2013: वैश्विक परिदृश्य प्राचीन भारत का लग्न मकर माना जाता रहा है। किंतु अधिकांश ज्योतिषी भारत की स्वतंत्रता को आधार मानकर वृष लग्न को भारत का लग्न मानते हैं। लेकिन लेखक ने हमेशा मकर को लग्न मानकर सफल भविष्यवाणियां दी हैं। अतः प्रस्तुत लेख में भी लेखक ने मकर लग्न के आधार पर ही गणना कर अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। वर्ष 2013 में उच्चस्थ शनि शुक्र की राशि तुला एवं राहु के नक्षत्र स्वाति पर से गोचर कर रहा होगा। वहीं राहु भी तुला में एवं केतु मेष में प्रवेश कर जाएगा, जहां दोनों ही नीचस्थ स्थिति में रहेंगे।
भारतवर्ष की कुंडली में शनि व राहु दोनों दशम भाव व केतु चतुर्थ भाव पर से गोचर कर रहे होंगे एवं शनि की दृष्टि द्वादश, चतुर्थ व सप्तम भावों पर बनेगी। अतः वर्ष 2013 भारतीय राजनीति जगत के लिए काफी उथल-पुथल भरा रहेगा। चुनावों की स्थिति में कांग्रेस सरकार को केंद्र में सत्ता तक गंवाना पड़ सकता है। यद्यपि तुला राशि पर से शनि का गोचर गत वर्ष सन् 2012 में कांग्रेस को कुछ कठिनाइयों के साथ सत्ता पर बने रहने में सहायक रही।
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा समर्थन वापसी के बावजूद राष्ट्रीय कुंडली में दशमस्थ शनि सरकार को अब तक स्थायित्व प्रदान करती रही। जिस प्रकार गत वर्ष 2012 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा की कुंडली में दशम भाव से गोचर करता शनि उन्हें दुबारा सत्ता पर काबिज करने में मददगार बना, ठीक उसी प्रकार भारतीय राष्ट्रीय कुंडली में दशम भाव से गोचर करता शनि गत वर्ष सन् 2012 में सत्ता के गलियारों में स्थिरता प्रदान करता रहा जिसके चलते तमाम प्रतिरोधों, आरोपों एवं समर्थन तक की वापसी के बावजूद भी कांग्रेस सरकार केंद्र की सत्ता पर कायम रहने में कामयाब रही।