फलादेश प्रक्रिया की आम त्रुटियां
फलादेश प्रक्रिया की आम त्रुटियां

फलादेश प्रक्रिया की आम त्रुटियां  

व्यूस : 6107 | जुलाई 2012
फलादेश प्रक्रिया की आम त्रुटियां किसी भी जन्मपत्री का विश्लेषण करते समय ज्योतिषियों को कुछ तथ्यों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। उससे फलादेश सटीक हो सकता है। अन्यथा संपूर्ण प्रयास अपने आप में आश्वस्तिकारक नहीं होगें। सर्वप्रथम कुंडली विश्लेषण के समय ज्यादातर ज्योतिषी राशि चार्ट (डी1) का प्रयोग करते हैं जबकि जातक का मुख्य कुंडली आधार निरयण भाव चलित होता है। यह जातक के कालचक्र में प्रवेश करने का चार्ट है एवं जातक के सभी भावों (जो जातक के जीवन की सभी घटनाओं को दर्शाते हैं) को परिभाषित करता है। इसलिए जब भी भावों की बात हो, तो सिर्फ निरयन भाव चलित का प्रयोग करना चाहिए और उसी के आधार पर भावेश का निर्णय करना चाहिए। राशि चार्ट (डी1) का प्रयोग ग्रहों की युति, दृष्टि या उनकी स्थिति देखने के लिए करना चाहिए। कुंडली बनाते समय अयनांश का प्रयोग किया जाता है, अर्थात जन्म स्थान की स्थिति को नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर संशोधित करना। विशोंतरी दशा का आधार भी नक्षत्र ही हैं अर्थात जन्म समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उसी के आधार पर दशा का निर्णय होता है। इसी के आधार पर जातक के जीवन में घटनाओं का समय निर्धारित किया जाता है। कुंडली विश्लेषण में नक्षत्रों की प्रमुख भूमिका होती है क्योंकि नक्षत्र ही जीवन में घटने वाली सभी घटनाओं के स्रोत होते हैं। परंतु ज्यादातर ज्योतिषी इसे भूलकर केवल भाव, भावेश कारक का राशियों के माध्यम से प्रयोग कर कुंडली का विश्लेषण कर देते हैं। ग्रहों के दो प्रकार के कारकत्व होते हैं, नैसर्गिक एवं कार्य संबंधी। विश्लेषण करते समय इस बात का ध्यान रखना अनिवार्य है कि इनका प्रयोग किस प्रकार किया जाए। कुछ ज्योतिषी नैसर्गिक गुणों के आधार पर ही फलादेश कर देते हैं एवं अन्य केवल कार्य संबंधी कारकत्वों (जो उनके भावेश एवं स्थापन होने के आधार पर निर्भर हैं) को आधार मान लेते हैं। दोनों प्रकार के कारकत्वों के प्रयोग से ही घटना एवं उसके प्रभाव का पूर्ण रूप से पता लगाया जा सकता है गोचर किस प्रकार काम करता है एवं कितना प्रभावशाली होता है इसका ज्ञान भी अनिवार्य है। गोचर किसी भी घटना के लिए परिस्थितियां पैदा करता है। सभी ग्रह हमेशा कार्यरत रहते हैं एवं किसी न किसी घटना की परिस्थितियां पैदा करते रहते हैं परंतु जातक के जीवन में वही घटनाएं घटती हैं जिनकी संभावनाएं जन्म कुंडली में दृष्ट होती हैं एवं विशोंतरी दशाओं के आधार पर जिनके घटित होने का समय आ गया होता है। सही समय के लिए एक ज्योतिषी को सभी ग्रहों एवं लग्न के गोचर का विचार करना चाहिए। कुंडली में किसी भी भाव से संबंधित विश्लेषण करने से पहले कुंडली का संभाव्य (प्राप्ति की संभावना) भी जानना जरूरी है। कारक ग्रह अपनी दशाओं एवं गोचर में फल देना चाहता है परंतु यदि कुंडली में संबंधित भावों में वह संभावना नहीं होगी तो वह कार्य भी जीवन में घटित नहीं होगा। जातक का जन्म समय सही होना भी जरूरी है। जिसका प्रायः अभाव होता है। इस कारण भी कुंडली विश्लेषण सही नहीं हो पाता। कुंडली विश्लेषण से पहले जातक की पूर्व में घटित कुछ घटनाओं के आधार पर जन्म समय का संशोधित करना अति अनिवार्य है।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.