हिंदू संस्कृति में शंख के प्रयोग अशोक शर्मा हिंदू धर्म के विभिन्न ग्रंथों, पुराणों आदि में स्थान-स्थान पर शंख का विवरण मिलता है। अथर्ववेद के चतुर्थ कांड में शंख का विस्तृत उल्लेख है। दसवें सूक्त में ‘शंखमणिः कृशन’ देवता के रूप में शंख का वर्णन है। कुल सात श्लोकों में शंख से शत्रु शमन, भूत, पिशाच आदि से रक्षा, रोग और अलक्ष्मी से मुक्ति तथा बचाव, दीर्घायु और धन, यश तथा सुख समृद्धि की प्राप्ति की कामना की पूर्ति हेतु प्रार्थना की गई है। शंख की उत्पŸिा समुद्र मंथन के समय हुई थी देवता और दानवों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया जिसमें चैदह रत्नों का प्राक्टय हुआ जिनमें लक्ष्मी शंख, अमृत आदि प्रमुख हैं। भगवान विष्णु ने लक्ष्मी से विवाह किया और शंख को भी अपने विशेष शृंगार के लिए स्वीकार किया। शंखों के उचित उपयोग से हमारी कामनाएं पूरी हो सकती हैं। कामना विशेष की पूर्ति के लिए शंख विशेष का उपयोग किया जाना चाहिए। घर में शंख की स्थापना में निम्नलिखित बातों का ध्याना रखना चाहिए। शंख दोषमुक्त, अखंडित और शुभ रंग वाला हो। स्थापित एवं पूजा करने वाले की अंजलि से बड़ा नहीं हो। शंख की विधिवत् प्राण प्रतिष्ठा एवं पूजा कर के ही स्थापना करनी चाहिए। स्थापना पूजा स्थल पर सफेद कपड़े पर चांदी के कटोरीनुमा पात्र में करनी चाहिए। शंख की पूजन सामग्री में कुंकुम, अक्षत, गुलाल, सिंदूर, फूल, मिठाई, कर्पूर चंदन, इत्र आदि का उपयोग करना चाहिए। स्थापना के पश्चात अपनी कामना के अनुरूप निम्नलिखित क्रिया करनी? चाहिए। दक्षिणावर्ती शंख की विधिवत पूजा करके उसमें शंख पुष्पी का रस रखें। फिर निम्नलिखित मंत्र का एक माला जप करके पीएं। इससे बौद्धिक क्षमता का विकास तथा मस्तिष्क की थकावट दूर होती है। मंत्र: ¬ हीं श्रीं ऐं शंख निधियाय ममः र्व मनोकामना शीघ्रं पूरय पूरय स्वाहा।। घर में जो भी अनाज हो उसमें से थोड़ा सा शंख में रखें। फिर ऊपर वर्णित मंत्र का जप करें। रात भर अनाज शंख में रखा रहने दें और अगले दिन प्रातः काल उसे संग्रहीत अनाज में मिला दें। इस क्रिया से भगवती अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है। शंख में जल तथा अपामार्ग की जड़ रखें। कुछ समय बाद उस जड़ को निकाल कर वह जल प्रसव पीड़ा से पीड़ित किसी महिला को शंख से ही पिलाएं,उसकी पीड़ा कम होगी संतानोत्पŸिा निर्विघ्न होगी। अक्षय और स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति हेतु सर्वप्रथम पूर्वाभिमुख होकर शंख की पूजा करके निम्नलिखित मंत्र का एक माला जप करें। फिर यही क्रिया क्रमशः पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशा की ओर मुंह कर के करें। यह क्रिया नित्य करें, लक्ष्मी की प्राप्ति होगी। ¬ श्रीं श्रीधर करथाय पयोनिधिजाताय क्ष्मी सहोदराय चिन्तितार्थ प्रदाय श्री क्षिणावर्त शंखाय ह्रीं श्रीं कराय पूज्याय नमः। धन, यश, विजय, समृद्धि तथा अनुकूल स्वास्थ्य हेतु लक्ष्मी-विष्णु शंखों के जोड़े की स्थापना कर निम्नलिखित मंत्र का जप कर उनकी पूजा नियमित रूप से करें। ¬ लक्ष्मी सहोदराभ्यां नमः ध्यान रहे, शंखों का दोषमुक्त होना आवश्यक है। स्थापना के पूर्व शंखों की विधिवत प्राणप्रतिष्ठा करनी चाहिए। शंख जल में उत्पन्न विशिष्ट पदार्थ है, इसे सदैव जल में रखना संभव नहीं किंतु आधार यंत्र पर ही स्थापित करना चाहिए।