नैर्ऋत्य किराए पर देना यानी किराएदार को मालिक बनाना
नैर्ऋत्य किराए पर देना यानी किराएदार को मालिक बनाना

नैर्ऋत्य किराए पर देना यानी किराएदार को मालिक बनाना  

गोपाल शर्मा
व्यूस : 2237 | अप्रैल 2010

पिछले महीने दिल्ली के शास्त्री नगर में एक घर का वास्तु परीक्षण किया गया। घर के मुखिया ने बताया कि वह काफी समय से बहुत परेशान हैं। उनके दो बेटे और एक बेटी थी। बडे़ बेटे को दिमागी कैंसर हो गया था जिसका कुछ समय पूर्व ही देहांत हो गया। छोटे बेटे का भी पढ़ाई में मन नहीं लगता और स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता।

बेटी की एक साल पहले शादी हुई थी पर कुछ पारिवारिक झगड़ों की वजह से वह अब वापस अपने मायके में रह रही है। काम धंधा भी अब बंद हो गया है और ऊपर की मंजिल के किराये से घर चल रहा है। भूतल का दक्षिण-पश्चिम हिस्सा कुछ वर्ष पहले किराये पर दिया था, जिसका किरायादार काफी समय से घर खाली नहीं कर रहा था और उसने घर के उस हिस्से पर कब्जा कर रखा है। उससे घर खाली कराने के लिए मुकदमा चल रहा है।

वास्तु परीक्षण करने पर निम्नलिखित वास्तु दोष पाए गए:

1. घर के उत्तर पूर्व में शौचालय बने हुए थे। इस दिशा में शौचालयों का होना घर के बच्चों के स्वास्थ्य की हानि का मुख्य कारण होता है। इसके फलस्वरूप ट्यूमर जैसे रोग होने की संभावना रहती है। इसके अतिरिक्त घर में मानसिक तनाव रहता है एवं धन की हानि होती है।

2. घर के पूर्व की ओर सीढ़ि़यां बनी थीं। सीढ़ियों का इस दिशा में होना स्वास्थ्य हानि का, विशेष रूप से घर के बेटे के स्वास्थ्य की हानि का, कारक होता है। दक्षिण-पश्चिम/पश्चिम का हिस्सा किराए पर चढ़ाने के बाद सीढियां ब्रह्मस्थान पर आ रही थीं। सीढ़ियों की यह स्थिति स्वास्थ्य समस्याओं और बढ़ा देती है।

3. घर का उत्तर-पश्चिम का भाग बढ़ा हुआ था। इस भाग का बढ़ा होना एक गंभीर वास्तुदोष है, जो घर के स्वामी की बेटियों एवं बहुओं के लिए हानिकारक होता है। यह दोष मुकदमों एवं लड़ाई झगडों इत्यादि का कारक भी होता है।

4. घर का दक्षिण-पश्चिम का भाग घर के स्वामी का स्थान होता है। इस भाग भाग को किराए पर देना किरायेदार के कब्जा करने का मुख्य कारण था।

सुझाव :

1. शौचालयों को उत्तर पूर्व से हटाकर उत्तर-पश्चिम में बनवाने के लिये कहा गया।

2. सीढ़ियों को दक्षिण पश्चिम में बनाने के लिये कहा गया।

3. किराए पर दिए गए हिस्से में अंदर की तरफ से दरवाजा बनाने या फिर उसे हमेशा बंद रखने की सलाह दी गई ताकि उत्तर-पश्चिम के बढ़े होने का दोष खत्म हो सके।

4. अगर किरायादार किसी कारण से दरवाजा न बनाने दे, तो उत्तर-पश्चिम के बढे़ हुए हिस्से में ऊंची दहलीज बनाने की सलाह दी गई। दहलीज के नीचे चांदी की पत्ती और 9 पिरामिड लगाने को कहा गया और दहलीज के ऊपर की ओर पीला पेंट करने को कहा गया।

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