व्यक्ति के हाथ की उंगलियां सीधे मस्तिष्क से नाड़ियों द्वारा जुड़ी होती हैं। व्यक्ति हाथ से वैसे ही लिखता है जैसे उसे बुद्धि से संकेत मिलते हैं। व्यक्ति की मानसिकता उसके लेखन से जानी जा सकती है। इतना ही नहीं, इसकी सहायता से व्यक्ति के व्यवहार, उसकी प्रवृŸिा व जीवनशैली आदि के बारे में भी जाना जा सकता है। अपराधियों की लिखावट अवश्य ही औरों से अलग होती है जो कि उनकी ऐसी मानसिकता को दर्शाती है। इस आलेख में लिखावट के अनेक महत्वपूर्ण उपयोगों का वर्णन किया जा रहा है।
लिखावट की उपयोगिता
व्यक्तित्व की पहचान
हस्तलिपि व्यक्तित्व विश्लेषण के लिए अत्युत्तम साधन है। सुंदर व साफ लिखावट व्यक्ति की सोच और कार्य में समन्वय दर्शाती है। छोटा-छोटा लिखने वाला और पृष्ठ का अधिकतम उपयोग करने वाला उसके मितव्ययी होने को दर्शाता है जबकि बड़ा और खुला-खुला लिखने वाला अपव्ययी होता है।
बार-बार काट कर लिखने वाला विचारक व अन्वेषक होता है। लेखक आदि की हस्तलिपि धारा प्रवाह जुड़ी हुई व बिना कटी हुई होती है। बड़ी-बड़ी गोलाईपूर्ण लिखावट कामुकता को दर्शाती है।
भविष्यवाणी
लिखावट के द्वारा मनुष्य के स्वभाव विश्लेषण के साथ-साथ उसके भूत, वर्तमान व भविष्य के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है। जैसे यदि व्यक्ति पहले खुला-खुला लिखता है और लेख के अंत तक छोटा-छोटा लिखना शुरू कर देता है तो इससे यह अनुमान लगता है कि वह जीवन के आरंभ में सुखी था लेकिन अब उसे आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।
आयु का अनुमान
उम्र के साथ लिखावट में बदलाव आते हैं। छोटी उम्र में अक्षर बड़े व प्रवाहविहीन होते हैं, उसके बाद प्रवाह बढ़ जाता है, बाद में अक्षरों की बनावट कुछ अपरिष्कृत होने लगती है जो कि बुढ़ापे में टेढ़ी व लहराने भी लग जाती है।
स्वास्थ्य विश्लेषण
विशेष रोगग्रस्त लोगों की हस्तलिपि विशेष प्रकार की होती है जैसे हृदय रोग वाले की लिखावट में अधिक आराम बिंदु होते हैं और वो लिखते हुए अधिक बार व अधिक समय के लिए रूकते हैं। पारकिन्सन रोगी छोटे अक्षर बिना दबाव के लिखते हैं और लिखने में अधिक समय लेते हैं। इस रोग के अधिक बढ़ जाने पर अक्षर कुछ लहराने लगते हैं एवम् शब्दों के बीच में अंतर अनियमित हो जाता है।
डिस्लैक्सिया नामक बीमारी से ग्रस्त लोगों की लिखावट बच्चों जैसी व गंदी होती है। टूटी-फूटी व शब्दों के बीच में दूरी अनियमित होती है। अक्षरांे की बनावट टेढ़ी-मेढ़ी होती है। ये स्पेलिंग में गलतियां करते हैं तथा कौमा व विराम आदि का प्रयोग भी सही तरीके से नहीं कर पाते।
कैंसर के रोगियों की लिखावट में शब्दों में लगने वाले स्ट्रोक्स में रूकावट नियमित रूप से देखी जाती है। ऊपर और नीचे जाने वाले स्ट्रोक्स की ऊंचाई घट जाती है।
महिला के गर्भवती होते ही उसकी लिखावट में विशेष परिवर्तन देखा गया है। यह परिवर्तन अक्षरों के बीच में बिंदुओं के रूप में दृष्टिगोचर होता है और इस प्रकार के बिंदु बच्चे के जन्म के पश्चात समाप्त हो जाते हैं।
रोजगार रूपरेखा
लिखावट द्वारा जातक के व्यवसाय निर्धारण में भी सहायता प्राप्त होती है जैसे एक पत्रकार की लिखावट में अक्षर एक दूसरे से मिले होते हैं क्योंकि उनके विचार व अक्षरों में एक समन्वय पाया जाता है। जो लोग होटल इंडस्ट्री से जुड़े होते हैं उनकी लिखावट में अक्षर अलग-अलग होते हैं एवम् लिखावट धीमी होती है। अक्षर एक रेखा में नहीं होते। इसी प्रकार से वैज्ञानिकों की लिखावट में कटिंग बहुत बार होती है लेकिन फिर भी लिखावट साफ सुथरी होती है। प्रशासकों की लिखावट विशेष साफ सुथरी होती है।
किसी भी व्यक्ति को नौकरी पर रखने से पहले उसकी लिखावट के नमूने से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यह व्यक्ति किस प्रकार के काम-काज का जिम्मा संभालने की योग्यता रखता है एवम् इस पर कितना विश्वास किया जा सकता है। सीधे अक्षर लिखने वाले लोग अधिक विश्वासपात्र पाए जाते हैं। बांईं ओर के झुकाव वाली लिखावट विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न लगाती है।
व्यापारिक मैत्री
दो साझेदारों के बीच में व्यापारिक दृष्टिकोण व लेन-देन के मामले में कितना तालमेल व अनुरूपता रहेगी इसके विश्लेषण में भी लिखावट के नमूने संकेत दे सकते हैं। एक जैसी लिखावट दो व्यक्तियों के विचारों में समानता को दर्शाती है। यदि एक की लिखावट फैली हुई व दूसरे की लिखावट महीन व चिपकी हुई है तो एक खुले दिल का व दूसरा कंजूस होगा तथा दोनों के विचारों में तारतम्य नहीं होगा।
वैवाहिक मैत्री
जिस प्रकार से ज्योतिष के द्वारा गुण मिलान करते हैं उसी प्रकार लिखावट द्वारा भी मिलान किया जा सकता है और वर-वधू के स्वभाव व जीवन शैली का अनुमान लगाया जा सकता है। फैले हुए व लंबे वाई या जी अक्षर के लूप या हिंदी में उ या ऊ की मात्रा का बड़ा होना बढ़ी हुई कामेच्छा को दर्शाते हैं।
अगर लूप गायब हो तो एकान्तप्रिय होते हैं अत्रः यदि वर/वधू में से एक की लिखावट में बड़ा लूप वाला अक्षर हो और दूसरे की लिखावट में यह लूप पूर्णतया गायब हो तो यह खराब मिलान होगा। जिनका विवाह हो चुका है उनमंे लिखावट में सुधार करके संबंधों को सुधारा जा सकता है।
अपराधियों की पहचान
लिखावट के नमूने लेकर बाुत आसानी से आपराधिक तत्वों की पहचान की जा सकती है। अपराधी मानसिकता के लोगों की लिखावट अधिकांशतः टेढ़ी-मेढ़ी जल्दी-जल्दी लिखी गई, आधी-अधूरी व शीघ्रता से न समझ में आने वाली होती है। उनकी लिखावट में स्ट्रोक्स व बिंदु अधिक होते हैं।
फोरेंसिक दस्तावेज निरीक्षण
न्यायिक प्रक्रिया में लिखावट का विशेष महत्व है। दो व्यक्तियों की लिखावट कभी भी एक समान नहीं हो सकती। अतः इसके द्वारा व्यक्ति विशेष को पहचानने में सहायता मिलती है। चेक या बैंक में तो व्यक्ति की पहचान लिखावट द्वारा ही की जाती है।
ग्राफोथैरेपी अर्थात लिपि विज्ञान चिकित्सा
हैंड राइटिंग को ब्रेन राइटिंग कहें तो कुछ गलत नहीं है। मस्तिष्क से नाड़ियां हाथ की उंगलियों में जाकर उनकी गति को नियंत्रित करती हैं जो आगे लिखने का काम करती हैं। नाड़ियों को वैसे ही निर्देश मिलते हैं जैसी हमारी मानसिकता होती है। अतः मानसिकता में बदलाव से हस्तलिपि तो बदलती ही है साथ ही हस्तलिपि में सतत् प्रयास से बदलाव लाकर मानसिकता को भी सुधारा जा सकता है।
ऐसा पाया गया है कि यदि लिखावट को सही करने का अभ्यास किया जाए तो हम तीन से छः महीने के भीतर काफी हद तक अपने रोग का उपचार कर सकते हैं। कुछ बीमारियां जैसे एलर्जी, चिंता, क्रोध, भय व चिडचिड़ापन आदि में 90 प्रतिशत तक सुधार लाया जा सकता है और अन्य बीमारियांे जैसे गठिया, दमा, रक्तचाप, हृदय रोग, किडनी, माइग्रेन आदि में 25 से 50 प्रतिशत तक लाभ प्राप्त होता है।
लिखावट विश्लेषण एक व्यवसाय
लिखावट विश्लेषण की एक व्यवसाय के रूप में भी विशेष मान्यता है। इस प्रकार के विशेषज्ञों की आवश्यकता न्यायपालिका, पुलिस, अस्पताल, बैंक, कार्पोरेट हाउस आदि में तो रहती ही है साथ ही ऐसा व्यक्ति एक स्वतंत्र परामर्शदाता के रूप में भी कार्य कर सकता है।