ज्योतिष द्वारा व्यवसाय निर्धारण
ज्योतिष द्वारा व्यवसाय निर्धारण

ज्योतिष द्वारा व्यवसाय निर्धारण  

यशकरन शर्मा
व्यूस : 3167 | सितम्बर 2014

इस आलेख में विभिन्न व्यवसायों में सफलता के ज्योतिषीय योगों पर प्रकाश डाला गया है। विभिन्न ग्रह, राशियां व नक्षत्र विभिन्न व्यवसायों के कारक होते हैं। कार्य व परिश्रम तो सभी करते हैं परंतु सफलता किसी-किसी को ही मिलती है। यदि परिश्रम सही दिशा में किया जाए तो सफलता उसके कदम चूमती है। आपके लिए कौन से व्यवसाय का चुनाव अधिक लाभदायक होगा यह आप इस आलेख से जान सकेंगे। विशेष योग

1. सरकारी नौकरी: सूर्य और चंद्रमा दशमस्थ, सूर्य और शनि दशमस्थ होने पर कुछ समस्याओं से जूझने वाला राजकार्य अर्थात् सरकारी पद दिलाते हैं। सूर्य और गुरु का दशम भाव में योग न्यायपालिका में श्रेष्ठ पद प्राप्ति हेतु श्रेष्ठ होता है।

2. आई. ए. एस अधिकारी: उच्च राशिस्थ या बली सूर्य दशमस्थ हो या दशम भाव से संबंध स्थापित करे व गुरु से युक्त हो तो आई. ए. एस. अधिकारी बनने का श्रेष्ठ योग होता है। प्रतियोगिता का कारक बुध माना जाता है इसलिए यदि राजयोग के कारक सूर्य, गुरु, मंगल भी बली हों तो आई. ए. एस., आई. पी. एस. होना बुध ग्रह से प्रभावित जातकों के लिए सरल हो जाता है। मेष लग्न की कुंडली में सूर्य लग्नस्थ हो, चतुर्थ भाव में गुरु हो व मंगल दशमस्थ हो तो श्रेष्ठ आई. ए. एस. अधिकारी बनें।

3. सी. बी. आई. आॅफिसर: सी. बी. आई. आॅफिसर की कुंडली में शनि, राहु पर शुभ ग्रहों का प्रभाव होना चाहिए साथ ही अष्टम भाव व मंगल के बल की भी नाप तौल करनी होगी।

4. सेना/पुलिस में करियर: राशियों में अग्नि तत्व राशियां मेष, सिंह व धनु भावों मंे लग्न, तृतीय, षष्ठ व दशम भाव तथा ग्रहों में मंगल, सूर्य, राहु, केतु का शुभ व बली होने की शर्त होती है ।

5. नेवी अधिकारी: इनकी कुंडली में मंगल, सूर्य, दशम भाव के अतिरिक्त चंद्रमा भी बली होता है।


जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें !


6. पायलट: कुंडली में वायु तत्व राशियां बली हों तथा इन राशियों के स्वामी अधिकतर चर राशियों में स्थित हों तथा द्विस्वभाव राशियों से भी संबंध रखते हों। कुंडली में तीसरा, दशम व अष्टम भाव विशेष बली हो तथा लग्न अग्नि तत्व राशि हो और इसके स्वामी का वायु तत्व राशि से संबंध हो या यह वायु तत्व राशि में स्थित हो।

7. गुप्तचर विभाग: यदि राहु का दशम भाव, लग्न व सूर्य से संबंध हो तो जातक गुप्तचर बनता है। यदि अष्टमस्थ मंगल बली हो तो जासूसी योग्यता होने से जटिल मामलों को सुलझाने में सफलता मिलती है। इसलिए जातक को गुप्त सेवा, सी. बी. आई. या आर्मी के ऐसे विभाग में सफलता प्राप्त करते हुए देखा गया है जहां इस प्रकार की योग्यता की आवश्यकता होती है। अष्टम भाव में मंगल एवं राहु की युति गुप्तचर बनने के लिए श्रेष्ठतम योग होता है।

8. राजनीतिज्ञ/ महत्वपूर्ण मंत्री: उच्चराशिस्थ ग्रह विशेष रूप से सूर्य व शनि तथा सभी ग्रहों की शुभ भावों में स्थिति। दो तीन ग्रह स्वराशिस्थ हों या अपनी-अपनी मूलत्रिकोण राशियों में स्थित हों। कुंडली में पूर्ण बलवान गजकेसरी योग के साथ बली बुध आदित्य योग भी हो। राजनीति का विशेष कारक ग्रह राहु को माना गया है। इसलिए राजनीतिज्ञों की कुंडली में राहु की 3, 6, 11 भावों में स्थिति व दशम भाव से संबंध शुभ माना जाता है।

9. यात्रा संबंधित व्यवसाय: शनि, बुध व चंद्रमा की युति द्वादश या अष्टम भाव में होने से जातक इस प्रकार के व्यवसायों से जुड़ता है जिनमें भ्रमण करना पड़ता है। चतुर्थ भाव अशुभ होता है जबकि द्वादश भाव में राहु स्थित होता है

10. टूरिस्ट गाईड: इस व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए मिथुन व कन्या लग्न श्रेष्ठ होता है क्योंकि ऐसे लोग वाकपटु होते हैं। शुक्र व चंद्रमा की शुभ स्थिति के अतिरिक्त शनि का बल भी महत्वपूर्ण होता है।

11. आयात-निर्यात: आयात - निर्यात के व्यवसाय में भी शनि चंद्र की युति के अतिरिक्त दशमस्थ व द्वादशस्थ राहु की भूमिका सर्वोपरि है।

12. तस्करी: धोखा-धड़ी के मामले व तस्करी से जुड़े व्यवसायों के लिए अष्टमेश व द्वादशेश से राहु व शनि का संबंध भी शुभ होता है।

13. ईंट/मिट्टी का व्यवसाय: ईंट मिट्टी आदि का कार्य करने के लिए बली शनि-मंगल की युति व दशम भाव से इनके संबंध को देखना चाहिए।

14. मर्चेंट नेवी: अधिकतर ग्रह जल राशियों व तीसरे, छठे, आठवें व द्वादश भाव में होते हैं तथा शुक्र व चंद्रमा की स्थिति भी शुभ होती है।


अपनी कुंडली में सभी दोष की जानकारी पाएं कम्पलीट दोष रिपोर्ट में


15. रूकावटों के साथ आय: द्वितीय भाव कमजोर होता है। शनि और मंगल का योग आय प्राप्ति में रूकावटें उत्पन्न करता है। यदि यह योग एकादश भाव में बन रहा हो तो जातक झूठ बोलकर धन कमाता है। यदि इस ग्रह योग पर गुरु, शुक्र की दृष्टि पड़ रही हो तो जातक काफी जमीन जायदाद भी प्राप्त कर लेता है। लग्न में वक्री मंगल भी आय में व्यवधान उत्पन्न करता है, चतुर्थ भाव में वक्री शनि का भी इसी प्रकार का भाव होता है। शनि, मंगल व केतु की युति से कानूनी पेचीदगियों के कारण व्यावसायिक जीवन में कठिनाइयां झेलनी पड़ती हैं।

16. लेखन कार्य: इस प्रकार के व्यवसायों में वांछित योग्यता के लिए तृतीय भाव, बुध तथा लेखन के देवता गुरु की युति श्रेष्ठ परिणाम देती है। लेखन कार्य में कल्पनाशक्ति की आवश्यकता रहती है। इसलिए कल्पनाकारक चंद्रमा की शुभ स्थिति भी वांछित है।

17. सम्मान जनक व्यवसाय: शुक्र व गुरु की श्रेष्ठतम स्थिति व्यावसायिक जीवन में सम्मान दिलाती है।

18. स्वतंत्र व्यवसाय: शनि और राहु का योग स्वतंत्र व्यवसाय में सफलता के लिए उत्तम होता है। चाहे ऐसा व्यक्ति याचक ही क्यों न हो यह ग्रह योग सौभाग्यदायक माना जाता है। स्वतंत्र व्यवसाय, स्वरोजगार व किसी संस्था का मुखिया होने के लिए इसे शुभ योग माना जाता है। शुक्र, बुध व शनि की युति भी छोटी अवस्था में स्वतंत्र व्यवसाय की ओर अग्रसर करती है।

19. कुशल व्यापारी: कुशल व्यापारी बनने हेतु द्वितीय, एकादश, पंचम व नवम भावों के अतिरिक्त बुध की शुभ स्थिति वांछित है। धनेश व लाभेश का स्थान परिवर्तन योग सर्वोपरि है। लग्नेश, धनेश व लाभेश की केंद्र में युति, केंद्र व त्रिकोण के स्थान के स्वामियों का स्थान परिवर्तन योग भी शुभ होता है। व्यापार में स्थायित्व के लिए शनि भी बली होना चाहिए अन्यथा व्यापार में उतार-चढ़ाव आते हैं।

20. काॅन्ट्रैक्टर: यदि कुंडली में शनि बलवान होकर लग्नस्थ हो तथा द्वितीय व दशम भाव से संबंध बनाए तो जातक काॅन्ट्रैक्टर के व्यवसाय को अपनाता है।

21. बैंकिंग/फाइनांस कंपनी: शनि, शुक्र व गुरु का शुभ ग्रह योग बैंकिंग इंडस्ट्री, फाइनांस कंपनी व पैसा उधार देने वाले व्यवसाय के लिए उत्तम होता है।

22. वित्तीय सलाहकार: बेहतर फाइनेंशियल मैनेजमेंट स्किल्स हेतु कन्या लग्न के जातकों की कुंडली में बुध का दशम भाव से संबंध श्रेष्ठ योग होता है। गुरु व शनि का शुभ होना इन्हें श्रेष्ठतम वित्तीय सलाहकार बना देता है।

23. छोटी नौकरी: द्वितीय व एकादश भाव के कमजोर होने तथा दशम भाव से शनि व बुध का संबंध होने से नौकरी, दास कार्य आदि का योग माना जाता है। यदि इस ग्रह योग पर गुरु व शुक्र का भी प्रभाव पड़ रहा हो तो नौकरी में कुछ समय पश्चात् उन्नति भी होने लगती है।


Get Detailed Kundli Predictions with Brihat Kundli Phal


24. वकील: सफल वकील बनने हेतु गुरु, बुध व शनि को बली होना चाहिए तथा इनका द्वितीय, षष्ठ व नवम भाव से भी संबंध होना चाहिए। बुध केतु का दशम भाव में योग वकालत में सफलता हेतु श्रेष्ठ है। बुध शनि के योग से मेहनत का फल पर्याप्त मात्रा में नहीं प्राप्त हो पाता। इसके अतिरिक्त चंद्रमा व गुरु की युति को भी बहुत अच्छा योग माना जाता है। अपितु शुभ भाव में स्थित अकेला गुरु भी वकील बनने के लिए काफी होता है। यदि गुरु व मंगल द्वितीयस्थ हों व सूर्य दशमस्थ हो तो यह ग्रह योग जातक को आपराधिक मामलों का सफल वकील बनाता है। वकालत के कार्य में अक्सर झूठ भी बोलना पड़ता है इसलिए राहु के बल की नाप तौैल तो करनी ही होगी साथ ही इनका दूसरे, छठे व दशम भाव से संबंध भी होना चाहिए।

25. खानदानी व्यवसाय: सूर्य, शनि व चंद्र की युति इस प्रकार के व्यवसाय दिलाती है साथ ही द्वितीय, नवम व दशम भाव का संबंध भी कारगर होता है। यदि इस ग्रह योग पर मंगल का भी प्रभाव पड़ रहा हो तो जातक के व्यावसायिक जीवन में चिंताएं बनी रहती हैं।

26. करियर में उतार चढ़ाव यदि मेष, सिंह व वृश्चिक राशि में सूर्य, शनि व मंगल की युति हो रही हो तो सरकारी नौकरी, पुलिस, सेना, नेवी आदि के लिए उत्तम योग होता है लेकिन ऐसे जातक के करियर में विशेष उतार-चढ़ाव आते हैं।

27. कला व ट्रेडिंग: शुक्र, चंद्रमा व शनि की युति व प्रभाव के फलस्वरूप कला व ट्रेडिंग आदि में जातक सफल होता है।

28. एकाउन्टेंट: यदि गुरु बली हो तथा द्वितीय व एकादश भाव साधारण बली हों तथा गणित के कारक बुध की स्थिति शुभ हो तो जातक एकाउन्टेंट बनता है।

29. तकनीकी क्षेत्र: शुक्र, मंगल व शनि की युति इस प्रकार के व्यवसायों के लिए बेहतर मानी जाती है। इन ग्रहों पर गुरु की दृष्टि होने से ऐसा जातक विशेष सफलता प्राप्त करता है।

30. धार्मिक कार्य/त्याग: दशमस्थ गुरु के प्रभाव से जातक की कीर्ति का विस्तार पुण्य के कार्यों से होता है। शनि, चंद्रमा व केतु की युति तथा गुरु का शनि, राहु, केतु, लग्न, चंद्र व चतुर्थ भाव पर प्रभाव ऐसे कार्यों व व्यवसायों के लिए शुभ है।

31. रीयल एस्टेट: मंगल, शनि व बुध का योग इस व्यवसाय के लिए उपयुक्त होता है। मंगल के अशुभ होने पर साझेदारों में बार-बार झगड़े होते हैं। बली मंगल शुभ ग्रहों के प्रभाव में आने पर इस व्यवसाय में विशेष सफलता का कारक बनता है।

32. इंजीनियर: इस प्रकार के व्यवसायों के लिए मंगल, शनि व गुरु की युति उत्तम मानी जाती है। पंचम व दशम भाव पर शनि, मंगल व राहु का प्रभाव भी इस प्रकार के व्यवसाय में अग्रसर करता है।

33. कंप्यूटर इंजीनियर: इस व्यवसाय में सफलता हेतु दशमस्थ केतु विशेष फलदायी होता है। साॅफ्टवेयर प्रोग्रामिंग में बुध, गुरु व मंगल का बली होना भी आवश्यक है।

34. विशेषज्ञ, विश्लेषक व शोध गुरु, बुध व शनि की युति शुभ होती है। अष्टम भाव में बली ग्रहों का योग या बली अष्टमेश गुप्त शक्ति व रिसर्च ओरिएंटेड मस्तिष्क देता है।


For Immediate Problem Solving and Queries, Talk to Astrologer Now


35. वैज्ञानिक: वैज्ञानिक बनने के लिए लग्नेश, पंचमेश, अष्टमेश, भाग्येश, सूर्य, बुध व शुक्र का दशम भाव व बलवान शनि से संबंध होना परम आवश्यक है।

36. गणितज्ञ: गणित विद्या का कारक बुध होता है। इसलिए कुशल गणितज्ञ बनने के लिए जातक की कुंडली में बुध, गुरु के अतिरिक्त पंचम भाव विशेष बली होना चाहिए।

37. कलाकार: मिथुन, तुला व धनु राशियां बली होनी चाहिए। शुक्र व बुध व चंद्रमा विशेष बली होने चाहिए।

38. हास्य कलाकार: हास्य कलाकार बनने के लिए मिथुन, कन्या, धनु व मीन राशि बलवान होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त बुध, चंद्रमा की युति व शुक्र का बली होकर इन राशियों से संबंध होना चाहिए।

39. अभिनेता: बुध, शुक्र व मंगल की युति तथा चंद्रमा की दृष्टि कलाकार के लिए और अधिक शुभ योग होता है। यह योग अभिनेताओं के लिए शुभ होता है।

40. संगीतज्ञ: गायक बनने के लिए जातक की कुंडली में द्वितीय, तृतीय व पंचम भाव से शुक्र, बुध व चंद्रमा का संबंध वांछित है क्योंकि दूसरे भाव से वाणी व सरस्वती कृपा तथा तृतीय भाव से आवाज की गुणवत्ता का पता चलता है इसलिए इन भावों के स्वामियों पर शुभ ग्रहों का प्रभाव होना चाहिए और विशेष रूप से शुक्र व चंद्रमा का प्रभाव अधिक होना चाहिए। गायकी में अभिव्यक्ति के स्तर को श्रेष्ठतम करने के लिए बुध ग्रह का बल महत्वपूर्ण होता है। श्रेष्ठ नर्तक बनने के लिए शुक्र, बुध के अतिरिक्त सूर्य, मंगल व लग्न को भी बली होना चाहिए।

41. संपादक (इलेक्ट्राॅनिक मीडिया): इस व्यवसाय के लिए मंगल, बुध व गुरु के अतिरिक्त शुक्र का महत्व अधिक है तथा भावों में लग्न, द्वितीय व तृतीय तीनों का बली होना आवश्यक है।

42. न्यूज रीडर: न्यूज रीडर के लिए द्वितीय भाव, लग्न, बुध व गुरु बली होने चाहिए क्योंकि न्यूज रीडर का कार्य एक जगह स्थिर होकर बोलना है इसलिए फोकस्ड और स्थिर होकर बैठने के लिए शनि का भी लग्न अथवा लग्नेश पर प्रभाव वांछित है।

43. एंकर: सफल एंकर बनने के लिए शुक्र, बुध, चंद्रमा व गुरु का महत्व सर्वोपरि है।

44. रेडियो जाॅकी: कुशल रेडियो जाॅकी बनने के लिए जातक का वाकपटु होना तथा तुरंत निर्णय लेकर धारा प्रवाह बोलना व अपनी वाणी में हास्य, व्यंग्य व अभिव्यक्ति की योग्यता होना नितांत आवश्यक है जिसके लिए बुध, गुरु, चंद्र, वाणी का द्वितीय भाव तथा अभिव्यक्ति के तृतीय भाव के अतिरिक्त कारक राशियों जैसे मिथुन व कन्या का बली होना आवश्यक है। द्वितीयेश, लग्नेश व दशमेश की युति शुभ भाव में हो तथा गुरु से दृष्ट हो तो भी कुशल रेडियो जाॅकी बने।

45. फिल्मी करियर: फिल्मी करियर में सफलता हेतु शुक्र, बुध, चंद्रमा के बल व योग के अतिरिक्त, प्रथम, द्वितीय व तृतीय भाव तथा राशियों में मिथुन व कन्या अक्सर बली पाई गई है। साथ ही इनका दशम भाव, दशमेश अथवा कारक से संबंध अवश्य होता है।


Book Durga Saptashati Path with Samput


46. फिल्म डायरेक्टर : फिल्म डायरेक्टर बनने के लिए फिल्मी करियर में सफलता के योग तो होते ही हैं साथ ही गुरु ग्रह अतिरिक्त बली होता है।

47. इंटीरियर डिजाइनर: बेहतर इंटीरियर डिजायनर बनने के लिए कुंडली में शुक्र, चंद्रमा व गुरु के अतिरिक्त तृतीय, चतुर्थ व पंचम भाव को बली होना चाहिए।

48. फैशन डिजाइनर: शुक्र, चंद्रमा, गुरु व बुध इन सभी ग्रहों का शुभ योग या शुभ भावों में स्थिति के अतिरिक्त द्वितीय, तृतीय व पंचम भाव बली होना चाहिए।

49. ग्राफिक डिजाइनर: कुशल ग्राफिक डिजाइनर बनने के लिए मंगल, चंद्रमा, शुक्र के अतिरिक्त पंचम भाव विशेष बली होना चाहिए।

50. मूर्तिकार: कुशल मूर्तिकार बनने के लिए शुुक्र के अतिरिक्त गुरु, चंद्रमा को बली होना चाहिए।

51. पेंटिंग आॅर्टिस्ट: पेंटर बनने के लिए केतु, बुध, शुक्र और चंद्र के अलावा तृतीय व पंचम भाव महत्वपूर्ण होते हैं।

52. फोटोग्राफर: फोटोग्राफर की कुंडली में शुक्र व चंद्र का महत्व सर्वाधिक है।

53. आर्किटेक्ट: इस व्यवसाय के लिए शनि सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रह होता है क्योंकि योजना निर्माण व ढांचे की परिकल्पना का कारक शनि ही होता है। मंगल व शुक्र भी महत्वपूर्ण होते हैं।

54. खिलाड़ी: मंगल, गुरु की युति धनु या कन्या राशि में सफल एथलीट बनने की योग्यता देती है। खेल जगत में सफल करियर के लिए कन्या लग्न में मंगल, बुध व राहु के अतिरिक्त पंचम भाव व धनु राशि की श्रेष्ठ स्थिति वांछित है।

55. क्रिकेटर: सफल क्रिकेटर बनने के लिए कन्या लग्न के जातकों की कुंडली में मंगल, बुध, राहु व पंचम भाव के अतिरिक्त शुक्र का बली होना भी विशेष आवश्यक है।

56. ज्योतिर्विद: सफल भविष्यवक्ता बनने हेतु जन्मकुंडली में चंद्रमा, केतु, बुध व गुरु के अतिरिक्त द्वितीय व अष्टम भाव का शुभ होना तो आवश्यक है ही साथ ही जातक के गंभीर व चिंतनशील होने के लिए लग्न भाव पर शनि का प्रभाव होना भी परमावश्यक है

57. भाषाविद्: भाषा पर अधिकार हेतु बुध, गुरु व केतु के अतिरिक्त द्वितीय व तृतीय भाव बली होना चाहिए।

58. विदेशी भाषाविद्: विदेशी भाषा का कारक शनि होता है। जब शनि का लग्न, लग्नेश, द्वितीयेश व गुरु शुक्र से संबंध हो व केतु व बुध भी बली हों तो जातक अनेक भाषाओं का ज्ञाता होता है।

59. मेडिकल प्रोफेशन: इस व्यवसाय में सफलता के लिए आयुर्वेद के कारक सूर्य का महत्व सर्वोपरि है। सूर्य, बुध का दशम या पंचम भाव में योग भी कारक होता है। सर्जन बनने के लिए मेष या वृश्चिक राशि का मंगल छठे या दशम भाव में श्रेष्ठ होता है। सूर्य, मंगल के बलहीन होने की स्थिति में डाॅक्टर को अपने कार्यक्षेत्र में विशेष सफलता नहीं मिल पाती। दवाइयों व ैनतहपबंस म्ुनपचउमदजे के व्यापार में सफलता हेतु भी दशम भाव से सूर्य व मंगल ग्रह योग या संबंध अथवा दशमेश के सूर्य के नवांश में होना सफलतादायक होता है।


अपनी कुंडली में राजयोगों की जानकारी पाएं बृहत कुंडली रिपोर्ट में


60. इलेक्ट्रीशियन/ इलेक्ट्रिकल इंजीनियर: इस व्यवसाय के लिए मंगल व बुध के योग व बल का महत्व है। दशमस्थ मंगल या मंगल की राशि मैकेनिकल इंजीनियरिंग के लिए शुभ माना गया है।

61. अध्यापक/प्रोफेसर: अध्यापन कार्य करने के लिए बुध व गुरु विशेष बली होने चाहिए व उनका दशम भाव से संबंध हो अथवा इनकी युति केंद्र या त्रिकोण में हो। सूर्य, चंद्रमा व लग्न अधिकतर मिथुन, कन्या व धनुराशि में होते हैं। लग्न, पंचम व नवम भाव अनवरत अध्यापन कार्य के लिए सक्रिय होने चाहिए।

62. पत्रकार/संपादक: जुझारू पत्रकारिता के युग में मंगल, बुध, गुरु के बल व किसी शुभ भाव में युति के फलस्वरूप पत्रकारिता व संपादन कार्य में सफलता मिलती है। लेखन कार्य के तृतीय भाव के बल की भी जांच करनी होगी।

63. होटल मैनेजमेंट: इस व्यवसाय में धन व व्यवसाय के कारक भावों से बली मंगल व शुक्र का संबंध वांछित है। किसी भी प्रकार के करियर में वांछित योग्यता के कारक ग्रह योगों की आवश्यकता तो रहती ही है साथ ही अपने कार्यक्षेत्र में विशेष दक्षता हेतु बुध, तृतीय भाव व मंगल शुभ होना चाहिए। अपने व्यवसाय में लीडर बने रहने के लिए गुरु व नवम भाव का बल महत्वपूर्ण है। अपने व्यवसाय से विशेष धन प्राप्ति हेतु शुक्र, द्वितीय व एकादश भाव के बल को देखना चाहिए। यश प्राप्ति हेतु सूर्य, दशम भाव व लग्न विशेष बली होने चाहिए। नए आयाम स्थापित करने हेतु बुध व चंद्र तथा करियर में स्थिरता व स्थायित्व हेतु शनि, नवम, दशम व एकादश भाव के बल की नाप-तोल करनी चाहिए।



Ask a Question?

Some problems are too personal to share via a written consultation! No matter what kind of predicament it is that you face, the Talk to an Astrologer service at Future Point aims to get you out of all your misery at once.

SHARE YOUR PROBLEM, GET SOLUTIONS

  • Health

  • Family

  • Marriage

  • Career

  • Finance

  • Business


.