पिछले माह पंडित जी दिल्ली के त्रीनगर क्षेत्रों के एक प्रमुख व्यवसायी के यहां वास्तु परीक्षण करने गये। उनसे मिलने पर उन्होंने बताया कि वह पिछले छः वर्ष से यहां रह रहे हंै। तब से ही घर के अंदर सुख समृद्धि का अभाव होता रहा है।
आय से अधिक खर्चा हो रहा है तथा घर में रहने वालों के बीच में वैचारिक मतभेद रहते हंै। बच्चों का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता तथा बड़ी बेटी को छोटी उम्र में ही रक्त चाप की समस्या रहने लगी है। वास्तु परीक्षण करने पर पाए गये वास्तु दोष:
1 घर के पूर्व में सीढ़ियां बनी थीं जोकि घर के बच्चों के स्वास्थ्य एवं विकास में बाधक होती है। घर में छाती संबंधी बीमारियां होने की संभावना रहती है।
2 उत्तर पूर्व में रसोई घर था जिसमें चूल्हा और सिंक दोनों एक ही लाईन में रखे थे तथा खाना उत्तर पूर्व में मुंह करके बनता था। यह घर में भारी खर्च और आपसी मतभेद का मुख्य कारण था।
3 उत्तर का कोना कटा था जोकि आर्थिक समस्याओं का प्रमुख कारण होता है।
4 दक्षिण पश्चिम में बाॅलकनी बनी थी जो कि घर में सबसे हल्का स्थान था। यह आय से अधिक खर्चे करवाता है।
5 दक्षिण में बने शौचालय में सीट का मुख पूर्व की ओर था जो कि बच्चों के व्यवहार में चिड़चिड़ाहट एवं नकारात्मक सोच उत्पन्न करता है।
सुझाव :
1 सीढ़ियों कोे दक्षिण में बने बैठक की जगह बनाने की सलाह दी गई।
2 रसोई घर को दक्षिण पूर्व की ओर बनाने को कहा गया जिसमें गैस को दक्षिण पूर्व में रखने को कहा तथा सिंक को उत्तर पूर्व में बनाने को कहा गया।
3 उत्तर के कोने में बने खुले बरामदे के ऊपर जाल बनवाने को कहा गया जिससे बिल्डिंग आयताकार हो सके।
4 दक्षिण पश्चिम की बाॅलकनी में भारी गमले रखने की सलाह दी गई तथा बाॅलकनी की ओर खुलने वाले दरवाजे की दहलीज बनाने एवं उस पर पीला पैन्ट करने की सलाह दी।
5 शौचालय में सीट को उत्तर पश्चिम कीे ओर कराया गया। पिछले एक दशक से अधिक अनुभव के आधार पर पंडित जी ने उन्हें आश्वासन दिया कि सभी सुझावों को कार्यान्वित करने के पश्चात उन्हें अवश्य लाभ होगा।
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