बहिर्मुखी व्यक्तित्व:- जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर को थोड़ा भार देकर लिखता है हस्ताक्षर की छाप एक पेपर से दूसरे पेपर पर जाती हो हस्ताक्षर को बड़े एवं गोलाई में लिखता हो जिसकी लिखावट दायीं बाजुओं से थोड़ी झुकती हुई हो, ऐसे व्यक्ति सामाजिक जीवन में प्रत्येक व्यक्ति के साथ मिलजुल कर कार्य करने में विश्वास रखते हैं। समाज सेवा के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने हेतु तत्पर रहते हैं। साथ ही अपने किये गये कार्यों के प्रति गर्व महसूस करते हैं। कई लोगों में समाज से कुछ पाने की प्रबल इच्छा देखी जाती है।
अन्तर्मुखी व्यक्तित्व:- जो व्यक्ति अपने हस्ताक्षर को हलके हाथ से लिखता हो हस्ताक्षर की कोई छाप एक पेपर से दूसरे पेपर तक न जाती हो , हस्ताक्षर छोटे एवं अस्पष्ट लिखते हों जिसकी लिखावट बायीं बाजू से थोड़ी झुकती हुई हो ऐसे व्यक्ति का सामाजिक जीवन बचपन में उपेक्षा का शिकार होने के कारण हीन भावना से ग्रस्त होकर अन्तर्मुखी बन जाते हैं । ऐसे व्यक्ति को समाज से ज्यादा लगाव नहीं एवं अपने में ही रमे रहने वाले होते हैं। उनका व्यवहार दूसरों के प्रति अच्छा नहीं रहता परन्तु दूसरों से अच्छे व्यवहार की सदैव आस लगाये रहते हैं। अपने अन्दर की बात किसी को सरलता से नहीं बताते।
मध्यम व्यक्तित्व:- (न बहिर्मुखी न अन्तर्मुखी ):- ऐसे व्यक्ति अपने हस्ताक्षर को न हल्के हाथ से न ही अधिक जोर देकर लिखते हंै। हस्ताक्षर की लिखावट सीधी, हस्ताक्षर छोटे अथवा मध्यम होकर एकदम स्पष्ट लिखते हैं । ऐसे व्यक्ति का सामाजिक जीवन सामान्य होता है