गृह प्रवेश मुहूर्त
गृह प्रवेश मुहूर्त

गृह प्रवेश मुहूर्त  

व्यूस : 23852 | नवेम्बर 2009
गृह-प्रवेश मुहूर्त निर्मल कोठारी अक्सर देखने में आता है कि सुविधा के लिए लोग गृह निर्माण आरंभ करने के बाद एक या दो कमरे बन जाने पर ही उसमें रहने लगते हैं। ऐसा करना अशुभ है। शास्त्रों के अनुसार अपूर्ण मकान में निवास वर्जित है। वास्तु राजबल्लभ में उल्लेख है कि द्वारविहीन और अपूर्ण छतों के तथा बिना वास्तु पूजा के घर में निवास अशुभ होता है। अन्य शुभ एवं मांगलिक कार्यों की तरह ही गृहप्रवेश के भी अपने मुहूर्त होते हैं। यहां कुछ शुभ मुहूर्तों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत है, जिनके अनुरूप गृहप्रवेश करने पर गृहस्थ-जीवन सुखमय हो सकता है। नए मकान में गृहप्रवेश हेतु शुभ समय मास- माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ सर्वोŸाम माने गए हैं। कार्तिक और मार्गशीर्ष मध्यम फल देते हैं। आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, पौष अच्छे नहीं माने गए हैं। दिन- मंगलवार को छोड़ कर सभी दिन (कुछ भागों में रविवार और शनिवार वर्जित)। तिथि और पक्ष- 2, 3, 5, 7, 10, 11, 12, 13 (अमावस्या अैर पूर्णिमा से बचना चाहिए) तिथियां तथा शुक्लपक्ष सर्वोŸाम हंै। कृष्णपक्ष से यथासंभव बचना चाहिए। लग्न- वृष, सिंह, वृश्चिक और कंुभ उत्तम, मिथुन, कन्या, धनु और मीन मध्यम तथा मेष, कर्क, तुला और मकर अशुभ होते हैं। लग्न शुद्धि- लग्न से यदि कोई शुभ ग्रह पहले, दूसरे, तीसरे, पांचवें, सातवें, नौवंे, दसवें या ग्यारहवें भाव में और कोई अशुभ ग्रह तीसरे, छठे या ग्यारहवें भाव में हो तथा चैथे और आठवें भावों में कोई ग्रह नहीं हो तो वह समय सर्वोŸाम होगा। नक्षत्र- उŸार भाद्रपद, उत्तराषाढा़, उत्तरा फाल्गुनी, रोहिणी, मृगशिरा, चित्रा, अनुराधा और रेवती। दिन या रात- कई विद्वान मानते हैं कि गृहप्रवेश दिन या रात में कभी भी किया जा सकता है। परंतु गृहप्रवेश दिन में उत्तम होता है। पुराने जीर्णोद्धारित मकान में गृहप्रवेश हेतु शुभ समय मास- कार्तिक, मार्गशीर्ष, श्रावण, माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ। तिथि- अमावस्या, पूर्णिमा, भद्रा, चतुर्थी, षष्ठी, अष्टमी, नवमी और चतुर्थी को छोड़कर अन्य कोई भी तिथि। दिन- रविवार और मंगलवार को छोड़कर अन्य कोई भी दिन। नक्षत्र- मृगशिरा, पुष्य, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, उŸारा फाल्गुनी, आषाढ़, भाद्रपद, धनिष्ठा, शतभिषा, रेवती। गृहप्रवेश में विद्वान पंडितों और ब्राह्मणों की सहायता से और सगे-संबंधियों, मित्रों, पड़ोसियों इत्यादि को आमंत्रित कर श्रद्धापूर्वक कलश-पूजन, वास्तु-पूजन, ग्रह-शांति आदि करने चाहिए। मुहूर्त चिंतामणि में कलश चक्र का विशद उल्लेख है। गृहप्रवेश हेतु सर्वोŸाम शुभ समय निश्चित करने के लिए इसकी सहायता लेनी चाहिए। पूजा के पश्चात पंडितों और ब्राह्मणों को वस्त्र दान कर दक्षिणा और संबंधियों को उपहार देना चाहिए। निर्माण कार्य करने में सहायक जैसे शिल्पकार, अभियंता, निरीक्षक, कारीगर, बढ़ई और अन्य कारीगरों को उनकी इच्छानुसार भेंट और उपहार देना चाहिए। न केवल वास भवन के संदर्भ में बल्कि कार्यालय, होटल, सिनेमाघर या व्यवसाय-परिसर के उद्घाटन के समय भी वास्तु-पूजन, ग्रह-शांति, हवन इत्यादि करने चाहिए। अंत में एक तथ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जब भवन पूरी तरह से तैयार हो जाए और गृहस्वामी स्वयं भी पूरी तरह से तैयार हो, तभी गृहप्रवेश करना चाहिए। मकान या कार्यालय के गृहप्रवेश या उद्घाटन के बाद ताला लगाना अशुभ माना जाता है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.