आपकी हस्त रेखाएं और रोग डाॅ. लक्ष्मीनारायण शर्मा ‘मयंक’ हथेली में स्थित रेखाएं एवं पर्वत तथा उन पर पाए जाने वाले चिह्न होने वाली बीमारियों का संकेत देते हैं। ग्रहों के निश्चित चिह्न भी होते हैं। यदि ये चिह्न हथेली में संबंधित ग्रह के पर्वत पर हों तो ये शुभ एवं लाभदायक माने जाते हैं। शरीर से मलोत्सर्जन क्रिया का कार्य शनि से संबंध रखता है। यदि शनि, सूर्य का संबंध हो जाए तो व्यक्ति कब्ज से पीड़ित रहता है। प्रजनन का कार्य गुरु के हिस्से में आता है। कामवासना शुक्र के अंतर्गत आती है। महिलाओं में मासिक धर्म का नियंत्रणकर्ता चंद्रमा होता है। प्रसव क्रिया मंगल के अधिकार क्षेत्र में है और बुध नाड़ी संस्थान और स्नायु पर नियंत्रण रखता है। भोजन पचाना सूर्य का कार्य इसीलिए रात्रि में सोते समय बायीं करवट लेटने का नियम है। जिससे हमारा सूर्य बादलों में रहता है और इससे सूर्य कमजोर हो जाता है और हमारी पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। रात्रि में भोजन करने के पीछे यही कारण है। इसीलिए हम सूर्यास्त से प्रायः 3 घंटे पूर्व रात्रि भोजन ले लेते हैं। सूर्यास्त के समय भोजन न लेने तथा जैनियों में सूर्यास्त के बाद भोजन लेने के पीछे भी संभवतः यही कारण प्रतीत होता है। हमारे ऋषि-मुनियों ने गहण के समय भी भोजन न करने की जो बात कही है उसके पीछे यही कारण है कि सूर्य ग्रहण के कारण कमजोर पड़ जाता है। भोजन विषाक्त एवं दूषित हो जाता है। हमें सूर्य से शक्ति, चंद्रमा से रस, मंगल से रक्त, बुध से वाचलता, गुरु से बुद्धि, शुक्र से वीर्य, शनि से गति मिलती है। हमारी हथेली में शक्ति देने वाली सूर्य रेखा एवं स्वास्थ्य रेखा सूर्य पवर्त के समीप होती है। यदि हाथ में हृदय रेखा कमजोर हो और भाग्य रेखाभी स्पष्ट हो और आयु रेखा में से कोई रेखा कनिष्ठिका के तीसरे पर्व पर जाए या निम्न मंगल पर क्राॅस का चिह्न हो या उभरे हुए चंद्र पर्वत पर खड़े हुए झंडे का चिह्न हो तो व्यक्ति बदहजमी, अपच, गैस आदि से पीड़ित होता है। जिसके हाथ में भाग्य रेखा का अभाव हो और उम्र रेखा के प्रारंभ में यव का चिह्न हो या हथेली चपटी हो अकेला बुध पर्वत उभार लिए हो, उम्र रेखा परकई बाधा रेखाएं चपटी हों। मस्तिष्क रेखा पर शनि पर्वत के नीचे यव हो इनमें से एकाधिक लक्षण होने पर व्यक्ति गूंगा-बहरा हो जाता है। हथेली में गोल घेरे को ग्रहों के पर्वतों पर होना अच्छा माना गया है लेकिन रेखाओं पर होना अत्यंत अशुभ होता है। यदि यह हृदय रेखा पर हो तो व्यक्ति को अंधापन हो सकता है। ऊपरी मंगल पर गोल होरा होने से नंत्र कष्ट होता है। यदि भाग्यरेखा के पास बनी हुई त्रिभुज में धन का चिह्न हो तो व्यक्ति अकाल मृत्यु का शिकार बनता है अथवा इस प्रकार का चिह्न चतुष्कोण में हो या मस्तिष्क रेखा बुध पर्वत से शनि और सूर्य पर्वत के बीच तक ही हो। शनि पर्वत पर नक्षत्र का होना तथा उम्र रेखा के अंत में क्राॅस या झब्बेदार रेखा होना व्यक्ति को असाध्य रोग होने का संकेत देती है। यदि स्वास्थ्य रेखा कटी पिटी हो, हृदय रेखा और मस्तक रेखा अपने बीच में एक दूसरे के अधिक नजदीक आ गई हो तो व्यक्ति को श्वास रोग होने की आशंका रहती है। यदि आयु रेखा, हृदय रेखा और मस्तक रेखा के अंत में झब्बेदार रेखाएं हों पर्वतों पर जाली, यव या क्राॅस का निशान हो, रेखाओं पर काले या नीले रंग के बिंदु हों, नाखून कड़े नीलिमा लिए हों या टूटने वाले हों या अस्वाभाविक हों अंगुलियां मुड़ी हुई हों, त्वचा नरम हो तथाहाथ भीगा हुआ सा दिखाई देता है। तो व्यक्ति जीवन भर किसी न किसी रूप में अस्वस्थ रहता है। यदि आयु रेखा, हृदय रेखा और मस्तक रेखा तीनों एक जगह मिल जाएं अंगुलियों के नाखूनों में खड़ी गराड़ियां हो, नख किनारों से टूटे हुए हों, आयु रेखा से शनि पर्वत तक यव के कई चिह्न हों तथा शनि पर्वत पर जाती का होना व्यक्ति को गठिया रोग होने का संकेत देता है। यदि आयु रेखा परयव या काला बिंदु हो तो यह किसी बड़े रोग की सूचना देता है। रेखा पर क्राॅस होना किसी दुर्घअना का हेाना तथा अंत में काला धब्बा हेाने चोट लगने की सूचना देता है। यदि आयु रेखा अंत में द्विशाखी हो जाए तो यह व्यक्ति को डायबिटीज होने का संकेत देती है। यदि आयु रेखा चैड़ी हो और रंग पीला हो या जंजीरनुमा हो तो व्यक्त् िखराब स्वास्थ्य का मालिक रहता है। आयु रेखा का अचानक टूट जाना व्यक्ति की किसी बीमारी से अचनाक मृत्यु का संकेत देता है। मस्तक रेखा सीधी चलकर ऊपर की ओर मुड़ जाए या मस्तक रेखा के अंत में त्वचा धुंधलापन लिए हुई सी प्रतीत हो। ऊपरी चंद्र पर स्वास्थ्य रेखा जहां भाग्य रेखा को काट रही हो वहां पांच छः निम्नगामी रेखाएं हों इन लक्षणों वाला व्यक्ति जीवन में कैंसर से पीड़ित हो सकता है। शुक्र पर्वत पर जाली होना, नख लंबे, उभरे हुए और टूटने लायक हो, शुक्र मुद्रिका पर एक नक्षत्र का चिह्न हो और उसकी एक शाखा गुरु पर्वत तक जाए, शुक्र मुद्रिका की तीन रेखाएं अर्द्धचंद्राकार टुकड़ों में बिखरी हुई हों ये चिह्न व्यक्ति को सुजाक रोग से पीड़ित होने के संकेत हैं। हृदय रेख पर काला बिंदु होना या आयु रेखा पर नीला धब्बा होना, हाथ में स्वास्थ्य रेखा और वह टूटी-फूटी हो या मस्तक रेखा के मध्य में काला धब्बा हो तो व्यक्ति को विषम ज्वर से पीड़ा होती है। यदि चंद्र पर्वत पर धारियां हों, मसतक रेखा पर नक्षत्र हो, मस्तक रेखा लहरदार या टूटी हुई हो, मस्तक रेखा के अंत में नक्षत्र हो, मस्तक रेखा पर क्राॅस हो या मस्तक रेखा शनि पर्वत पर ही रूक जाए। इस प्रकार के लक्षण व्यक्ति की मानसिक बीमारी का संकेत देते हैं। यदि व्यक्ति के हाथ में निम्नलिखित लक्षणों में से एकाधिक लक्षण हो तो व्यक्ति पथली रोग से पीड़ित हो सकता है। मस्तक रेखा शनि पर्वत के नीचे टूटी हुई हो और चंद्र पर्वत पर नक्षत्र का चिह्न हो, चंद्र पर्वत पर अस्त व्यस्त रेखाएं हों हृदय रेखा का आकार जंजीर जैसा हो हृदय रेखा अस्पष्ट हो। यदि चंद्र पर्वत पर काला बिंदु हो और दूसरा काला बिंदु शनि पर्वत के नीचे मंगल मैदान में हो, ऊपरी चंद्र पर्वत पर एक जाली हो, आयु रेखा से एक शाखा निकलकर इस जाली तक आ जाए तो व्यक्ति को भगंदर रोग होने की आशंका रहती है। यदि हथेली में रेखाएं पीले हों, स्वास्थ्य रेखा में तीन चार यव हों, गुरु पर्वत अधिक उठा हुआ हो, नख लंबे और गराड़ीदार हों तथा कालापन लिए हो, मस्तक रेखा शनि पर्वत के नीचे जंजीरनुमा हो, कोई रेखा तीनों मुख्य रेखाओं को काट रही हों। इनमें से एकाधि लक्षणों से युक्त हाथ वाला व्यक्ति फेफड़ों के रोग से पीड़ित रहता है अर्थात् उसे क्षय आदि रोग हो जाता है। शनि पर्वत पर जाली हो तथा कोई रेखा आयु रेखा एवं मस्तक रेखा को काटकर जाली तक चली जाए, चंद्रमा पर क्राॅस हो, निचले चंद्रमा पर अस्त-व्यस्त रेखाएं हों, स्वास्थ्य रेख लहरादार हो तथा शुक्र पर्वत से आकर कोई रेखा आयु रेखा को काटकर मस्तक रेखा को काटती हुई हृदय रेखा से मिले और जहां मिले वहां काला बिंदु हो तो व्यक्ति मधुमेह से पीड़ित रहता है। इन लक्षणों से युक्त हथेली वाला व्यक्ति मस्तक ज्वर से पीड़ित होता है। यदि हथेली पतली एवं लंबी हो, अंगुलियां लचीली हों या हथेली से बड़ी हों, मस्तक रेखा तथा हृदय रेखा के बीच में चैड़ाई हो, पर्वतों की तरफ जाने वाली ऊध्र्वागामी रेखाएं अधिक हों। यदि चंद्र पर्वत काफी उभार लिए हो विशेषकर उसके नीचे का भाग तथा उस पर काफी रेखाएं हों, चंद्र पर्वत पर जाती हो, आयु रेखा के अंत मे कोई रेखा निकलकर चंद्र पर्वत की ओर जा रही हो। ऐसा होने पर व्यक्ति को मूत्र संबंधी बीमारियां पीड़ित करती हैं। निम्नलिखित लक्षणों में से यदि व्यक्ति के हाथ में एकाधिक लक्षण हों तो लकवा से पीड़ित हो जाता है। दोनों हाथों में शनि पर्वत पर नक्षत्र का चिह्न हो, चंद्र पर्वत पर जाली हो, नखों की आकृति त्रिकोण हो, दोनों हाथों में आयु रेखा के अंत में नक्षत्र तथा भाग्य रेखा के अंत में शनि पर्वत पर नक्षत्र हो, मस्तक रेखा में से कोई शाखा निकलकर शनि पर्वत तक जाए तथा वहां त्रिशाखी हो जाए या तीन शुक्र मुद्रा हों लेकिन टुकड़ों में हों, शनि पर्वत पर क्राॅस हो मस्तक रेखा में शनि सूर्य पर्वत के नीचे यव हों, चंद्र पर्वत पर जाती हो तथा नख टुकड़े जैसे हों। हस्त परीक्षण का आधार पूर्णतः वैज्ञानि है। इस प्रकार हथेली का परीक्षण बारीकी से कर व्यक्ति के जीवन की घटनाओं का पता लगाया जा सकता है उसका भविष्य पढ़ा जा सकात है उसी प्रकार से इस परीक्षण द्वारा व्यक्ति के शरीर में पीड़ा देने वाली व्याधि बीमारी का पता लगाया जा सकता है। लेकिन यह सब हस्त रेखा विज्ञानविद् की योग्यता पर निर्भर करता है क्योंकि यह निरंतर शोध, मनन, चिंतन एवं व्यवहारिक पक्ष अनुभव पर निर्भर करता है।