ग्रहबल एवं भावबल
ग्रहबल एवं भावबल

ग्रहबल एवं भावबल  

सुरेश आत्रेय
व्यूस : 12683 | जनवरी 2014

आज के युग में ज्योतिष ने जो स्थान समाज के प्रत्येक वर्ग में पा लिया है उससे प्रत्येक व्यक्ति परिचित है। अब यह वह विज्ञान नहीं रहा जिस पर केवल राजा, महाराजा या धनी व्यक्तियों का ही अधिकार था। समय ने जो ख्याति ज्योतिष को दी है उसे संयोग कहें या मीडिया युग या कम्प्यूटर युग जो दिल चाहे कहें किन्तु यह सत्य है कि आज का बुद्धिजीवी समाज ज्योतिष से पूरी तरह जुड़ गया है। इसलिए अब ज्योतिष का भी कत्र्तव्य बनता है कि वह सटीक भविष्यवाणी करे। अगर ज्योतिष की निष्ठा भविष्यवाणी करने में है तो उसे विभिन्न ज्योतिषीय आयामों (साधनों) का प्रयोग करना पड़ेगा। भविष्यवाणी के लिए अनेक पद्धतियां प्रयोग में लाई जाती हैं उनमें से सर्वमान्य पद्धति जन्म कुण्डली में भाव, ग्रह,राशियां, गोचर तथा दशा अन्तर्दशा द्वारा भविष्यवाणी करना आदि हैं। ज्योतिष शास्त्र में भविष्यवाणी का आधार जन्म कुण्डली (जन्म कुण्डली, जन्म लग्न या डी-1) में ग्रहों की स्थिति पर होता है।

यदि ग्रह मूल त्रिकोण राशि, उच्च गृही, स्वगृही या मित्र राशि में हों तो वह स्थिति उत्तम होती है, किन्तु इसके विपरीत यदि ग्रह अस्त, नीच व शत्रु राशि में है तो यह अशुभ, निर्बल एवं फलहीन हो जाते हैं। जहां ग्रहों के बलाबल ज्ञात करने के पश्चात भविष्यवाणी करने के लिए प्राचीन विद्वानों ने निर्देश दिये हैं वहीं भाव का भी बल जानना अनिवार्य है। ‘श्रीपति’ तथा ‘केशव’ पद्धति द्वारा बल जानने की विधि सर्वमान्य है। छः प्रकार से षड्बल पर विचार किया जाता है, यहां पर बल कैसे ज्ञात किया जाता है इस पर चर्चा नहीं की जा रही। यहां पर चर्चा इस बात की है कि ज्योतिष में बल विशेष प्राप्त करके ग्रह जीवन फल पर क्या परिवर्तन करता है तथा बल कम होने से क्या खो लेता है तथा बल जानने की वैज्ञानिकता क्या है। ग्रहों से अच्छा फल प्राप्त करने के लिए ग्रहों में बल होना अनिवार्य है।

जातक पद्धतियों में ग्रह का बल जानने के जो साधन प्रयोग में लाए गए हैं, उनमें अभी कुछ और सूक्ष्मता लाने का प्रयास प्रो. प्रियव्रत शर्मा (मात्र्तण्ड पंचांग) ने किया है और 2063 में अपने पंचांग का षड्बल विशेषांक निकाला। उस पंचांग में प्रो. जी ने कुछ सूक्ष्म तालिकाएं दी जिससे षड्बल निकालने की जटिलता बहुत कम हो गई तथा प्राचीन पद्धति में प्रो. साहब ने जो कमी बल शोधन में देखी उनका यहां वर्णन है। प्राचीन पद्धति के अनुसार सप्तवर्गीय बल में राशि, नवांश द्रेष्काॅण आदि में ग्रह स्थिति, केन्द्रादि बल साधन में केन्द्र आदि में स्थिति, त्रिभाग बल साधन में दिन-रात्रि के त्रिभाग में जन्मकाल इत्यादि



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.