कष्ट द्वारा जानिए वास्तुदोष
कष्ट द्वारा जानिए वास्तुदोष

कष्ट द्वारा जानिए वास्तुदोष  

डॉ. अरुण बंसल
व्यूस : 4360 | दिसम्बर 2006

वास्तुदोष के कारण घर में रहने वालों को कोई न कोई कष्ट झेलना पड़ता है। कई बार यह ज्ञात नहीं होता कि कौन सा वास्तुदोष है जिसके निवारण का उपाय किया जाए। लेकिन कष्ट के अनुरूप आप जान सकते हैं कि कौन से कोण में दोष है और उस कोण के दोष का निवारण कर उससे मुक्ति पा सकते हैं। कौन सा कष्ट किस कोण में दोष के कारण उत्पन्न हो रहा है, यह निम्न चित्र में उल्लिखित है। आमतौर पर जो कष्ट होते हैं उनके वर्णन के साथ साथ उनके उपायों का उल्लेख कर रहे हैं ताकि जिस कष्ट से व्यक्ति पीड़ित हो उसी के आधार पर उससे संबंधित उपाय की जानकारी प्राप्त कर वह उससे मुक्ति पा सके।

अस्वस्थता: यदि मकान मालिक अस्वस्थ रहता है तो इसका नैर्ऋत्य कोण का नीचा होना या उस दिशा में किसी गड्ढे का होना हो सकता है। उस दिशा में यदि कोई कुआं या पानी का कोई अन्य स्रोत हो तो उसे बंद करवा देना चाहिए। यदि नैर्ऋत्य में रसोई घर है तो उसे कहीं और स्थापित करें।

आय से अधिक व्यय होना:उत्तर दिशा यदि स्वच्छ न हो या दक्षिण से ऊंची हो तो लक्ष्मी प्रायः अस्थिर रहती है। उत्तर दिशा में श्रीयंत्र स्थापित करें।

गृह क्लेश रहना: गृह क्लेश का मुख्य कारण आग्नेय कोण, जिसका स्वामी शुक्र है, का दोषपूर्ण होना होता है। ध्यान रखें कि इस कोण में पानी का कोई स्रोत न हो और यह कोण नैर्ऋत्य कोण से नीचा हो। यदि जल एवं अग्नि दोनों पास हैं तो उन्हें अलग करें।

सामान का अकसर चोरी होना: यदि नैर्ऋत्य कोण खुला होता है या नीचा होता है तो घर में अकसर होने वाली चोरी के कारण नुकसान होता है। प्रयास कर के इस कोण से आवागमन बंद कर दें। नैर्ऋत्य में राहु यंत्र स्थापित करें।

वंश वृद्धि न होना: वंश वृद्धि का मुख्य देवता सूर्य है और वह पूर्व दिशा का स्वामी है। पूर्व दिशा का किसी भी प्रकार का दोष वंश वृद्धि में व्यवधान डालता है। अतः देखें कि यह दिशा साफ सुथरी एवं खुली हो और दक्षिण या पश्चिम से ऊंची न हो। पूर्व दिशा में गोपाल यंत्र की स्थापना करें।

पूजा-पाठ में मन न लगना या मन का अशांत रहना: मन की शांति का देवता गुरु है, जो ईशान कोण का स्वामी है। यदि ईशान कोण दूषित होता है तो मन अशांत रहता है। पूजा-पाठ में मन लगे इसके लिए ईशान की ओर मुख कर ध्यान करना चाहिए। प्राणायाम अवश्य करें।

बच्चों का पढ़ाई में मन न लगना: पढ़ाई का कारक गुरु है और यह ईशान कोण का स्वामी है। अतः ईशान कोण को स्वच्छ रखें और इस कोण में ज्यादा भारी सामान जमा न करें। देखें कि पढ़ते समय बच्चों का रुख ईशान की ओर हो। सरस्वती यंत्र की स्थापना करें।

पड़ोसियों से झगड़ा: इसका मुख्य कारण वायव्य कोण में दोष होना होता है। इस कोण का नैर्ऋत्य से ऊंचा होना इस दोष का कारक है। पंचमुखी रुद्राक्ष की माला धारण करें।

नौकरों का सही से काम न करना: नौकरों का प्रतिनिधित्व शनि करता है जो पश्चिम दिशा का स्वामी है। पश्चिम दिशा पूर्व से नीची हो, तो इस प्रकार के दोष पाए जाते हैं। शनि यंत्र स्थापित करें।

मशीनों का बार-बार खराब रहना: यदि आप के घर में टी.वी., रेफ्रिजरेटर, टेलीफोन या अन्य उपकरण बार-बार खराब हो जाते हों, तो इसका कारण पश्चिम दिशा में दोष होना है जो शनि की दिशा है। इस दिशा में शनि यंत्र की स्थापना से यह दोष दूर हो सकता है। मत्स्य यंत्र स्थापित करें।

कन्या के विवाह में विलंब: कन्या के विवाह में विलंब तो ग्रहों के कारण होता ही है, वायव्य कोण में दोष के कारण भी हो सकता है। अतः इस दिशा के दोषों को दूर कर कन्या के रहने का प्रबंध वायव्य कोण में करें ताकि वह शीघ्रातिशीघ्र विदा हो सके। नवदुर्गा यंत्र स्थापित करें। नींद ठीक से न आना या दिन में आलस्य रहना। यदि उत्तर दिशा में दोष होता है, तो इस प्रकार के कष्ट होते हैं। उत्तर दिशा को स्वच्छ रखें, वहां श्रीयंत्र की स्थापना करें और सोते समय पैर उसी दिशा की ओर रखें।


अपनी कुंडली में सभी दोष की जानकारी पाएं कम्पलीट दोष रिपोर्ट में


कोर्ट कचहरी के मामलों में फंसे रहना: झगड़े फसाद का मुख्य देवता मंगल है, जो दक्षिण दिशा का स्वामी है। यदि दक्षिण दिशा उत्तर या पूर्व की तुलना में अधिक खुली होती है तो यह दोष होता है। अतः दक्षिण की खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें एवं उसे उत्तर से अधिक ऊंचा रखें। हनुमान यंत्र एवं बगलामुखी यंत्र स्थापित करें। टोने टोटकों या बुरी आत्माओं का प्रभाव महसूस होना: यदि घर का ब्रह्म स्थल भरा हुआ एवं भारी हो, तो इससे मस्तिष्क पर एक बोझ सा बना रहता है और कमजोर मस्तिष्क पर बाहरी ताकतों का प्रभाव पड़ जाता है, अतः प्रयत्नपूर्वक ब्रह्म स्थल को हल्का करें और हो सके तो उसे खुला रखें।

कम आयु में मृत्यु होना: यदि घर के सदस्य अल्पायु होते हों, तो इसका सीधा कारण पूर्व दिशा में दोष होना है। पूर्व दिशा पूर्ण रूप से स्वच्छ व शौचालय आदि से मुक्त होनी चाहिए। इस दिशा में पानी का स्रोत अनेक दोषों का निवारण करता है। यह दिशा खुली व नीची होनी चाहिए। इस दिशा में सूर्य यंत्र की स्थापना दोषों को दूर करती है।

find-out-vastu-fault-through-problems

हर कार्य में रुकावट पड़ना: इसका कारण घर के ब्रह्म स्थल में दोष होना होता है। ब्रह्म स्थल वास्तु पुरुष के फेफड़ों का प्रतिनिधित्व करता है। अतः इस स्थान पर कोई भी बोझ स्वामी के मानसिक तनाव व दबाव का कारण बन जाता है। कार्य में सफलता हेतु ब्रह्म स्थल को खाली व हल्का रखें।

सुख समृद्धि में कमी: दक्षिण दिशा में दोष सुख समृद्धि में कमी लाता है। इस दिशा को भारी बनाकर दोष दूर किया जा सकता है। बच्चों या बुजुर्गों का हुक्म चलाना: नैर्ऋत्य कोण में जिसका वास होता है, वह घर पर हुक्म चलाता है। अतः बच्चों या बुजुर्गों के रहने का प्रबंध ईशान कोण में करें ताकि वे प्रसन्नचि रहें व गृह स्वामी का कहना मानें।

किराएदार द्वारा क्लेश: इस क्लेश का मुख्य कारण आग्नेय कोण का दोषपूर्ण होना होता है। अतः इस दिशा में शुक्र यंत्र स्थापित कर इसे दोषमुक्त करें।

अग्नि भय: यदि घर में बार-बार छोटी-मोटी आग लग जाती हो या शाॅर्ट सर्किट हो जाता हो तो भी आग्नेय कोण के दोष का निवारण करें एवं वास्तुदोष निवारण यंत्र स्थापित करें। उपर्युक्त कथनानुसार अपने कष्ट को जानते हुए घर में वास्तु दोष को खोजें और उसका उपाय कर सुख शांति पूर्वक जीवन व्यतीत करें।


To Get Your Personalized Solutions, Talk To An Astrologer Now!




Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.