एकादश भाव, लाभ स्थान है, उसके धन-भाव का अध्ययन करने से आर्थिक स्थिति की स्पष्ट जानकारी प्राप्त होती है।
ऋण से मुक्त होने के उपयोगी उपाय
- मंगल यंत्र की स्थापना: ताम्रपत्र पर त्रिकोण आकार में उत्कीर्ण मंगल यंत्र को शुभ मुहूर्त में पूजा स्थल पर स्थापित करके शुद्ध घृत का दीपक जलाएं, कुमकुम का तिलक यंत्र पर करें तथा फूल, फल और मिठाई (बूंदी के दाने या लड्डू) का भोग लगाकर निम्नलिखित मंत्र का यथाशक्ति जप करें।
मंत्र: ¬ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः यह शुक्ल पक्ष के मंगलवार से प्रारंभ करके नियमित रूप से करें। प्रसाद सर्पप्रथम कन्या को और पशु-पक्षियों को डालकर फिर स्वयं और परिवार को बांटें। प्रतिदिन न कर सकें तो प्रत्येक मंगलवार को अवश्य करें। प्रतिदिन मंत्र जप करना और दीपक जलाना आवश्यक है। यह उपाय ऋण मुक्ति हेतु सर्वश्रेष्ठ और अचूक पाया गया है।
- प्रत्येक शनिवार सुबह मीठा जल पीपल की जड़ में चढ़ाएं और संध्याकाल सरसों के तेल का दीपक जलाएं या तेल में सिक्का डालकर अपना चेहरा देखें व उसे डकौत को दे दें। यह भी अनुभूत प्रयोग है और राहत प्रदान करने वाला है।
- प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर किसी मंदिर में जाकर अपने इष्ट देव या माता की विधिवत् पूजा करें और मावे के पेड़े का भोग लगाएं। तत्पश्चात् प्रसाद स्वयं न खाकर अपने कर्मचारियों को एक रुपये का सिक्का और पेड़े का प्रसाद दें। उसके बाद स्वयं प्रसाद खाएं, प्रसाद आपकी पत्नी या मां, बांटें। इसी प्रकार व्यवसाय (दुकान) के नौकरों में प्रसाद बांटें। इस दिन घर पर मांस, शराब, प्याज, लहसुन आदि का सेवन न करें। बंद फैक्ट्री या दुकान चल निकलेगी।
- ऋण से मुक्ति का विशेष मंत्र निम्नलिखित है: ‘‘¬ भूरीदा भूरी देहिनो मां दभ्रं भूर्य भरं भूरि धेविन्द्र दित्ससि ¬ भूरि दाह्यसि श्रुतः पुरूजा शूर वृत्रहन्। आनो भजस्व राधसि।’’ उपरोक्त मंत्र का एक माला (108 बार) पाठ नित्य करें।
- रुके हुए व्यापार में गति लाने तथा धन वृद्धि के लिए अचूक मंत्र निम्नलिखित है: ¬ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ¬ महालक्ष्म्यै नमः। उपरोक्त मंत्र का जप श्री यंत्र की स्थापना करके या कमलदल में बैठी मां लक्ष्मी के चित्र के सामने करना है। इसकी सिद्धि श्रद्धा, दृढ़ इच्छाशक्ति और निरंतर साधना के द्वारा ही संभव है।
- किसी के द्वारा तांत्रिक प्रयोग कराए जाने से आप ऋण के दलदल में फंस गए हैं, निकलना चाहते हैं, मगर अनिष्टकारी शक्तियों के चलते निकल नहीं पाते, कोई न कोई ऐसी परेशानी खड़ी हो जाती है कि धन खर्च होता जाता है और ऋण अदा होने की बजाय बढ़ता जाता है तो इससे मुक्ति हेतु निम्नलिखित प्रयोग करें।
प्रयोग: डेढ़ मीटर सफेद कपड़ा लेकर उसे अपने सामने बिछा लें, गुलाब के पांच फूलों को गायत्री मंत्र पढ़ते हुए उसमें बांध दें। आप शीघ्रताशीघ्र ऋण से मुक्त हो जाएंगे। तांत्रिक टोने-टोटके का प्रभाव जाता रहेगा।
गायत्री मंत्र: ‘‘¬ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्।।