अंग्रेजी की एक प्रसिद्ध कहावत है जिसके अनुसार एक मनुष्य का भोजन दूसरे के लिए जहर होता है। इस का निरूपण ज्योतिष शास्त्र भली प्रकार करता है। बारह राशियों की प्रकृति और क्षमता भिन्न है, अतः हर व्यक्ति को निरोग रहने के लिए अपने जन्म लग्न के अनुकूल भोजन को प्राथमिकता देनी चाहिए। मेष लग्न: प्रभुत्वाकांक्षी राशि होने के कारण इस राशि के जातकों की दिनचर्या व्यस्त और उत्तेजनापूर्ण होती है, जिसके लिए उन्हें अधिक शारीरिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अतः उन्हें मस्तिष्क और मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करने वाली विटामिन और खनिज तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे पालक, गाज़र, लौकी, ककड़ी, मूली, फल, दूध, दही, पनीर, मछली आदि अधिक खाने चाहिए।
रात्रि में गरिष्ठ और उत्तेजक पदार्थ नहीं खाने चाहिए, ताकि अच्छी नींद आए और मस्तिष्क और शरीर को पूरा आराम मिल सके। वृष लग्न: वृष लग्न के जातक स्वादिष्ट भोजन के शौकीन होते हैं। यही कारण है कि उन्हें गले, हृदय और मलविसर्जन संबंधी रोग अधिक होते हैं। अतः उन्हें मिठाई, केक, पेस्ट्री, मक्खन और अधिक चिकनाई वाले पदार्थ कम खाने चाहिए। स्वस्थ रहने के लिए उन्हें फल, सब्जियां, सलाद, नीबूपानी आदि अधिक मात्रा में लेने चाहिए तथा नियमित व्यायाम द्वारा अपना वजन संतुलित रखना चाहिए। मिथुन लग्न: यह लग्न मानसिक तथा स्नायु प्रधान है और इसमें जन्मे जातक क्षमता से अधिक परिश्रम और चिंता करते हंै, जिसका प्रभाव उनकी पाचन क्रिया पर पड़ता है।
अतः इन जातकों को मस्तिष्क और स्नायु तंत्र को शक्ति प्रदान करने वाला हल्का और सुपाच्य भोजन करना चाहिए। विटामिन-बी प्रधान पदार्थ, दूध, फल, हरी सब्जियां आदि अधिक लेने चाहिए। रात्रि का भोजन हल्का होना चाहिए ताकि अच्छी नींद आए और स्नायु तंत्र स्वस्थ रहे। उन्हें सुबह शुद्ध वायु में अवश्य टहलना चाहिए। कर्क लग्न: जलीय तत्व राशि होने के कारण इस राशि के जातकों पर मौसम और बाहरी संक्रमण का प्रभाव शीघ्र पड़ता है। उनकी छाती और पाचन प्रणाली निर्बल होती है।
अतः उन्हें ऐसा भोजन लेना चाहिए जिससे पेट में गैस न बने। उनके लिए मांस और मदिरा हानिकारक है। दूध, दही, फल, सब्जी, नीबू, मेवे और मछली स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। इन जातकों को सोने से पहले और जागने पर, गुनगुना पानी पीना चाहिए और अधिक औषधि सेवन से बचना चाहिए। सिंह लग्न: यह अग्नि तत्व वाली बलवान राशि है। इस लग्न में जन्मे जातक कम बीमार होते हैं। इन्हें होने वाले रोग तीव्र होते हैं। परंतु थोड़े समय में ठीक भी हो जाते हैं। यह कर्मशील राशि है, जिससे जातक अधिक ऊर्जा का व्यय करते हैं। अतः उन्हें सुपाच्य, ऊर्जादायक और रक्त में लालकण बढ़ाने वाला भोजन करना चाहिए।
अधिक चिकनाई वाली वस्तुएं उनके हृदय के लिए हानिकारक होती हैं। अतः शाकाहारी भोजन, फल, मेवे आदि स्वास्थ्य के अनुकूल होते हैं। इन जातकों को उत्तेजना से बचना चाहिए। कन्या लग्न: इस लग्न में जन्मे जातक अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होते हैं, परंतु इनकी पाचन प्रणाली निर्बल होती है। अतः इन्हें हर बार थोड़ा और सुपाच्य भोजन करना चाहिए। भोजन में दूध, फल, सब्जियां व सुपाच्य पदार्थ अधिक मात्रा में होने चाहिए। मांस-मदिरा सेवन से बचना चाहिए। इन जातकों को चिंता मुक्त रहते हुए दवाओं के अधिक सेवन से बचना चाहिए। सुबह स्वच्छ हवा में अवश्य घूमना चाहिए। तुला लग्न: इस लग्न के जातकों का शरीर देखने में सुंदर होता है
परंतु किडनी, यूट्रस, पैंक्रियाज, गुर्दे, गर्भाशय अग्न्याशय, पीठ का निचला भाग, मूत्र-विसर्जन प्रणाली आदि निर्बल होते हैं। उन्हें अधिक मिठाई और चिकनाई वाले पदार्थों से परहेज करना चाहिए। भोजन में फल, दूध और सब्जियों को प्राथमिकता देनी चाहिए। मदिरा का सेवन गुर्दों पर बुरा प्रभाव डालता है। वृश्चिक लग्न: वृश्चिक लग्न के जातकों का शरीर तो मजबूत होता है परंतु मल-विसर्जन तंत्र निर्बल होता है। जल-तत्व राशि होने के कारण वे बार-बार रोग ग्रस्त होते हैं। मोटापा बढ़ाने वाली और नशे की वस्तुएं इनके लिए हानिकारक होती हैं।
इन्हें हल्का खाना, दूध, फल, सब्जी, और रक्त बढ़ाने वाली वस्तुओं जैसे अंजीर, प्याज, लहसुन आदि का सेवन करना चाहिए। पानी अधिक पीना चाहिए। मांस और मदिरा जितना कम लें उतना ही स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। इन जातकों को मादक पदार्थों की आदत पड़ने की संभावना रहती है। धनु लग्न: अग्नि तत्व प्रधान राशि होने के कारण इस राशि के जातक सुदृढ़ शरीर के स्वामी होते हैं। किंतु इनके कूल्हे और जंघाएं निर्बल होने स साइटिका और गठिया जैसी बीमारी होने की पूर्ण संभावना होती है। अतः उन्हें रक्त और स्नायु शक्ति वर्धक संतुलित आहार लेना चाहिए।
अधिक समय तक एक जगह बैठने से बचना चाहिए। रात का खाना जल्द खाकर सोने से पहले घूमना इनके लिए लाभदायक रहता है। मकर लग्न: इस लग्न में जन्मे जातक कर्तव्यपरायण होने के कारण अधिक श्रम करते हैं। इन्हें घुटने संबंधी रोग की संभावना होती है। इन जातकों को सुपाच्य भोजन जैसे पालक, फल, खीरा, हरी सब्जियां आदि लेने चाहिए। ये जातक शीघ्र दुखी और निरुत्साहित हो जाते हैं।
अतः प्रसन्नता का वातावरण तथा हल्का व्यायाम इनके लिए स्वास्थ्यवर्धक होता है। कुंभ लग्न: वायु तत्व प्रधान लग्न होने के कारण इसमें जन्मे जातक बुद्धिजीवी होते हैं तथा मानसिक ऊर्जा अधिक व्यय करते हैं। अतः इन्हें मस्तिष्क और स्नायु को शक्तिदायक तथा रक्त प्रवाह को बढ़ाने वाले सुपाच्य पदार्थ जैसे दूध, दही, पनीर, सलाद, मूली, गाजर व फल अधिक खाने चाहिए। सुबह खुली हवा में टहलना और चिंतामुक्त दिनचर्या इनके लिए स्वास्थ्यवर्धक होती है। मीन लग्न: यह जल तत्व प्रधान राशि है। इस लग्न में जन्मे जातकों की रोग-निरोधक क्षमता कम होती है तथा शरीर निर्बल होता है। मौसम का प्रभाव इनके शरीर पर शीघ्र होता है।
इन्हें भोजन के प्रति सजग रहना चाहिए। अधिक खट्टे, मीठे व चिकनाई वाले पदार्थ कम खाने चाहिए। मादक पदार्थ तो बिल्कुल नहीं लेना चाहिए। इन्हें दूध, सलाद, फल और सब्जियों का सेवन अधिक करना चाहिए और बहुत गर्म व ठंडे मौसम से अपना बचाव करना चाहिए।