आधुनिक युग में अर्थ का महत्व बढ़ गया है। आज हर व्यक्ति कम समय में ज्यादा धन कमाने की इच्छा रखता है। शेयर बाजार में पूंजी निवेश से अधिक धन कमाने का मौका मिलता है। लिस्टेड कंपनियों के भाव में उतार-चढ़ाव आने से तुरंत मुनाफे या नुकसान की स्थिति बनती है। शेयर बाजार की तेजी-मंदी के बारे में भारत का ज्योतिष शास्त्र काफी हद तक मार्गदर्शन कर सकता है।
प्राचीन ग्रंथों का आधार लेकर कई ज्योतिष विद्वानों ने वारों राशियों, ग्रहों की स्थितियों का विश्लेषण करते हुए इस विषय पर विचार किया है। कुछ ज्योतिषियों ने नए संशोधित ग्रह हर्षल, नेप्च्यून और प्लूटो को भी ग्रहों की श्रेणी में शामिल कर लिया है। इस विषय में आगे बढ़ने से पहले शेयर बाजार की उत्पत्ति के बारे में जानकारी लेना जरूरी है। दुनिया में सब से पहले अमेरिका में न्यू याॅर्क स्टाॅक एक्स्चेंज की स्थापना सन् 1792 में हुई थी।
उसके बाद इंग्लैंड में लंडन स्टाॅक ऐक्स्चेंज की स्थापना सन 1809 में हुई। भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान बाॅम्बे स्टाॅक ऐक्स्चंज की स्थापना 17-1-1899 को मुंबई (तब बंबई) में हुई। उसके बाद 27-11-1992 को नेशनल स्टाॅक एक्स्चेंज की स्थापना मुंबई में की गई। कंप्यूटर के विकास के साथ स्टाॅक एक्स्चेंज और स्टाॅक ब्रोकरों ने कंप्यूटर का इस्तेमाल करना शुरू किया, जिससे शेयर का सौदा करने में बहुत पारदर्शिता आ गई।
कुछ वर्षों पहले सीएनबीसी नाम का बिजनेस चेनल शुरू हुआ और टीवी पर बीएसई और एनएसई में लिस्टेड कंपनियों के भाव के उतार-चढ़ाव के समाचार के साथ विश्लेषण देना शुरू किया। इस तरह शेयर बाजार का विकास होता रहा। शेयर बाजार में विविध कंपनियों के बिजनेस के मुताबिक विभिन्न श्रेणियां बनाई गईं जैसे सीमेंट, स्टील, केमिकल, पेट्रोलियम, माइनिंग, चीनी, बैंक, कागज, फार्मा, ओटोमोबाइल, आइटी, यातायात इत्यादि। विद्वान ज्योतिषियों ने गुणधर्म के आधार पर उन श्रेणियों को नौ ग्रहों के आधिपत्य में रखा और कौन सा ग्रह कैसे असर करता है, उसके बारे में कई सिद्धांत दिए।
इसके अलावा कई ज्योतिषियों ने आजाद भारत और शेयर बाजार की कुंडलियां बनाकर अभ्यास किया और वारों व राशियों में नौ ग्रहों के गोचर भ्रमण का विस्तृत विश्लेषण करके तेजी और मंदी के बारे में कई विचारधाराओं का प्रतिपादन किया। आज भी कई ज्योतिष प्रेमी इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने की कोशिश करते रहते हैं।
शेयर बाजार में पूंजी निवेश कर धर्नाजन करने मे ंज्योतिष सहायक हो सकता है, पर इसके लिए किसी योग्य ज्योतिर्विद का परामर्श आवश्यक है। यहां कुछ प्रमुख ग्रह स्थितियों का विश्लेषण प्रस्तुत है। जिनके अनुसार पूंजी निवेश करने से लाभ मिल सकता है। जन्म कुंडली में पंचम स्थान, लाभ-स्थान, भाग्य स्थान, धन स्थान और सुख स्थान और उनके अधिपति के शुभ संबंध से धन लाभ की स्थिति बनती है।
पंचमेश, लाभेश, भाग्येश, धनेश और सुखेश का शुभ युति या प्रति युति या दृष्टि संबंध केंद्रस्थान या त्रिकोणस्थान में होने से विशेष लाभ का योग बनता है। इसके अतिरिक्त यदि बलवान और अनुकूल ग्रह दूसरे, पांचवें, नौवें और 11वें भावों से संबंधित हों तो उन ग्रहों के आधिपत्य में जिस श्रेणी की कंपनियां आती हों, उनमें निवेश करने से लाभ मिल सकता है। नवांश कुंडली और जन्मकुंडली में ग्रहों के नक्षत्र पति का प्रभाव देखने में आया है। यह विषय काफी रोचक और विस्तृत है।
यदि जन्म कुंडली में गोचर ग्रहों का भ्रमण शुभ और लाभदायक है तो व्यक्ति शेयर बाजार में अच्छा मुनाफा कमा सकता है। गोचर ग्रहों के मिश्रफल का योग हो, तो ज्यादा खतरा लेने की जरूरत नहीं है। किंतु सही जानकारी के साथ सीमित कारोबार कर सकते हैं। गोचर ग्रहों की चाल समझना बहुत जरूरी है। ग्रहों का नक्षत्र, वक्री या मार्गी, अस्त या उदित और वेध, युति, प्रति युति, दृष्टि संबंध संबंध आदि की जानकारी बहुत जरूरी है।
शेयर बाजार में तेजी-मंदी की भविष्यवाणी में गोचर ग्रहों की जानकारी बहुत उपयोगी होती है। कुछ ज्योतिषी ग्रहों के नक्षत्रों के पदों (चरण) के अधिपतियों के प्रभाव का विचार करके भविष्यवाणी करते हैं। शुभ और अशुभ ग्रहों की युति, प्रति युति या दृष्टि संबंध तेजी या मंदी पर काफी प्रभाव डालता है। गोचर ग्रह की चाल में अष्टक वर्ग का उपयोग कर लाभ या हानि की स्थिति का पता लगाया जा सकता है।
इसके अलावा शेयर दलालों में पंचांग का उपयोग बहुत प्रचलित है। जैसे अमावस्या, रिक्ता तिथि, वृश्चिक राशि के चंद्र, राहु काल, ग्रहण काल, व्यतिपात योग इत्यादि के समय में कारोबार कम होता है। ऐसे समय में तेजी-मंदी बहुत सामान्य रहती है। जन्म कुंडली में चंद्र राशि का नक्षत्र बहुत महत्व रखता है।
तारा चक्र से शुभ और लाभदायक नक्षत्र का पता और सही समय में शेयर बाजार में कारोबार करने का मार्गदर्शन मिलता है। उन शुभ नक्षत्रों में अन्य ग्रहों के गोचर भ्रमण में अच्छे लाभ की संभावना रहती है। अशुभ नक्षत्र में कारोबार करने से नुकसान हो सकता है। कोई भी ग्रह उच्च और स्वगृही हो और मित्र या शत्रु या फिर नीच राशि में होने से उनके प्रभाव का भिन्न असर होता है।
लंबी तेजी-मंदी के लिए शनि, राहु और गुरु का प्रभाव देखने में आया है, और मध्यम तेजी-मंदी पर मंगल, सूर्य, बुध तथा शुक्र का प्रभव ज्यादा होता है। किंतु दिन-प्रतिदिन की तेजी-मंदी पर चंद्र और उसके नक्षत्र का प्रभाव होता है। ग्रह के राशि प्रवेश और मार्गी या वक्री ग्रह का असर ज्यादा होता है है। शनि और राहु का गोचर बड़ा महत्व रखता है। शनि-राहु की युति तेजी और शनि-केतु की युति मंदी की सूचक होती है। गोचर राहु पर गोचर चंद्र या बुध का भ्रमण तेजी दर्शाता है। किंतु गोचर केतु पर चंद्र या बुध का गोचर भ्रमण मंदी लाता है।
जिसकी कुंडली में चंद्र व शनि का योग हो और केतु पर शनि की दृष्टि हो, तो शेयर बाजार ने सट्टे का कारोबार करना नुकसानदायक होगा। कुछ लोगों की मान्यता है कि जिस महीने में पांच सोमवार या मंगलवार या बुधवार या गुरुवार या शनिवार या रविवार आएं उस महीने में तेजी-मंदी का नया सिद्धांत दिया गया है।
इसके अलावा सोमवार को तेजी हो तो मंगलवार को मंदी होगी, बुधवार को मंदी हो तो गुरुवार को तेजी होगी। इसी प्रकार यदि गुरुवार को मंदी हो तो शुक्रवार को तेजी होगी। किंतु यह मत शत प्रतिशत सही नहीं है। जब शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आती है तब मीडिया वाले ब्लैक फ्राइडे या ब्लैक मंडे जैसा विशेष नाम देते हैं। शेयर बाजार में जब तेजी आती है तब लिस्टेड कंपनियों के शेयर का भाव उच्चतम हो जाता है और जब शेयर बाजार मंदी की लपेट में आता है
तब कंपनियों के शेयर का भाव न्यूनतम हो जाता है। किस कंपनी का शेयर खरीदना चाहिए और कब खरीदना चाहिए यह प्रश्न बड़े महत्व का है। भारत में शेयर बाजार का कारोबार बाॅम्बे स्टाॅक एक्स्चेंज (बी. एस. एइ.) और नेशनल स्टाॅक एक्स्चेंज द्वारा होता है। बी ए. स इ सेन्सेक्स (सूचकांक) में ‘अ’ ग्रुप की 30 बड़ी और निफटी में 50 बड़ी कंपनियों की गिनती होती है। इससे शेयर बाजार की तेजी मंदी का मूल्यांकन होता रहता है। जिस कंपनी की आर्थिक स्थिति आमदनी, मुनाफा और शेयर मूल्य पर कमाई की वृद्धि और भावी योजना से ज्यादा मुनाफा कमाने की संभावना ऐसी कंपनियों के शेयर खरीदने से बढ़ जाती है।
अच्छी कंपनियों के शेयर खरीदने से अधिक लाभ मिल सकता है। किंतु शेयर खरीदने से पहले कंपनी के बारे में पर्याप्त जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए। जब शेयर का भाव न्यूनतम हो तब और उच्चतम हो तब बेचना चाहिए। शेयर बाजार में हर वर्ष दो या तीन बार तेजी या मंदी आती है, तब न्यूनतम और उच्चतम लेबल से सही जानकारी से धन लाभ प्राप्त करने का मौका मिलता है।
जिस की जन्म कुंडली में शेयर बाजार से मध्यम लाभ का योग हो उसके लिए उपर्युक्त प्रकार का कारोबार लाभदायक रहेगा। कंप्यूटर के विकास के साथ आॅन लाइन टेªडिंग शुरू हुआ और कुछ लोग इन्ट्रा डे ट्रेडिंग से शेयर बाजार में मुनाफा कमाने का मौका लेते रहे हैं। इसमें ज्योतिष शास्त्र का सही उपयोग करने से लाभ की संभावना बढ़ जाती है। चंद्र राशि और चंद्र नक्षत्र और उसके अधिपति का प्रभाव देखने में आया है।
सोमवार से लेकर शुक्रवार तक करीब साढ़े पांच घंटा शेयर बाजार का कारोबार बी. एस. इ. और एन. एस. इ में चलता है और उसमें हर 50 मिनट में शेयर के भाव में बदलाव आता रहता है। इस प्रकार के उतार-चढ़ाव जब होते हंै तब इंट्राडे-ट्रेडिंग करने में कभी मुनाफा तो कभी नुकसान होता है।
पहले वायदा का कारोबार चलता था। उसमें कभी मुनाफे और कभी नुकसान की नौबत आती थी। कुंडली में अशुभ गोचर ग्रहमान के दौरान गलत निर्णय लेने से बड़ा नुकसान भी हो जाता है। करीब पांच वर्ष से वायदा का कारोबार बंद हो गया है। अब उसकी जगह फ्यूचर और अप्शन डिराइवेटिब्स आया है जिसमें कई लोग अच्छा लाभ प्राप्त करते हैं। शेयर बाजार में जब तेजी का माहौल होता है
तब डिराइवेटिव्स खेलने वाले काफी लाभ प्राप्त करते हैं, किंतु जब अचानक मंदी का माहौल आता है तो अधिक नुकसान की संभावना बन जाती है। अगर जन्म कुंडली में शेयर बाजार से मघ्यम लाभ की स्थिति हो तो डिराइवेटिव्स से दूर रहना उचित रहेगा। जन्म कुंडली के अनुसार शेयर बाजार से लाभदायक स्थिति हो, तो भी चंद्र पर शनि की दृष्टि गलत निर्णय लेने से नुकसान करवाती है।
अभी सिंह राशि में शनि का गोचर भ्रमण चल रहा है जब गोचर का चंद्र तुला, कुंभ, वृष और राशि में आए तब सट्टे के कारोबार से दूर रहना उचित होगा अन्यथा नुकसान की संभावना रहती है। उसी तरह शनि पर सूर्य के गोचर भ्रमण के दौरान नुकसान से बचना जरूरी है। जन्म कुंडली में बुध से जब चंद्र का नव-पंचम योग गोचर भ्रमण के दौरान बनता है उस समय यदि लग्न स्थान से अष्टम या द्वादश स्थान से गोचर चंद्र गुजरता है तो गलत निर्णय से नुकसान की संभावना बनती है। भारत की अर्थव्यवस्था में शेयर बाजार का महत्व बहुत अधिक है। कुछ वर्षों से सरकार ने बीमा कंपनियों को भी शेयर बाजार में पूंजी निवेश की इजाजत दी है।
अब जीवन बीा निगम का एकाधिकार नहीं रहा। निजी बीमा कंपनियों के आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। और बीमा पाॅलिसी धारकों की अधिक फायदा देने में होड़ लगी है। कई बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाएं म्यूच्यूअल फंड के कारोबार में सक्रिय हैं। शेयर बाजार की तेजी के माहौल में इनके यूनिटों की एनएपी में काफी वृद्धि हुई है। किंतु उसमें एंट्री या एग्जिट लोड होता है और शाॅर्ट टर्म में हर समय मुनाफा कमाना मुश्किल होता है। जब शेयर बाजार मंदी की लपेट में आता है तब कभी-कभी म्यूच्यूअल फंड की एनएपी यूनिट मूल्य से नीचे चली जाती है।
म्यूच्यूल फंड के यूनिट को जब चुकाना होता है तब उसमें आयकर की कपात हो जाती है। इसलिए ज्यादातर लोग म्युच्यूअल फंड से दूर रहना चाहते हैं। बीमा कंपनियों ने यूनिट लिंक पाॅलिसी निकाल कर बीमा पालिसी धारकों को ज्यादा फायदा पहुंचाने की व्यवस्था की है। यूनिट लिंक पाॅलिसी धारकों को लौंग टर्म में बहुत फायदा होता है क्योंकि इसमें निवेश करते समय और आय वृद्धि और पाॅलीसी मेच्योर होती है
तब कर मुक्त बड़ी रकम मिलती है। जिसकी कुंडली में अनुकूल ग्रहों की स्थिति कमजोर हो उसके लिए यूनिट-लिंक बीमा पाॅलिसी सबसे श्रेष्ठ साबित होगी। जिसे समय की पाबंदी हो और शेयर बाजार की जानकारी न हो, उसके लिए भी यूनिट लिंक बिमा पाॅलिसी लाभदायक है। इसीलिए ज्यादा लोग यूनिट लिंक पाॅलिसी लेना चाहते हैं।
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