कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए लाल किताब के अचूक उपाय चंदा जैन कालसर्प का संबंध पितृ दोष से है। इस योग से प्रभावित व्यक्ति का जीवन तनावपूर्ण और संघर्षमय रहता है। उसके कार्यों में बाधाएं आती रहती हैं। उसके विवाह और विवाहित होने की स्थिति में संतानोत्पत्ति में विलंब होता है। इसके अतिरिक्त शिक्षा में बाधा, दाम्पत्य जीवन कलह, मानसिक अशांति, रोग, धनाभाव, प्रगति में रुकावट आदि की संभावना रहती है। कुंडली के जिस भाव से कालसर्प की सृष्टि होती है, उस भाव से संबंधित कष्टों की प्रबल संभावना रहती है। ज्योतिष की अन्य विधाओं की भांति लाल किताब में भी कालसर्प दोष के शमन के कुछ उपाय बताए गए हैं जिनका भावानुसार संक्षिप्त विवरण यहां प्रस्तुत है। प्रथम भाव में राहु और सप्तम भाव में केतु हो तो- अपने वजन के बराबर जौ या गेहूं अथवा कोई अन्य खाद्यान्न्ा बहते जल में प्रवाहित करें। किसी भी प्रकार का राजकीय कोप होने पर अपने वजन के बराबर कोयला बहते जल मंे में प्रवाहित करें। बीमार होने की स्थिति में मसूर की दाल और एक सिक्का 3 दिन तक प्रतिदिन भंगी को दें। धन की प्राप्ति के लिए बिल्ली की जेर कपड़े मंे बांधकर घर में रखें। चांदी की चेन धारण करें। बहते पानी में नारियल प्रवाहित करें। द्वितीय में राहु और अष्टम में केतु हो तो- चांदी की डिबिया में सोने या चांदी की ठोस गोली केसर के साथ सदैव अपने पास रखें। हाथी के पैरों की मिट्टी कुएं में गिराएं। धार्मिक स्थान में केसर और चंदन दान करें। साथ ही प्रत्येक धर्म स्थल में यथासमय यथा योग्य सेवा अर्चना करते रहें। कानों में सोना पहनें। तृतीय भाव में राहु और नवम भाव में केतु हो तो- घर में हाथी का दांत और सोने का टुकड़ा रखें। बुद्धिजीवी वर्ग का सदैव आदर करें। कुŸाा पालें। यदि वह मर जाए या भाग जाए तो दूसरा ले आएं। चतुर्थ भाव में राहु और दशम भाव में कितु हो तो- घर में चांदी की डिबिया में शहद भरकर रखना चाहिए। चांदी धारण करें। कोई नया कार्य या रुका पड़ा कार्य संपन्न करने से पहले 400 ग्राम साबुत धनिया एवं 400 ग्राम बादाम बहते जल में प्रवाहित करें। मकान की केवल छत कभी न बदलें। बदलना हो, तो पूरा घर पुनः बनवाएं। पंचम में राहु और एकादश में केतु हो तो- चांदी का हाथी बनाकर घर में रखें। शराब और मांस से दूर रहें। रात के समय पत्नी के सिराहने में पांच मूलियां रखें और प्रातः उठकर उन्हें मंदिर में दान करें। किसी कार्य हेतु घर से निकलने से पूर्व सोने को गर्म कर दूध में बुझाएं और उसमें केसर मिलाकर पीएं। केसर का तिलक करें। षष्ठ में राहु और द्वादश भाव में केतु हो तो- मां सरस्वती की मूर्ति घर में रखें और उस पर नित्य नीले रंग के फूल चढ़ाएं (कम से कम छः दिन नियमित)। हमेशा कुŸाा पालें। यदि मर जाए या भाग जाए, तो दूसरा पालें। बहते पानी में मूंग प्रवाहित करें। सप्तम में राहु और लग्न में केतु हो तो- चांदी की ईंट बनवाकर घर में रखें। शनिवार को 105 बादाम या 7 नारियल बहते जल में प्रवाहित करें। संयम बरतें, विवाहेतर संबंध से बचें। अष्टम में राहु और द्वितीय में केतु हो तो- चांदी का चैकोर टुकड़ा हमेशा अपनी जेब में रखें। व्यापार ठप होने की स्थिति में 43 दिन तक खोटे सिक्के बहते पानी में बहाएं । प्रतिदिन घर से निकलते समय केसर या हल्दी का तिलक करें। नवम में राहु और तृतीय में केतु हो तो- कुŸाा पालें। घर का मुखिया न बनें। सिर पर चोटी रखें और तिलक लगाएं। बहते पानी में चावल एवं गुड़ प्रवाहित किया करें। भाइयों से विवाद न करें। दशम में राहु और चतुर्थ में केतु हो तो- नीले, काले रंग की टोपी या पगड़ी पहनें। मसूर की दाल या गुड़ बहते जल में प्रवाहित करें। प्रतिकूल घटनाओं से बचने के लिए बहते पानी में नींबू प्रवाहित करें। दूध में गर्म सोना बुझाकर पीने से लाभ होगा। कानों में सोना धारण करें। एकादश में राहु और पंचम में केतु हो तो- ब्राह्मणों को सोना व पीले वस्त्र दान करें और स्वयं तिलक करें। गुड़, चावल, दूध आदि बहते पानी में प्रवाहित करें। चांदी के गिलास में पानी पीया करें। गुरुवार को पीले कपड़े में चने या चने की दाल बांधकर दान करें तथा उस दिन लहसुन और प्याज का सेवन न करें। द्वादश में राहु और षष्ठ में केतु हो तो- योगासन करते रहें। रात को सोते समय लाल कपड़े में सौंफ और मिश्री बांधकर सिरहाने में रखें। भोजन रसोई घर में बैठकर करें। सोने की अंगूठी धारण करें। दूध में केसर मिलाकर या सोना बुझाकर पीएं। ध्यातव्य है कि कुंडली में जिस भाव से पूर्ण या आंशिक कालसर्प योग बन रहा हो उसी के अनुरूप उक्त उपाय करने चाहिए।