सुख, समृद्धि एवं सौभाग्यदायी दुर्लभ शंख
सुख, समृद्धि एवं सौभाग्यदायी दुर्लभ शंख

सुख, समृद्धि एवं सौभाग्यदायी दुर्लभ शंख  

व्यूस : 8966 | आगस्त 2009
सुख, समृद्धि एवं सौभाग्यदायी दुर्लभ शंख भारतीय संस्कृति में शंख को मांगलिक चिह्न के रूप में स्वीकार किया गया है। स्वर्ग के सुखों में अष्ट सिद्धियों व नव निधियों में शंख भी एक अमूल्य निधि माना गया है। पूजा के समय जो व्यक्ति शंखनाद करता है, उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। शंखों की उत्पत्ति के स्थलों में मालद्वीप, श्रीलंका, कैलाश मानसरोवर, निकोबार द्वीप समूह, अरब को काम में लिया जाता है। धन्वन्तरि के आयुर्वेद में भी शंख का महत्व कम नहीं है। शंख के बारे में बताया गया है कि इसके मध्य में वरुण, पृष्ठ भाग में ब्रह्मा तथा अग्र भाग में पवित्र नदियों गंगा और सरस्वती का वास है। शंख के दर्शन मात्र से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इन दिव्य शंखों को दरिद्रतानाशक, आयुवर्धक और समृद्धिदायक कहा गया है। दक्षिणावर्ती शंख: संसार में जितने भी प्रकार के शंखों की प्रजातियां पाई जाती हैं, अधिकतर वामावर्ती ही होती हैं। लेकिन जो शंख दाहिनी तरफ खुलता है, उसे दक्षिणावर्ती शंख के नाम से होने के कारण इस शंख का मूल्य अत्यधिक होता है। मूल्य अधिक होने के कारण बाजार में नकली दक्षिणावर्ती शंख भी बनाए जाने लगे हैं। नकली शंख की सफेदी, चमक, सफाई अत्यधिक होती है। असली दक्षिणावर्ती शंख रूपाकृति में जितना बड़ा होता है, उतना ही अधिक लाभकारी होता है। इसमें आचमन करने के लिए सफेद हर मंगंगंगल कार्य का प्रा्रा्रारंभ्ंभ्ंभ शंखध्वनि से होता है क्योंंिेंिकि शंख्ंख ध्वनि से काल कंटंटंटक दूरूरूर भागते हैंै ंै ं औरैरैर चारों ओरेर का वातावरण परिशुद्धुद्ध हो जाता है।ै।ै। शंख्ंख अनेकेकेक प्रक्रक्रकार के होतेतेते हैंैंैं औरैरैर सबकी अपनी अलग पहचान होती है। इस आलेख्ेख में ंे ं कुछुछुछ दुलुलुर्लभर््भर््भ शंख्ंखोंें की जानकारी देने का प्रय्रयास किया गया है.ै.ै..



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